सचिन सिंह चौहान's Album: Wall Photos

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*सकारात्मक सोच का महत्तव.. एक व्यक्ति ऑटो से रेलवे स्टेशन जा रहा था।*
*ऑटो वाला बड़े आराम से ऑटो चला रहा था।*
*एक कार अचानक ही पार्किंग से निकलकर रोड पर आ गई।*
*ऑटो ड्राइवर ने तेजी से ब्रेक लगाया और कार, ऑटो से टकराते-टकराते बची।*

*कार चला रहा आदमी गुस्से में ऑटोवाले को ही भला-बुरा कहने लगा जबकि गलती उसकी थी।*
*ऑटो चालक एक सत्संगी (सकारात्मक विचार सुनने-सुनाने वाला) था उसने कार वाले की बातों पर गुस्सा नहीं किया और क्षमा माँगते हुए आगे बढ़ गया।*

*ऑटो में बैठे व्यक्ति को कार वाले की हरकत पर गुस्सा आ रहा था और उसने ऑटो वाले से पूछा... तुमने उस कार वाले को बिना कुछ कहे ऐसे ही क्यों जाने दिया उसने तुम्हें भला-बुरा कहा जबकि गलती तो उसकी थी।*

*हमारी किस्मत अच्छी है.. नहीं तो उसकी वजह से हम अभी अस्पताल में होते।*

*ऑटो वाले ने बहुत ही मार्मिक जवाब दिया...'साहब, बहुत से लोग गार्बेज ट्रक (कूड़े का ट्रक) की तरह होते हैं, वे बहुत सारा कूड़ा अपने दिमाग में भरे हुए चलते हैं..*

*जिन चीजों की जीवन में कोई ज़रूरत नहीं होती उनको परिश्रम करके जोड़ते रहते हैं।*
*जैसे. क्रोध, घृणा, चिंता, निराशा आदि जब उनके दिमाग में इनका कूड़ा बहुत अधिक हो जाता है.... तो, वे अपना बोझ हल्का करने के लिए इसे दूसरों पर फेंकने का मौका ढूँढ़ने लगते हैं।*

*इसलिए .मैं ऐसे लोगों से दूरी बनाए रखता हूँ और उन्हें दूर से ही मुस्कराकर अलविदा कह देता हूँ, क्योंकि .अगर उन जैसे लोगों द्वारा गिराया हुआ कूड़ा मैंने स्वीकार कर लिया. तो, मैं भी कूड़े का ट्रक बन जाऊँगा और अपने साथ-साथ आसपास के लोगों पर भी वह कूड़ा गिराता रहूँगा।*

*मैं सोचता हूँ जिंदगी बहुत ख़ूबसूरत है इसलिए.. जो हमसे अच्छा व्यवहार करते हैं उन्हें धन्यवाद कहो और जो हमसे अच्छा व्यवहार नहीं करते उन्हें मुस्कुराकर भुला दो।*

*हमें यह याद रखना चाहिए कि सभी मानसिक रोगी केवल अस्पताल में ही नहीं रहते हैं. कुछ हमारे आसपास खुले में भी घूमते रहते हैं।*

*साहब यह प्रकृति के नियम है*

*यदि खेत में बीज न डाले जाएँ.. तो, प्रकृति उसे घास-फूस से भर देती है।*

*उसी तरह से.. यदि दिमाग में सकारात्मक विचार न भरें जाएँ तो नकारात्मक विचार अपनी जगह बना ही लेते हैं।*

*आप खुद सोच के देखें*
*जिसके पास जो होता है वह वही बाँट सकता है ना.. “सुखी” सुख बाँटेगा, “दुखी” दुख बाँटेगा, इसी तरह “ज्ञानी” ज्ञान बाँटता है, “भ्रमित” भ्रम बाँटता है और.... “भयभीत” भय बाँटता है। इसी तरह जो खुद डरा हुआ है वह, औरों को डराता है, दबा हुआ दबाता है, चमका हुआ चमकाता है।*

*इसलिए.. नकारात्मक विचार वाले लोगों से सकारात्मक दूरी बनाकर खुद को नकारात्मकता से दूर रहें और जीवन में सकारात्मकता अपनाएं!