Dharmendra Sharma's Album: Wall Photos

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नेहरु का ये मानना था की देश की सेना को सँभालने के लिए भारतीयों के पास काबिलियत और अनुभव नहीं है इसलिए भारतीय सेना का अध्यक्ष कोई विदेशी होना चाहिए क्योकि अंग्रेजो की सेना में भारतीय निचले तबके पर ही रहे और उन्होंने आजाद भारत की सेना का पहला अध्यक्ष बनाया एक अंग्रेज जनरल रॉब लॉकहार्ट को !

1948 के अंत में रॉब लोकहार्ट ने इस्तीफा दे दिया क्योकि वो इंग्लैंड में ही रहना चाहते थे और सेना अध्यक्ष का पद खाली हो गया !
एक नए अंग्रेज सेना अध्यक्ष को नियुक्त करने के लिए नेहरु ने मंत्रिमंडल की मीटिंग बुलाई , उस मीटिंग में कुछ भारतीय लेफ्टिनेंट जनरल रैंक के ऑफिसर भी थे !

नेहरु ने बोलना शुरू किया , क्योकि भारतीयों के पास सेना सँभालने का अनुभव नहीं है इसलिए इन नामो में से आपको कौन सा विदेशी जनरल ठीक लगता है पर अपनी राय दे।

इस पर लेफ्टिनेंट जनरल नाथू सिंह राठोर खड़े हुए और नेहरु से बोले , किसी भारतीयों को प्रधानमंत्री होने का भी अनुभव नहीं है , तो आप यहाँ क्यों बैठे है इस पद पर भी किसी अंग्रेज को बिठाइये, दुनिया में ऐसा कौन सा देश है जो अपनी सेना का अध्यक्ष विदेशी को बनाता है???

ये सुनते ही नेहरु तिलमिला गए और उनको बाहर कर दिया। रक्षा मंत्री बलदेव सिंह नाथू सिंह के इस साहस से खुश हुए और उन्होंने उनके पुरे रिकॉर्ड मंगवाए , तो पता चला नाथू सिंह बर्मा में और विश्व युद्ध में सेना की टुकड़ी का सफल नेतृत्व कर चुके थे और उन्होंने नेहरु को नाथू सिंह को ही सेना अध्यक्ष बनाने की शिफारिश कर दी। पर क्योकि नेहरु नाराज थे और लेफ्टिनेंट जनरल नाथू सिंह ने भी इस पद के लिए सी एम करिअप्पा का नाम सुझाया, उस वजह से सी एम करिअप्पा को सेना अध्यक्ष बनाया गया।

ये नाथू सिंह राठोर , उन्ही महाराणा प्रताप के वंशज थे जिन्हें मुग़ल कभी हरा नहीं पाए....