"चिंगारी आजादी की सुलगती मेरे जिस्म में हैं. इंकलाब की ज्वालाएं लिपटी मेरे बदन में हैं। मौत जहां जन्नत हो, यह बात मेरे वतन में है। कुर्बानी का जज्बा जिंदा मेरे कफन में है।" - चंद्रशेखर आजाद
स्वयं के लिए ना जीकर उन्होंने अपना सर्वस्व देश पर अर्पण कर दिया, भारत माँ के सच्चे सपूत की गौरव गाथा हमें और हमारी आने वाली पीढीयों को सदैव प्रेरित करती रहेगी, आज क्रांति वीर चन्द्रशेखर आजाद जी की जयंती पर कोटि कोटि प्रणाम !