देश में अब प्लास्टिक के ना गलने वाले कचरे को ठिकाने लगा रही हैं सड़कें! सेंट्रल रोड रिसर्च इंस्टी्यूट (CRRI) ने जुलाई 2016 में प्लास्टिक कचरे का इस्तेमाल सड़क बनाने के लिए करने की सरकार की घोषणा के बाद इस बारे में गहरी रिसर्च की। रिसर्च रिपोर्ट में प्लास्टिक कचरे की गुणवत्ता इस बाबत ज़बरदस्त आने के बाद 2017 से इसका इस्तेमाल राष्ट्रीय राजमार्गों के निर्माण में शुरू किया गया। शुरुआत में पायलट प्रोजेक्ट के तहत देश के विभिन्न हिस्सों में जलवायु के आधार पर दस किलोमीटर राजमार्ग निर्माण में दस फीसदी प्रोसेस्ड प्लास्टिक कचरा मिलाया गया। अगले दो तीन वर्षों में ये रिपोर्ट भी आ गई कि ये सड़क ज़्यादा सस्ती लागत पर बनी, मजबूत, टिकाऊ और गड्ढा रहित भी रही।
सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय के अधिकारियों के मुताबिक इन तीन वर्षों के दौरान देश के 11 राज्यों में तकरीबन सवा लाख किलोमीटर सड़कें बन चुकी हैं। इनमे पुणे, जमशेदपुर,लखनऊ, गौहाटी, इंदौर, पटना आदि में नगर निगम, जिला मार्ग, राज्य और राष्ट्रीय राजमार्ग शामिल हैं। जम्मू कश्मीर राष्ट्रीय राजमार्ग के 275 किलोमीटर के हिस्से में भी ये प्रयोग किया गया है।
सिर्फ एनसीआर में गाजियाबाद की ही बात करें तो नोएडा में महामाया फ्लाईओवर के आसपास बनी सड़क में छह टन और दिल्ली मेरठ एक्सप्रेस वे बनाते समय सिर्फ यूपी गेट के आसपास ही दो किलोमीटर सड़क बनाने में ही डेढ़ टन से ज़्यादा प्लास्टिक कचरा खपाया गया। दिल्ली में धौला कुआं से एयरपोर्ट तक जा रहे राजमार्ग पर भी प्लास्टिक कचरा खूब खपाया गया।
सेंट्रल रोड रिसर्च इंस्टीट्यूट में हुए शोध और अध्ययन के बाद इंडियन रोड कांग्रेस ने कोड ऑफ प्लास्टिक के नए मानक यानी स्टैंडर्ड बनाकर दुनिया में रिकॉर्ड बनाया। इस मानक के तहत सड़क निर्माण में इस्तेमाल होने वाले हॉट मिक्स प्लांट में तारकोल के साथ दस फीसदी प्रोसेस्ड प्लास्टिक कचरा मिलाया जाता है। इसकी वजह से ये मिट्टी और गिट्टी को ज़्यादा मजबूती से जकड़ लेता है। तारकोल 15 फीसदी कम खर्च होता है जबकि सड़क की उम्र दोगुना ज़्यादा तक बढ़ जाती है। एक अनुमान के मुताबिक राजमार्ग पांच के बजाय दस साल तक चालू रह सकता है।
सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय के मुताबिक अब देश भर में जहां जहां भी सड़कें बन रही हैं प्लास्टिक कचरा भी वहीं से पचास किलोमीटर के दायरे से ही इकट्ठा किया जाएगा। पांच लाख या इससे ज़्यादा आबादी वाले शहरों में प्लास्टिक कचरा कलेक्शन और प्रोसेसिंग सेंटर बनाया जाएगा। आत्मनिर्भर योजना के तहत इस योजना पर भी काम तेजी से चल रहा है!