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बंगाल का “जफर खान गाजी मस्जिद और दरगाह” विष्णु मन्दिर है!
(लेखक: मुकेश कुमार वर्मा)
आप बहराईच के गाजी बाबा, मोहम्मद गजनवी का भांजा, सालार जंग #गाजी जो हिन्दुओं का नरसंहार, बलात्कार और मन्दिरों को तोड़ता, लूटता बहराईच तक पहुंच गया था जिसे राजा सुहैल देव पासी ने सेना सहित काटकर बहराईच में दफन कर दिया था की कहानी पढ़े होंगे. ऐसा ही एक गाजी बाबा बंगाल के हुगली जिले में त्रिवेणी (बंडेल से ४ किमी दूर, बांसबेरिया, शिवपुर), में भी है.
दक्षिण बंगाल के सप्तग्राम (हुगली जिले में) में मान नृपति नाम का एक स्थानीय क्षत्रप था. प्राचीनकाल में सप्तग्राम एक विश्वप्रसिद्ध अंतर्राष्ट्रीय व्यापार क्षेत्र था. यह बंगाल का प्रसिद्ध बन्दरगाह था. सप्तग्राम एक प्रसिद्ध तीर्थस्थल भी था. इसी सप्तग्राम में पवित्र तीर्थस्थल त्रिवेणी था. यहाँ गंगा के साथ यमुना की एक धारा और दक्षिण सरस्वती की एक धारा (सोलहवीं सदी तक) आकर मिलती थी इसलिए इसे दक्षिण का प्रयाग भी कहा जाता था. प्रयागराज के संगम को युक्तवेणी और त्रिवेणी, हुगली के संगम को मुक्तवेणी कहा जाता था. हर साल मकरसंक्रांति को यहाँ मेला लगता था. इस तीर्थस्थल की चर्चा महाभारत और भागवत पुराण में भी है.
सप्तग्राम नाम प्रसिद्ध सप्तऋषियों के नाम पर पड़ा था जो वैदिक काल में यहाँ आकर पवित्र त्रिवेणी में स्नान किये थे और निवास किये थे. इन सातों ऋषियों के नाम पर यहाँ सात गाँव था जिसके कारन यह क्षेत्र सतगांव अब सप्तग्राम कहलाता है. यह एक समय विकसित शहर था और दक्षिण बंगाल की राजधानी भी होता था.
तेरहवीं सदी की बात है. एकदिन सप्तग्राम में आकर रहनेवाले एक मुस्लिम ने अपने पुत्र के खतना के अवसर पर गाय काटकर भोज किया. यह खबर पुरे बंगाल में आग की तरह फ़ैल गया. हिन्दुओं केलिए गौ माता के सामान पूजनीय और पवित्र थी. वेदों में गौ वध का निषेध है और गौ की हत्या पर मृत्युदंड का विधान है. लोग गुस्से से लाल हो गये थे. उस समय बंगाल में सभी हिन्दू थे. आक्रमणकारी मुसलमान बंगाल की माटी को पददलित करना शुरू ही किये थे. उस समय नीच, हिन्दू विरोधी वाममार्गी असुरों का भी बंगाल में नामोनिशान तक नहीं था. इसलिए पवित्र तीर्थस्थल सप्तग्राम में गौवध से सभी हिन्दू आहत और क्रोधित थे. उन्होंने मान नृपति से उसे दंड देने की मांग की. राजा मान नृपति ने उस मुसलमान के बेटे को मौत की सजा दी और उसे मौत के घाट उतार दिया गया.
इस बात से दुखी होकर उस मुसलमान परिवार ने अपने राजा मान नृपति की शिकायत दिल्ली सल्तनत में जाकर कर दी. दिल्ली सल्तनत का बादशाह फिरोज शाह ने जफर खान गाजी के नेतृत्व में विशाल सैनिक भेजकर राजा को दण्डित करने का आदेश दिया. जफर खान गाजी के साथ उसका दायाँ हाथ और भांजा शाह सूफी भी था. उन दोनों ने हिन्दुओं के कत्लेआम और राजा सहित सभी को मुसलमान बनाने के उद्देश्य से सप्तग्राम पर हमला कर दिया. मान नृपति ने उनका डटकर मुकाबला किया और उसका भांजा शाह सूफी को मार गिराया (पांडुआ में दफन). अगले दिन के युद्ध में मान नृपति को हार का सामना करना पड़ा. सप्तग्राम पर मुसलमानों ने अधिकार कर लिया और फिर वहां भी हिंसा, नरसंहार, बलात्कार, जबरन धर्मांतरण, मन्दिरों को तोड़ने तथा बड़े मन्दिरों, मठों को मस्जिद और मदरसा बनाने का वही नंगा नाच शुरू हो गया जो अरब से लेकर सिंध और भारत में अबतक होता आ रहा था. मान नृपति को भी प्रताड़ित कर जबरन मुसलमान बना दिया गया (जिससे आहत उसने सम्भवतः आत्महत्या कर लिया). उसने पवित्र तीर्थस्थल त्रिवेणी संगम पर स्थित विशाल विष्णु मन्दिर को लूटा और भ्रष्टकर उसे मस्जिद बना दिया.
हुगली के राजा भूदेव जफर खान गाजी के इस भयानक कुकृत्य पर क्रोध से लाल हो गये. उन्होंने जफर खान गाजी को ललकार कर हमला कर दिया. प्रचंड युद्ध हुआ. राजा भूदेव ने जफर खान गाजी का सिर भुट्टे की तरह काटकर फेंक दिया जो आजतक नहीं मिला. जफर खान गाजी की सेना दुम दबाकर भाग गयी.
यहाँ हिन्दुओं से फिर गलती हुई. आवश्यकता इस बात की थी की वे जफर खान गाजी के भागते हुए सेना का पीछा कर उसे बंगाल की पवित्र धरती से जड़ मूल सहित खत्म कर देते पर एसा करने से चूक गये जिसका परिणाम अच्छा नहीं हुआ. जफर खान गाजी का पुत्र उघवान खान ने अपने बाप जफर खान गाजी का धड़ उसी मस्जिद में जो कुछ दिन पहले तक प्रसिद्ध विष्णु मन्दिर था लाकर मन्दिर के गर्भगृह में दफना दिया. अब वही विष्णु मन्दिर जफर खान गाजी मस्जिद और दरगाह के रूप में जाना जाता है.
स्थानीय लोग आज भी इस जफर खान गाजी मस्जिद और दरगाह के बारे में जानते हैं की यह एक मन्दिर था. इसके मन्दिर होने की जानकारी मुझे एक स्थानीय व्यक्ति से ही मिला था. ब्रिटिश रिकार्ड में इसी को त्रिवेणी मन्दिर के रूप में वर्णन किया गया है और यह मन्दिर खुद चीख चीख कर कहता है की मैं मन्दिर हूँ. इन सबके बाबजूद सेकुलर सरकार, वामपंथी इतिहास्यकार और Archaeological Survey of India (ASI) इसे मस्जिद और मकबरा घोषित कर रखा है.