प्रदुमन राय (भूमिहार_ब्राह्मण)'s Album: Wall Photos

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मंगल पांडे भी बिहार रेजिमेंट से थे, ब्रिटिश नहीं चाहते थे फौज़ में बिहारी !!
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आपने यह तो पढ़ा ही होगा कि चीन में अभी काफी ज्यादा 'बिहार' सर्च हो रहा है. वे लोग अचंभित हैं कि भारत में यह कौन सी जगह है और कैसा है वह क्षेत्र जिसे वे केवल बुद्ध-महावीर के नाम से जानते थे. अहिंसा की भूमि के रूप में जानते थे, और एक 'प्रादेशिक रेजिमेंट' ने चीन के छक्के छुड़ा दिए.

मेरी समझ पर आप सब हँसने लगें इससे पहले बता दें कि ऐसा मैं नहीं समझ रहा कि कोई प्रादेशिक रेजिमेंट जैसा कुछ होता है. न ही इस नाम 'बिहार रेजिमेंट' से किसी प्रांत का बोध होता है. पर चीन में काफी लोग ऐसा समझ रहे हैं आज और ज्यादा से ज्यादा बिहार के बारे में जानना चाह रहे. हालांकि सच यह है कि इसी रेजिमेंट के शहीद कर्नल संतोष बाबू जहां तेलंगाना के थे, वहीं देश भर के विभिन्न कोनों से वीर जवानों ने बलिदान दिया है. एक तो इसमें छत्तीसगढ़ के कांकेर जिले के गणेश कुंजाम जी भी थे. बहरहाल.

हर रेजिमेंट की तरह बिहार रेजिमेंट का भी एक सुनहरा इतिहास है. आपको जान कर अच्छा लगेगा कि 1857 में प्रथम स्वतन्त्रता संग्राम की शुरुआत करने वाले मंगल पाण्डेय जी भी इसी रेजिमेंट से थे. तब इसे 'बंगाल नेटिव इंफ़ैंटरी' के रूप में जाना जाता था. उस क्रांति के बाद ब्रिटिश ने यह करना सुनिश्चित किया कि कभी भी बिहारियों को ब्रिटिश फौज में भर्ती नहीं किया जाय. यह मान लिया था ब्रिटिशों ने कि चाहे कुछ भी हो जाय, बिहारी कभी उनके वफादार हो ही नहीं सकते.

1941 में बिहार रेजिमेंट के रूप में पुनर्गठन के बाद भी इस रेजिमेंट ने बकौल बीबीसी '1965 और 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध और 1999 के करगिल जंग में हिस्सा लिया है, जब पाकिस्तानी सेना लद्दाख के करगिल क्षेत्र में घुस आई थी. भारत ने उस घुसपैठ को ख़त्म करने और अपने इलाक़े को वापस लेने के लिए जो ऑपरेशन विजय शुरू किया था उसमें बड़ी संख्या में इस रेजिमेंट के सिपाही और अधिकारी शामिल थे.'

बीबीसी के अनुसार ही 'करगिल के बटालिक सेक्टर में जुलाई के शुरुआती दिनों में हुई भीषण जंग के बाद भारतीय फ़ौज ने फ़तह हासिल की, भारतीय फ़ौज '1 बिहार रेजीमेंट को जुबार और थारू पहाड़ियों पर हुई विजय का श्रेय' देती है.' उसी के अनुसार 'साल 2008 के मुंबई हमले में हमलावरों की गोलियों का शिकार हुए संदीप उन्नीकृष्णन, जो बिहार रेजिमेंट से संबंधित रह चुके थे.'

यह जानना भी दिलचस्प और गौरवान्वित करने वाला है कि तीन सिरों वाला शेर 'अशोक सिंह' भी बिहार रेजिमेंट का ही प्रतीक चिन्ह था जिसे बाद में भारत का राजकीय प्रतीक चिन्ह बनाया गया.

बिहार रेजिमेंट का सुन्दर गीत है :-
दिखला जौहर वीर बांकुरे
शपथ तुम्हें हैं वीर बाँकुरे
कर्म धर्म और आन की.
बिहार रेजिमेंट के हम सैनिक
बात है ये अभिमान की.
जय बिहार रेजिमेंट जय सेना हिन्दुस्तान की.
वीर कुंवर सिंह बिरसा मुंडा
साक्षी हैं इतिहास के
याद हमें है गाथा उनकी आन, बान और शान की
जय बिहार रेजिमेंट जय सेना हिन्दुस्तान की
जय बिहार रेजिमेंट जय सेना हिन्दुस्तान की.
(इनपुट बीबीसी एवं अन्य)