nemichand puri [ ghodela ]'s Album: Wall Photos

Photo 42 of 159 in Wall Photos

कंकण सूर्य ग्रहण 21 जून रविवार को घटित हो रहा है ।इस ग्रहण को चूड़ामणि सूर्यग्रहण के नाम से जाना जाता है ।
शास्त्रों में सूर्यग्रहण में तीर्थ स्नान दान जप आदि का विशेष महात्म्य बताया गया है। ग्रहण के पहले और बाद में स्नान और बीच में जप ,पाठ ,उपासना, मंत्र पुरश्चरण और मोक्ष में दान का अनंत गुणा फल कहा गया है ।

स्पर्शे स्नानं जपं कुर्यान्मध्ये होमं सुरार्चनम् ।
मुच्यमाने सदा दानं विभुक्तौ स्नानमाचरेत् ।।

ग्रहण से 12 घण्टे पूर्व सूतक माना गया है । 21 जून को पड़ने वाले सूर्य ग्रहण के बारह घण्टे पूर्व अर्थात्
20 जून को रात्रि 9 बजकर 16 मिनट पर सूतक लग जायेगा , अतः इससे पहले घर मंदिरों में पूजा अर्चना करके कपाट बंद किये जाते हैं । जो ग्रहण समाप्ति के बाद खोल कर देवस्नान ,पूजन होम आरती आदि सम्पन्न की जाते हैं ।
घर में भी देवस्थान पर इससे पूर्व भोग आरती कर के पर्दा लगा देना चाहिए। घर की रसोई में घी तेल दूध पानी में तिल या कुशा डाल के रखी जाती है जिसके पीछे शुद्धता और संक्रमण से सुरक्षा का भाव होता है । बीपीएस आचार्य

अन्नं पक्व मिह त्याज्यं स्नानं सवसनं ग्रहे ।
वारित क्रार नालादि तिलैदंभौर्न दुष्यते ।।

वैसे यह बात आजकल कोरोना ने सभी को अच्छी तरह समझा दिया है । इससे पूर्व कई लोग अनेक तर्क वितर्क करते थे ।

कोशिश यही होनी चाहिए कि सूतक लगने के बाद संक्रमण से सुरक्षा के लिए खान पान न हो किन्तु आवश्यक परिस्थिति में कुशा एवं तुलसी प्रयुक्त जल फल का प्रयोग करना चाहिए। ध्यान रहे तुलसी पत्र सूतक लगने से पहले तोड़ कर रखनी चाहिए ,ग्रहण के दिन वैसे भी रविवार है ,जो तुलसी तोड़ने के लिए निषिद्ध माना गया है ।बीपीएस आचार्य

21जून रविवार को सूर्य ग्रहण मुख्यतः सुबह 9 : 15 से शाम 3 : 4 मिनट तक है । और कंकण रूप में स्पर्श 10 बजे से मध्यान्ह 2 : 2 तक दिखाई देगा । अतः जप पाठ आदि के लिए ग्रहण की पूरी अवधि प्रातः 9:15 से शाम 3: 4 तक का समय प्रयोग कर चाहिए ।

यह ग्रहण सम्पूर्ण भारत में खण्ड ग्रास रूप में दिखाई देगा, इसकी कंकण आकृति उत्तरी राजस्थान, उत्तरी हरियाणा तथा उत्तराखंड में के उत्तरी क्षेत्रों में दिखाई देगी ।

इसके अलावा यह ग्रहण दक्षिणी पूर्वी यूरोप, आस्ट्रेलिया, उत्तरी क्षेत्रों में , न्यू गियाना, फिजी, उत्तरी अफ्रीका, प्रशांत व हिंदमहासागर, मध्य पूर्वी एशिया (अफगानिस्तान, पाकिस्तान, मध्य दक्षिणी चीन, वर्मा ,फिलीपींस,) आदि में देखा जा सकेगा ।

ग्रहण में वर्जित कर्म
ग्रहण को नंगी आँखों से नहीं देखना चाहिए ।
सूतक एवं ग्रहण काल में मूर्ति स्पर्श करना, आवश्यक खाना पीना, मैथुन , निंद्रा, तेल मालिस, अधिक वार्तालाप, हंसना रोना ,नाखून काटना, दाड़ी, बाल काटना, झूट कपट, नाचना गाना, बाहर व्यर्थ घूमना , खेलना, आदि बिल्कुल नहीं करना चाहिए । इन्हीं बातों को आजकी भाषा में होम क्वारन्टीन कहते हैं ।

गर्भवती स्त्रियों को सूतक एवं विशेषकर ग्रहणकाल में बाहर बिल्कुल नहीं निकलना चाहिए सूर्य की रोशनी बिल्कुल नहीं पड़नी चाहिए । ग्रहण का किसी भी प्रकार से दर्शन नहीं करना चाहिए । सब्जी काटना , कपड़े धोना , बाल बनाना, मेकअप करना , रोना ,चिल्लाना, ऊंचा हंसना , निंदा चुगली करना , नाचना गाना , सोना, पापड़ सेंकना, बार बार खाना पीना आदि का परहेज करना चाहिए इससे भावी सन्तान के स्वास्थ्य एवं स्वभाव पर विपरीत प्रभाव पड़ता है । बीपीएस आचार्य

लाखों जप संख्या वाले मंत्र की सिद्धि ग्रहण काल के मात्र 5- 6 घण्टे के जप से सिद्धि प्राप्त की जासकती है , अतः ग्रहण काल का जप आदि द्वारा पूर्ण लाभ लेना चाहिए ।

यह सूर्य ग्रहण चूड़ामणि ग्रहण होने से कुम्भ जैसा महत्व है जिसकारण कुरुक्षेत्र ,प्रयाग ,हरिद्वार ,अयोध्या आदि तीर्थ स्थानों में स्नान दान का विशेष महात्म्य है ।
यह ग्रहण मृगशिरा एवं आद्रा नक्षत्र तथा मिथुन राशि में घटित होने से मिथुन राशि एवं लग्न वालों को अपनी विशोंत्तरी महादशा के ग्रह का जप , कवच पाठ एवं हवन करना चाहिए । साथ ही सूर्य कवच पाठ ,आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ करना चाहिए ।बीपीएस आचार्य

ग्रहण का राशियों पर प्रभाव -
मेष राशि -धन लाभ । वृष राशि - धन हानि । मिथुन राशि -दुर्घटना एवं चोट भय । कर्क - धन हानि । सिंह - लाभ उन्नति ।
कन्या -कष्ट कारक । तुला - सन्तान सबंधी कष्ट । वृश्चिक- शत्रु बाधा । धनु- जीवन साथी को कष्ट । मकर - गम्भीर रोग । कुम्भ - कार्य बाधा । धन हानि । मीन- कार्यों में सफलता ।

उपाय - राशि स्वामी की सामग्री दान । इष्ट मंत्र , गुरु मंत्र का जप ।
- बीपीएस आचार्य