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उपछाया चंद्र ग्रहण (5जून 2020)


चन्द्र ग्रहण क्या होता है
चन्द्रग्रहण उस घटना को कहते हैं जब चन्द्रमा और सूर्य के बीच में धरती आ जाती है और धरती की पूर्ण या आंशिक छाया चांद पर पड़ती है। इससे चांद बिंब काला पड़ जाता है। सूर्यग्रहण को नंगी आंखों से देखने पर नुकसान पहुंच सकता है लेकिन चन्द्र ग्रहण को नंगी आंखों से भी देखा जा सकता है। इसे देखने के लिए किसी तरह के चश्मे की जरुरत

नहीं पड़ती
उपछाया चंद्र ग्रहण क्या है
ग्रहण लगने से पहले चंद्रमा पृथ्वी की उपछाया में प्रवेश करती है जिसे चंद्र मालिन्य कहते हैं अंग्रेजी में इसको (Penumbra) कहते हैं। इसके बाद चांद पृथ्वी की वास्तविक छाया भूभा (Umbra) में प्रवेश करता है। जब ऐसा होता है तब वास्तविक ग्रहण होता है। लेकिन कई बार चंद्रमा उपछाया में प्रवेश करके उपछाया शंकु से ही बाहर निकल कर आ जाता है और भूभा में प्रवेश नहीं करता है। इसलिए उपछाया के समय चंद्रमा का बिंब केवल धुंधला पड़ता है, काला नहीं होता है। इस धुंधलापन को सामान्य रूप से देखा भी नहीं जा सकता है। इसलिए चंद्र मालिन्य मात्र होने की वजह से ही इसे उपछाया चंद्र ग्रहण कहते हैं ना कि चंद्र ग्रहण।

हिन्दु धर्म में चंद्र ग्रहण एक धार्मिक घटना है जिसका धार्मिक दृष्टि से विशेष महत्व है. जो चन्द्रग्रहण नग्न आँखों से नहीं दिखता उसका धार्मिक महत्व नहीं होता है. सिर्फ उपच्छाया वाले चंद्र ग्रहण ही नगन आंखों से नहीं दिखते हैं इसलिए उनका पंचांग में कोई महत्व नहीं है. पंचांग में केवल प्रच्छाया वाले चंद्र ग्रहण का महत्व होता है क्योंकि वह नग्न आंखों से देखा जा सकता है. इसलिए मेरी नज़र में इस उपछाया ग्रहण का धार्मिक महत्व नही है और इससे घबराने की भी कोई जरूरत नही है क्योंकि इसका प्रभाव नही होता है यह चंद्र ग्रहण न होकर उपछाया ग्रहण होता है इसमे आपको चंद्रमा कटता हुआ नही दिखेगा सिर्फ धुंधला दिखेगा जैसे फोकस आउट होता है इस उपछाया ग्रहण का कोई सूतक भी नही होता है इसलिए चिंता मत कीजिये सब सही है बेकार घबराने की जरूरत नही है

अब टीवी पर बैठकर कोई अपनी पब्लिसिटी करेगा सबको डराने का काम करेगा दुनिया खत्म होने वाली है प्रलय आ जायेगी आप सब इन चीज़ों पर ध्यान मत दीजिये चिंता चिता समान होती है इंसान इतना परेशानी से नही घबराता जितना वो गलत और झूठी खबरों से घबरा जाता है ज्योतिष एक भृम का जाल बनता जा रहा है क्या सही है क्या गलत है हम सही फैसला नही ले पाते है इसलिए कहा जाता है ज्योतिष गलत नही होता है ज्योतिष को करने वाला गलत हो सकता है पंचाग में उपछाया ग्रहण का कोई प्रभाव नही बताया गया है और न ही शास्त्रों में लिखा है इसका कोई बुरा प्रभाव होता है क्योकि उपछाया ग्रहण को चंद्र ग्रहण की कोटि में नही रखा गया है यह उपछाया में आएगा चंद्रमा और छाया से ही बाहर निकल जाएगा

ज्येष्ठ मास की पूर्णिमा तिथि 5 जून को है। इस दिन लगने वाला उपछाया चंद्र ग्रहण 3 घंटे और 18 मिनट का होगा। यह चंद्र ग्रहण 5 जून को रात को 11.15 शुरू होगा और 6 जून को सुबह के12.54 बजे तक अपने अधिकतम ग्रहण पर पहुंचेगा। उपछाया चंद्र ग्रहण 6 जून सुबह 2.34 पर खत्म हो जाएगा।

इस ग्रहण का कोई भी प्रभाव नही होगा न इसका सूतक मान्य होगा

दूसरा चंद्र ग्रहण जो 5 जुलाई को लग रहा है वो भारत मे नही दिखाई देगा जब वो दिखाई ही नही देगा तो उसका भी कोई प्रभाव नही माना जाएगा और न ही उसका सूतक मान्य होगा

इस महीने 3 ग्रहण लग रहे है जून से जुलाई तक अब इसमें दोनों चंद्र ग्रहण का कोई प्रभाव नही है सिर्फ एक ग्रहण सूर्य ग्रहण अपना प्रभाव देगा

उसका भी में लिख दूंगा जब वो लगेगा उसके आस पास ही इसलिए घबराने की जरूरत नही है उपछाया ग्रहण का प्रभाव आप पर आपकी राशियों पर नही रहेगा