अशोक राम पटेल's Album: Wall Photos

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#मणिकर्णिका श्मशान का "#भिखारीमहल"
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एक करोड़ 80 लाख में मंदिर प्रशासन ने
किया था "भिखारी धर्मशाला" का सौदा
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#उड़ता_बनारस
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मणिकर्णिका श्मशान के पास स्थित #भिखारीमहल जिसे आसपास के लोग एक भिखारी के धन से बनवाए जाने के कारण "भिखारी धर्मशाला" के नाम से जानते थे, अब मुक्तिधाम का हिस्सा बन चुका है. 9 जून को दोपहर में इस भवन के अधिकांश हिस्से को गिराया जा चुका था. बताते हैं कि इसके निर्माण की कहानी काफी दिलचस्प है. और यही है #पक्काप्पा संस्कृति की विशेषता, जहां भिखारियों के रहने के लिए भी "महल" बना था, जिसे अब जमींदोज कर दिया गया है.

दरअसल ऐसी परम्परा है कि काशीवास के लिए यहां जो भी आया, उसने अपनी क्षमता अनुसार कुछ दिया ही है. किसी ने लिया नहीं है. और न ही यहां की संस्कृति, सभ्यता व जीवनशैली से छेड़छाड़ ही किया है. वह चाहे महारानी अहिल्या बाई रही हों या रानी भवानी..! सबने काशी को संवारने का काम किया है. इसके अलावा अनेक विद्वान भी यहां शिक्षा प्राप्त करने के लिए आते-जाते रहे.

चर्चा मणिकर्णिका के भिखारीमहल की हो रही थी. इस "महल" को खरीदने के बाद श्री काशी विश्वानाथ मंदिर प्रशासन ने अपना दावा पेश करते हुए 6 जून को दोपहर में वहां बुल्डोजर लगाकर ध्वस्तीकरण की प्रक्रिया शुरू कर दी थी, जिसका वहां रहने वाले कुछ साधुओं ने प्रतिरोध किया था. जिसे पुलिस व सुरक्षाकर्मियों ने असफल कर दिया था. प्रतिरोध करने वाले तीन साधुओं को पुलिस ने गिरफ्तार भी किया था, जो अपने को एक चर्चित स्वामी का शिष्य बता रहे थे.

कहते हैं कि इस धर्मशाला के निर्माण का संकल्प एक भिखारी ने लिया था. वह प्रतिदिन भिक्षाटन करता था और जो कुछ मिलता था, उसका एक हिस्सा पक्कामहाल में रहने वाले एक सम्मानित व्यक्ति के पास जमा कर देता था. बातचीत में वे अक्सर उससे पूछते थे कि यह पैसा मेरे पास क्यों जमा करते हो ? उसका जवाब था कि "हम चाहते हैं कि श्मशान पर रहने वाले भिखारियों के लिए यहां एक धर्मशाला बनाएं." क्योंकि ठंड, गर्मी व वर्षा के मौसम में उन्हें काफी तकलीफ होती है.

अपने जीवनकाल में वह अपने संकल्प को पूरा नहीं कर सका. उसका भिखारियों के लिए घर बनाने का सपना अधूरा ही रह गया. कहते हैं कि जिस व्यक्ति के पास वह अपना धन जमा करता था. वह डालमिया परिवार के प्रतिनिधि थे और उनके कार्य व सम्पत्ति की बनारस में देखभाल करते थे. भिखारी के निधन के बाद वह भी काफी दुखी रहने लगे और इसकी चर्चा उन्होंने डालमिया परिवार के सदस्यों से की.

भिखारी के संकल्प के बारे में जानकारी होने पर डालमिया परिवार के लोगों ने उसके द्वारा एकत्रित किए गए धन में और रुपये मिलाकर मणिकर्णिका घाट के मुहाने पर गंगा के किनारे भिखारियों के रहने के लिए एक भव्य भवन का निर्माण करा दिया. जिसमें भिखारियों के रहने के कारण इसे लोग "भिखारी धर्मशाला" कहने लगे..! तो इस तरह से भिखारियों के लिए घाट पर बनकर तैयार हो गया #भिखारीमहल...! इसके बरामदे में घाट पर मुर्दा फूंकने आने वाले शवयात्री भी विश्राम करते थे.

धीरे-धीरे कुछ दबंग लोग इसके कई हिस्सों पर कब्जा कर लिए..! इस भिखारीमहल के नीचले हिस्से में एक विनायक की मूर्ति भी स्थापित की गई है. और भी कई देवी-देवता हैं, जो फिलहाल वहां तोड़े गए भवन के मलबे में दबे पड़े हैं. कहते हैं कि इस भवन पर जिन लोगों ने अपना मालिकाना दावा पेश किया था, उनसे विश्वनाथ मंदिर प्रशासन ने इस मकान को खरीदा है.

इस धर्मशाला को तोड़े जाने की प्रक्रिया 6 जून को शुरू होेने के बाद अखबारों में छपी खबर के मुताबिक इसका सौदा एक करोड़ 80 लाख रुपये में हुआ था. और इस प्रकार से भिखारीमहल को खरीद कर मंदिर प्रशासन ने उसे अब मुक्तिधाम का हिस्सा बना लिया है.

अब मणिकर्णिका से लेकर ललिता घाट तक लगभग 500 मीटर का गंगा का किनारा मुक्तिधाम का हिस्सा बन चुका है. जलासेन घाट के ऊपर स्थित मलिन बस्ती व गोयनका छात्रावास को जमींदोज करके उसे पहले ही काॅरिडोर का हिस्सा बनाया जा चुका है.

लाॅकडाउन के बावजूद यहां निर्माण कार्य तेजी से चल रहा है. मुक्तिधाम को चारों तरफ से टीन की चादर लगाकर घेर दिया गया है. ललिताघाट की जादुई गली जिसमें राजराजेश्वरी मंदिर है में मलबा पड़ा है. इस जादुई गली के ऊपर से जेसीबी अब आराम से आती-जाती है.

जलासेन घाट के ऊपर कभी रही मलिन बस्ती से होते हुए जेसीबी मणिकर्णिका घाट की सीढ़ियों से नीचे उतर कर ललिता घाट तक चली जाती है. वहीं गंगा की जलधारा में जेसीबी से मुक्तिधाम का मलबा भी गिराया गया है. वहां बालू की बोरियां लगाकर गंगा की धारा को घेर लिया गया है. इस तरह नमामि गंगे प्रोजेक्ट के तहत भी जलासेन घाट व ललिता घाट पर विकास कार्य तेजी से चल रहा है.

#पुनश्च : मणिकर्णिका घाट पर गंगा किनारे स्थित "भिखारीमहल" यानी धर्मशाला 9 जून को दोपहर में कुछ ऐसा दिखा. इस मकान की अधिकांश दीवारों को ध्वस्त किया जा चुका है. मलबा के बगल में जो पत्थर की दीवार दीख रही है, वह जलासेन घाट है.....