जीवन में दिया जो पहला ज्ञान
उन गुरु को मेरा कोटि प्रणाम
था मैं केवल माटी की पुतली
रंग रंग में था केवल अंधकार भरा
उनकी शरण में आई थी जब मैं
हो गया परिवर्तन मेरे जीवन में
शिक्षा का पहला पाठ पढ़ाया
अबोध को जीवन मार्ग बताया
जौहरी की आँखों से परखा
ज्ञान के हथोड़े से तराशा
आशा की जो किरण दिखाई
साहस की नई राह दिखाई
सत्य मार्ग में चलना सिखलाया
अनुशासन का पाठ पढ़ाया
कभी कड़क कभी नरम हुए
विचलित हमको न होने दिए
उर्जा का ऐसा संचार किया
सपनों को हकीकत बनने दिया
आज खड़ी हूँ मैं जिस पथ पर
सफलता के ऊँचे शिखर पर
उस गुरु की महिमा अपरम्पार
कर दिया मेरे जीवन में चमत्कार
आज भी प्रेरणा स्त्रोत मेरे हो
इस शिष्य के मार्गदर्शक हो
श्रद्धा सुमन तुमको है अर्पण
कोटि कोटि मेरा तुमको नमन
माँ-बाप की मूरत है गुरु !
कलयुग में भगवान की सूरत है गुरु !
गुरु पूर्णिमा के दिन करते हैं आभार ।
आओ इस गुरु पूर्णिमा पर करें अपने गुरु को प्रणाम।
गुरु पूर्णिमा की शुभ कामनायें!