हिंदू धर्म के अनुसार प्रकृति में शामिल प्रत्येक प्राणी, वनस्पति आदि में भगवान का अंश है। हमारे ऋषि-मुनियों ने उनमें धर्म भाव पैदा करने के लिए धर्म से जोड़कर किसी विशेष तिथि, दिवस या अवसर का निर्धारण किया है। इसी क्रम में नाग को देव प्राणी माना गया है। इसलिए श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को नागपंचमी का पर्व मनाया जाता है । इस दिन नागों का पूजन किया जाता है।
नागपंचमी का यह पर्व यह संदेश देता है कि नाग जाति की उत्पत्ति मानव को हानि पहुंचाने के लिए नहीं हुई है। नाग पर्यावरण के संतुलन को बनाए रखते हैं। चूंकि हमारा देश कृषि प्रधान देश है एवं नाग खेती को नुकसान करने वाले चूहे एवं अन्य कीट आदि का भक्षण कर फसल की रक्षा ही करते हैं। इस प्रकार यह हम पर नाग जाति का उपकार होता है।
अत: नाग को मारना या उनके प्रति हिंसा नहीं करना चाहिए । मूलत: नागपंचमी नाग जाति के प्रति कृतज्ञता के भाव प्रकट करने का पर्व है । यह पर्व नाग के साथ प्राणी जगत की सुरक्षा, प्रेम, अहिंसा, करुणा, सहनशीलता के भाव जगाता है । साथ ही प्राणियों के प्रति संवेदना का संदेश देता है।