लड़कियों/स्त्रियों के चरित्र पर टीका टिप्पणी करने की हमारे समाज में इतनी जल्दी है कि पूछो मत। खास बात यह है कि ये टिप्पणियाँ केवल पुरुष वर्ग द्वारा ही नहीं बल्कि स्वयं स्त्रियों द्वारा भी खूब चटकारे लेकर की जाती है।कहने को हम इक्कीसवीं सदी में आ गए हैं पर सोच अब तक मध्ययुगीन ही है।