अशोक राम पटेल's Album: Wall Photos

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वैसे तो 20वीं सदी में भारत में अनेक गरिमायुक्त महापुरुष हुए हैं परन्तु राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के द्वितीय सरसंघचालक श्रीगुरुजी उन सब से भिन्न थे, क्योंकि उन जैसा हिन्दू जीवन की आध्यात्मिकता, हिन्दू समाज की एकता और हिन्दुस्थान की अखण्डता के विचार का पोषक और उपासक कोई अन्य न था| 19 फरवरी 1906 को जन्में गुरु गोलवलकर का पूरा नाम माधवराव सदाशिवराव गोलवलकर था |

अत्यंत प्रतिभाशाली गुरुजी ने 16 अगस्त 1931 को बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय के प्राणि-शास्त्र विभाग में निदर्शक का पद संभाला था और ये उनकी योग्यता का परिचायक है| बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय में ही पहली बार वह आरएसएस के प्रभाव में आए| यहीं गुरुजी की मुलाकात आरएसएस के संस्थापक डा. हेगडेवार से हुई जो गुरुजी से पहली ही मुलाकात में प्रभावित हो गए और उन्होंने गुरुजी को संघ में आने का न्यौता दे दिया| जल्द ही संघ के सभी सदस्य गुरुजी के आदर्शों से प्रभावित होने लगे और उनकी छवि दिन ब दिन मजबूत होती चली गई और 1941 में डा. हेगडेवार जी की मृत्यु के बाद उन्हें दूसरे सरसंघचालक की भूमिका मिली|

संघ के विशुद्ध और प्रेरक विचारों से राष्ट्रजीवन के अंगोपांगों को अभिभूत किए बिना सशक्त, आत्मविश्वास से परिपूर्ण और सुनिश्चित जीवन कार्य पूरा करने के लिए सक्षम भारत का खड़ा होना असंभव है, इस जिद और लगन से उन्होंने अनेक कार्यक्षेत्रों को प्रेरित किया | विश्व हिंदू परिषद्, विवेकानंद शिला स्मारक, अखिल भारतीय विद्दार्थी परिषद्, भारतीय मजदूर संघ, वनवासी कल्याण आश्रम, शिशु मंदिरों आदि विविध सेवा संस्थाओं के पीछे श्री गुरुजी की ही प्रेरणा रही है|

एक निष्काम कर्मयोगी की भांति गुरूजी ने सम्पूर्ण जीवन संघ कार्य और राष्ट्र कार्य के लिए समर्पित कर दिया| 5 जून 1973 को नागपुर में गुरु जी की कैंसर के कारण मृत्यु हो गई| देह की सीमाएँ होती होगी...पर व्यक्तित्व अमर है... गुरुजी आज हमारे बीच नहीं हैं लेकिन अपने विचारों और कृतित्व में वे आज भी जीवित हैं| उनके बताये मार्ग पर संघ हम सभी स्वयंसेवक निरंतर चलते रहेंगे, यही हम सबकी अपेक्षा है..|

आज उनके निर्वाण दिवस पर शत शत नमन एवं विनम्र श्रद्धांजलि...