सुबोध हिंदू's Album: Wall Photos

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*श्रीकृष्ण की दिनचर्या*
आजकल कथावाचक श्रीकृष्ण जी के बारे मे काल्पनिक कहानियाँ सुनाते हैं। महाभारत मे क्या कहा गया है उनके विषय मे -
श्रीकृष्ण जी की प्रातःकालीन दिनचर्या क्या रहती थी, यह महाभारत में वैशम्पायनजी ने जनमेजय से प्रकट की है―

*ततः शयनमाविश्य प्रसुप्तो मधुसूदनः ।*
*याममात्रार्धशेषायां यामिन्यां प्रत्यबुद्ध्यत ।।*

_'श्रीकृष्ण आधा प्रहर रात बीतने में शेष रहते शय्या छोड़ देते थे।' उसके पश्चात् ध्यानमार्ग में स्थित हो सत्य सनातन परमेश्वर का चिन्तन, स्तुति, प्रार्थना तथा उपासना करते थे।_

स्नान के पश्चात् गायत्रीमन्त्र का जाप कर अग्निहोत्र करते थे, और―
*ततः सहस्रं विप्राणां चतुर्वेदविदां तथा ।*
*गवां सहस्रेणैकैकं वाचयामास माधवः ।।*
―शान्तिपर्व अ० ५३

_'उसके बाद चारों वेदों के विद्वानों को बुलाकर वेदमन्त्रों का पाठ एवं उपदेश कराकर विद्वानों को गायों का दान किया करते थे।'_
श्रीकृष्ण यात्रा, प्रवास तथा युद्ध में भी सन्ध्या तथा अग्निहोत्र–जैसे महायज्ञों से कभी विरत नहीं होते थे―

( १ ) सन्धि का सन्देश लेकर वे हस्तिनापुर जा रहे थे, तब मार्ग में ऋषियों के आश्रम में विश्राम किया। महाभारत (उद्योग०अ० ८३) के अनुसार―प्रातःकालीन सन्ध्यावदन तथा वैदिक अग्निहोत्र के बाद उन्होंने ऋषियों से कल्याणप्रद उपदेश सुना।

( २ ) मार्ग में जब सूर्य अस्ताचल पर था तब श्रीकृष्ण ने―
*अवतीर्य रथात् तूर्णं कृत्वा शौचं यथाविधिः ।*
*रथमोचनमादिश्य सन्ध्यामुपविवेश ह ।।*
―उद्योगपर्व ८५.२१
_'रथ रुकवाया। रथ से उतरकर शौचादि से निवृत्त हो, वे सन्ध्या करने बैठ गये।'_

( ३ ) श्रीकृष्ण महात्मा विदुर के पास ठहरे। प्रातःकाल उन्होंने यथासमय सन्ध्या और अग्निहोत्र किया। जिस समय दुर्योधनादि श्रीकृष्ण से मिलने आये उस समय―

*सन्ध्यां तिष्ठन्तमभ्येत्य दाशार्हमपराजितम् ।*―उद्योग० अ० ९४
_'श्रीकृष्ण सन्ध्यावन्दन में प्रवृत्त थे।'_

( ४ ) श्रीकृष्ण युद्ध में भी सन्ध्या-समय होने पर सन्ध्या करना नहीं भूलते थे―
*ततः सन्ध्यामुपास्यैव वीरौ वीरावसादने ।*
*कथयन्तौ रणे वृत्ते प्रयातौ रथमास्थितौ ।।*
―द्रोणपर्व अध्याय ७२

_'श्रीकृष्ण और अर्जुन दोनों ने परमेश्वर की उपासना―सन्ध्या-वन्दन की और फिर युद्ध-स्थल से अपने शिविर की ओर चल पड़े।'_