#मोक्ष पाटम #
जो वर्तमान का# सांप सीढ़ी #हो गया
तेरहवीं शताब्दी के संत कवि ज्ञानदेव ने मोक्ष पाटम नामक एक बच्चो का खेल बनाया।अंग्रेजो ने इसे बाद में सांप सीढ़ी का नाम दिया और मूल मोक्ष पाटम को पतला कर दिया।
मूल एक सौ वर्ग गेम बोर्ड में ,१२ वा वर्ग विश्वास था,५१वा वर्ग विश्वसनियता था,५७वा वर्ग उदारता ७६वा वर्ग ज्ञान था,७८वा वर्ग तप था ,ये वे वर्ग थे जहां सीढ़ी पाई जाती थी कोई भी तेजी से आगे बढ़ सकता था। ४१वा वर्ग अवज्ञा के लिए था ,घमंड के लिए ४४ वा वर्ग था, अशिष्टता के लिए ४९वा वर्ग,चोरी के लिए ५२वा वर्ग, झूठ बोलने के लिए५८वा वर्ग,नशे के लिए ६२वा वर्ग,कर्ज के लिए६९ वा वर्ग,क्रोध के लिए ८४वा वर्ग,लालच के लिए ९२वा वर्ग,अभिमान के लिए ९५वा वर्ग,हत्या के लिए ७३वा वर्ग,और वासना के लिए ९९ वा वर्ग,
ये वह वर्ग थे जहा सांप के मुंह खुलने का इंतजार किया जाता था ।
१०० वे वर्ग में निर्वाण या मोक्ष का प्रतिनिधित्व किया जाता था