संवत २०७७ आषाढ़ कृष्ण पक्ष ३० रविवार दिनांक २१-६-२०२० ई॰ को कंकणआकृत्ति/खंडग्रास सूर्य ग्रहण होगा | इस विषयक संहिता प्रतिफल का राशि फल सूतकादि हेतु स्पष्टता यह है कि यह ग्रहण मृगशिरा एवं आर्द्रा नक्षत्र तथा मिथुन राशि मण्डल पर मान्य है, फलत: इन नक्षत्र राशि वालो को ग्रहण दर्शन नहीं करना चाहिए अपितु अपने इष्टदेव कि आराधना, गुरु मंत्र जाप इत्यादि शुभकर है |
यह ग्रहण भारतवर्षीय भू-भाग के अलावा म्यांमार,दक्षिणी रूस,मंगोलिया,बांग्लादेश,श्रीलंका,थाईलैंड,मलेशिया,कोरिया,जापान,इन्डोनेशिया,पूर्वी आस्ट्रेलिया, अफ्रीका, ईरान, अफगानिस्तान, नेपाल, पाकिस्तान आदि मे खंडग्रास रूप मे दृश्य होगा |
अफ्रीका के कुछ क्षेत्र, यमन, ओमान, दक्षिणी चीन का कुछ भाग, ताइवान तथा भारत मे – पोखरी,उखीमठ,अगस्तमुनि, चौपटा, झेलम, टेहरी, चंबा, देहरादून, जगधारी, यमुनानगर, शरीफगढ़, कुरुक्षेत्र, थानेसर, नन्दादेवी नेशनल पार्क, अनूपगढ़, श्री विजयनगर, अमरपुरा, सूरतगढ़, मेहरवाला, चमोली,जोशीमठ, पीपलकोटि, रुद्रनाथ, गोपेश्वर आदि मे कंकण आकृत्ति सूर्यग्रहण दृश्य होगा |
इस ग्रहण का सूतक यम-नियम तारीख २०-६-२०२० को रात्रि १०-०९ बजे से मान्य तथा तारीख २१-६-२०२० को ग्रहण का स्पर्श दिन मे १०-०९ से मान्य होगा, मोक्ष शुद्धिकाल दिन मे १-३६ पर स्पष्ट है |
यह सूर्यग्रहण महिला-नवविवाहिता, कन्या, विवाह योग्य जातको, वणिको, मंत्री, धर्मनेता, पर भी प्रभार सूचक एवं दर्शन योग्य नहीं है | ग्वार-मक्का-तेल-कपास-रूई-बाजरा-मूंग-मोठ-उड़द-मूंगफली-बिनोला-जूट-चावल-बारदाना-केसर-पुस्तक-पत्र पत्रिका प्रकाशन आधी वस्तु का कार्य व्यवसाय भावी लाभप्रद बन पावे |
यह ग्रहण आषाढ़ माह मे होने के कारण -:
आषाढ़पर्वल्पुदपानवम नदीमवाहान फलमूलवारात्तान |
गांधारकाश्मीरपुलिंदचीनान हतान्वदेत महलवर्षमस्मिन ||
उपरोक्त श्लोक के अनुसार यदि ग्रहण आषाढ़ माह मे हो तो तालाब-नदि आदि, फल-मूल, कंधार, काश्मीर, पुलिंद, चीन आदि का नाश हो |
यह ग्रहण रविवार को होने के कारण-:
अल्पं धान्यल्प मेघाश्च स्वल्पक्षीराश्च धनेव:
कलिंड्गदेश पीड़ा च ग्रहणे रविवासरे ||
रविवार को ग्रहण होने से वर्षा की कमी, धान्य का अल्प होना, गायों का दूध कम होना, राजाओ मे युद्ध, कलिंग(पूर्व भारत में गंगा से गोदावरी तक विस्तृत एक शक्तिशाली साम्राज्य) और घृत-तेल के बेच देने से लाभ होवे |
मिथुन राशि मे यह ग्रहण होने के कारण राजा, राजाओ के सदृश्य, उत्तम स्त्रियाँ, सुमन्न देश, बलवान, कला कुशल, यमुना तट, मत्स्य प्रदेश इत्यादि के लोगो को विशेष कष्ट की प्राप्ति होती है |
एक माह मे दो ग्रहण होने का फल विशेष -:
यघैकमासे ग्रहणम भवेच्च राशि सूर्ययो
राजयुद्धम तदा ज्ञेयं क्षयं याति वसुंधरा |
एक ही महीने मे चन्द्र-सूर्य का ग्रहण होने के कारण राजाओ के युद्ध, चोरो का उपद्रव, पाप कर्मो की वृद्धि, साधु-संतो को पीड़ा, जगत मे अनेक प्रकार के क्लेश होते है |
इस ग्रहण की विशेष बात ये होगी की मंगल को छोड़कर शुक्र-बुध-गुरु-शनि-राहू-केतू वक्र गति मे चल रहे होंगे और ऐसा होना साधारण बात नहीं है, अत: विशेष रूप से कई प्रकार की प्राकृतिक आपदाये उपरोक्त उल्लेखित स्थानो पर विशेष रूप से परिलक्षित हो सकती है जिसमे से वृष्टि का असंतुलन एवं भूकंप मुख्य रूप से प्रभावित करेंगे |
विशेष रूप से इस काल विशेष मे गुरु मंत्र का जाप, इष्ट साधना एवं विशेष कृत्य इत्यादि विशेष फलो को प्रदान करने वाले रहे |
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