अपने सुन्दर चेहरे को देख कर इतराने वालों ईश्वर ने जब ये हम सबका शरीर बनाया तो उन्होंने इसे ऐसे ही रहने देना चाहा पर कन्हैया को दया आ गई ! कान्हा ने सोचा 'इसको देखकर इसकी पिंडली खाने के लिये कुत्ते दौड़ेगें, इसकी आंख कौवे नोच लेंगे ! ये बेचारा हाथ में दण्डा लिये ऊपर नीचे बगुले , कौवे और कुत्तों को भगाता हुआ दण्डी महात्मा बन जायेगा, पर ये परेशान प्राणी मक्खियों और छोटे छोटे कीड़ों को कैसे हटायेगा . बस यही सोचकर हम सब की रक्षा के लिये एक पतली सी झिल्ली (त्वचा) चढा दी ताकि शरीर की घृणित चीजें छिपी रहें ! जिससे हम सब कुत्तों और कौवों के भक्ष्य न बनें और मक्खियां और कीड़े आकर परेशान न करें ! बस उतनी सी झिल्ली ही हम लोगों के मोह का कारण है! इस झिल्ली के नीचे कुछ भी ऐसा नही है कि जो हम या आप लोगों को अच्छा लगे.
बाकि क्या करना है क्या नही आप सब स्वयं समझदार है !!
जय-जय श्री राधे
क्यों मारे मारे फिर रहे हो,
निरंतर कर्म योनियों में भटक रहे हो.....
अब तो ठहर जा रे पगले........!
यह मनुष्य का शरीर,
बड़े भाग्य से मिला है,
इसका सदुपयोग कर ,
और भगवान का भक्ति कर....