मुझे पहले दिन से पता था कि विकास दुबे और इसके गैंग का कोई भी मेंबर 8 पुलिस वालो की हत्या करने के बाद जिंदा बचने वाला नहीं है।
मैंने इस मैटर पर एक भी पोस्ट नहीं लिखी, कल जब विकास दुबे पकड़ा गया तब भी नहीं लिखी, लेकिन आज जब एनकाउंटर हुआ है तब तमाम लोगों की पोस्ट पढ़ने के बाद लिख रहा हूं।
सफेदपोश बचे या नहीं बचे ये तो वक़्त आने पर पता चल ही जाएगा लेकिन यूपी में अपराधी अपराध करने के बाद बच नहीं सकता ये योगी जी का विधान है।
अक्सर नेताओ पर सवाल उठते है, पुलिस पर सवाल उठते है, सही है उठने भी चाहिए, लेकिन न्याय व्यवस्था पर क्यों सवाल नहीं उठना चाहिए ? क्या वजह हो सकती है कि 60 से अधिक केसेज वाला एक गैंगेस्टर खुला घूम रहा था।
क्या इसके लिए वकील साब और जज साब जिम्मेदार नहीं ?
देश की न्याय व्यवस्था कैसी है ये हर कोई जानता है। इस न्याय व्यवस्था के कारण ही योगी सरकार को स्वयं उन 8 पुलिस वालों के परिवार के साथ न्याय करना पड़ रहा है।
ये कोई अपनी छवि चमकाने या चुनावी लाभ उठाने के लिए राजनैतिक स्टंट नहीं है, इस देश की खोखली न्याय व्यवस्था के मुंह पर तमाचा है।
न्याय व्यवस्था के मुंह पर ऐसा ही तमाचा हैदराबाद रेप केस में भी पड़ा था।
याद है कैसे मिलोड नागरिकता कानून के विरोध में हिंसा करने वाले दंगाइयों के पोस्टर पर स्वतः संज्ञान लेकर छुट्टी के दिन अदालत खोलकर पोस्टर हटाने का निर्णय देते है।
न्याय व्यवस्था के ऐसे अनगिनत उदाहरण आपको मिल जाएंगे।
जब देश की न्याय व्यवस्था ही इतनी खोखली होगी तो योगी जी जैसे नेतृत्व को न्याय ऑन द स्पॉट करना पड़ता है।