बचपन मे मैंने ये खूब देखा है हमरे यहां इसे कांटा कहते थे कुंए से बाल्टी निकालने के काम आता था..गांव में दो चार घरों में होता था जिसके यहां ये होता उसकी काफी इज्जत होती थी...कुंए में बाल्टी छूट जाने के बाद इसे रस्सी बांधके पानी में घंटो खबड़ खबड़ करके बाल्टी निकाली जाती थी और कुंए पर ढेर भीड़ जमा हो जाती...काफी मसक्कत के बाद जब बाल्टी निकलती तो हम सब लोग खूब तालियां बजाते थे...अगर आपने ये देखा है मतलब आपने एक शानदार बचपन जिया है आपके यहाँ इसे क्या कहते थे...आज की नई पीढ़ी तो इसे जानती ही नहीं होगी...