यश ठाकुर's Album: Wall Photos

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भूरी काकी गैंग को उखाड़ना ही इनका इलाज है

बात 1993 की है....

कभी कोरोना तो कभी चीन चिल्लाने वाले शहजादे को यह घटना तो शायद पता होगी।

अक्टूबर 1993 में 40 से ज़्यादा पाकिस्तानी अफगान आतंकी मय हथियार, गोला बारूद, मशीन गन, राकेट लांचर, श्रीनगर की हज़रत बल दरगाह में घुस गए थे।

ये हज़रत बल दरगाह श्रीनगर में डल झील के किनारे एक बहुत बड़ी दरगाह है जहां कहा जाता है कि हुज़ूर का एक बाल रखा है ।

सो दरगाह के कारिंदों ने पुलिस को खबर की कि अंदर मौजूद आतंकियों ने हुज़ूर के बाल वाले कमरे और उस वॉल्ट के ताले बदल दिए हैं, जिसमें पवित्र बाल रखा है ।

केंद्र में PV NarsimhaRao थे और कश्मीर में राष्ट्रपति शासन था Governer थे Retd Gen. KV Krishna Rao उनके Security Advisor थे Retd Gen. MA Zaki उन्होंने तुरंत आदेश दिया BSF को घेर लो BSF ने घेरा डाल दिया।

दिल्ली अभी Op Bluestar को भूली नहीं थी Security Experts चाहते थे कि कमांडो कार्यवाही करके दरगाह को खाली करा लिया जाए पर दिल्ली की जान सूख गयी, बाहर BSF. अंदर आतंकी और उनके साथ 100 से ज़्यादा Civilians

सरकार ने Commando operation की इजाज़त न दी सरकार की ओर से एक वरिष्ठ नौकरशाह वजाहत हबीबुल्लाह को मध्यस्थ बना के अंदर भेजा गया, आतंकियों के सामने घुटने टेक गिड़गिड़ाने के लिये कि ‘पिलीज भाई लोग, Surrender कर दो’ वो नहीं माने उन्होंने कहा – ‘Civilians को तो छोड़ दो’ आतंकियों ने कहा, ‘हाँ इनको ले जाओ’ पर civilians ने बाहर आने से मना कर दिया

फौजी सलाहकारों ने दूसरा option सुझाया, वो जो वो 1988 में स्वर्ण मंदिर में ही Op Black Thunder में आजमा चुके थे उस वक़्त उन्होंने जून महीने में स्वर्ण मंदिर घेर लिया था और बिजली पानी काट दी और शौचालय भी घेर लिए थे

फौजी बोले यही रणनीति अपनाओ यहां भी, सरकार ने दो एक दिन बिजली पानी काटी भी ,पर फिर बाद में डर गयी, घेरा डाले हफ्ता बीत गया था तभी कश्मीरी, राज्य भर में हज़रत बल में नमाज़ पढ़ने को मचलने लगे, सड़कों पे प्रदर्शन होने लगे

ऐसे ही एक प्रदर्शन में बीजबेहड़ा नामक कस्बे में BSF ने Firing कर दी और 37 आदमी मारे गए, 75 घायल, सरकार की और दम निकल गयी, हज़रत बल से BSF हटा के Army लगा दी गयी, सरकार को डर था कि BSF कहीं विद्रोह कर खुद ही न घुस जाए हज़रत बल में

अंदर से आतंकियों ने खबर भेजी कि हमारे पास राशन पानी नहीं है civilian भूखे प्यासे मरेंगे तो तुम जिम्मेवार होगे काँग्रेस सरकार एकदम आत्मसमर्पण की मुद्रा में आ गयी, बिरयानी बना के भेजी गयी, फौज ने विरोध किया

ये क्या तमाशेबाज़ी है ?

बिरयानी ही भेजनी है तो घेराबंदी का क्या मतलब ?

उधर आतंकियों ने बिरयानी reject कर दी

सरकारी बिरयानी नहीं खाएंगे

वजाहत हबीबुल्लाह ने पूछा, किसने बनाई थी बिरयानी ?

बताया गया कि किसी सरकारी मेस में बनी थी

श्रीनगर के सबसे महंगे 5 Star hotel से बिरयानी मंगाई गयी और श्रीनगर के कुछ हुर्रियत छाप संगठन अंदर बिरयानी ले के गए तो नव्वाब साहेब ने बिरयानी खाई

फिर यही सिलसिला हफ्ता भर चला

उस Hotel की एक Van में पतीला भर भर बिरयानी जाती दिन में 3 बार

साथ में Bisleri की बोतलें

बाकायदे कंबल रजाई भेजी गयी

इस बीच शांति वार्ता भी चलती रही

इधर फौज ने कहा कि इजाज़त दो तो इसी बिरयानी वाली गाड़ी में ही 20 ठो कमांडो भेज दें, 10 मिनट में काम तमाम कर देंगे

पर बुज़दिल काँग्रेस सरकार नहीं मानी

उधर बीजबेहड़ा Firing के कारण बवाल मचा था पूरी घाटी में

अंततः सरकार ने नव्वाब साहब लोगों को Free passage offer किया

बोली ‘आपको हम रिहा करते हैं

हथियार छोड़ पैदल निकल जाओ’

उन्होंने कहा, ‘ना, हथियार तो ले के जाएंगे’

सरकार उसपे भी मान गयी

अंत में 15 दिन की घेराबंदी के बाद वो 40 पाकिस्तानी – अफगान आतंकी हमारी फौज के सामने से AK 47 लहराते हुए पैदल ही निकले और श्रीनगर की गलियों में गुम हो गए

जब निकले तब भी Army ने कहा, अब ठोक देते हैं सालों को

पर दिल्ली बोली ‘नहीं, वादा खिलाफ़ी हो जाएगी’

इस तरह इन काँग्रेसियों ने 40 पाकिस्तानी आतंकियों को 15 दिन दामाद की तरह पाला और फिर Safe Passage दे दिया
राहुल G इतिहास को कुरेदिये बहुत से कंकाल हैं आपकी अलमारी में इनको समझने के लिये बुद्धि की जरुरत है। कमजोर इरादा कभी सफलता हासिल नही कर सकता। रामायण में एक प्रसंग है दुश्मन देश के आत्मबल को तोडने की वीर अंगद ने रावण को उसी की सभा में ललकारा की है कोई आपकी सेना में वीर जो मेरे पैर को हिला सके, यह अंगद तभी कर पाये कियोकी उनके पैर में रामजी का बल था।यह शिक्षा हमारी अंगद के समान सभी सैनिको में है परन्तु राम जी जैसा आत्मबल आज सेना को मिल रहा है जो पुर्व में मिला होता तो ना चीन हमारी 38000 वर्ग मिल भूमि और ना पाकिस्तान 78000 वर्ग मिल भूमि कब्जा पाता आज के परिणाम देश के सामने है वह बालाकौट हो पुलवामा, दोक्लाम हो या गल्वान घाटी सभी पर हमने दुश्मन के घर में जाकर दुश्मन को मारा है।यह सब पक्के इरादे और आत्म्बल के कारण ही सम्भव है। सभी 135 करोड भारतीयों के लिये यह गौरव की बात है तभी सब कहते है मोदीजी है तो मुमकिन है,,,
जय हो,,
भारत माता की जय हो