Sudip Bera's Album: Wall Photos

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‘कभी-कभी लोग कहते हैं जो भिन्न-भिन्न सम्प्रदाय चलते हैं, उनका विनाश करने के लिए आप चले हैं क्या? स्वामी विवेकानन्द के शब्दों में हम कह सकते हैं कि ऐसा हमारा कोई संकल्प नहीं है. हम किसी से यह नहीं कहते कि तुम ईसाई मत बनो या इस्लाम के अनुसार कुरान शरीफ का अध्ययन करना या पाँच बार नमाज पढ़ना ठीक नहीं. हम इतना ही कहते हैं कि जो कुछ करना है ईमानदारी से करो, चारित्र्य सम्पन्न बनकर और मानवता पर प्रेम रख कर करो. सदाचरण आदि सर्वश्रेष्ठ सद्गुण संसार के यच्चयावत् मानव जाति के लिए हैं. उनका परिपालन करते हुए चलो. उनके नाम पर अपने स्वार्थ को पूर्ण मत करो, या व्यभिचार मत करो और विनाश मत करो, यही अपना आग्रह है.’

- श्री गुरुजी
(24 जनवरी, 1966 को प्रयाग में हुए विश्व हिन्दू परिशद के प्रथम अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन में श्री गुरुजी के उद्बोधन का अंश)