श्री रघुनाथ शरण बाबा एक बार संत मंडली के साथ कथा के निमित्त मुंबई आये थे । विचरण करते एक हॉस्पिटल (नाम नही लिखूंगा) सामने कोई संतप्रेमी मिला तो भगवान नाम महत्व पर उससे बात कर रहे थे । हाल ही मे नया नया हॉस्पिटल बनाया था और अच्छा चलने भी लगा था ।
इतने में वहां का मालिक बडा डॉक्टर निकला और चिल्लाया – ए यहां क्या बात कर रहे हो, क्यो आये हो यहां, कामधाम होता नही बाबाजी लोगो को दिनभर राम राम करते डोलते है , राम राम करने से सब हो जाता है क्या ?
संत जी ने उसको प्रेम से राम नाम का महात्म्य बताया पर वह घमंड दिखाने लगा । संत ने कहा- डॉक्टर साहब, राम नाम की शक्ति देखनी है तो ठीक है । हाथ मे जल लिया और कहां सीताराम -जल छोड़ दिया । डॉक्टर से बोले अब कुछ दिन छुट्टी ले लो, कुछ दिन यहां कोई इलाज कराने नही आएगा -ऐसा बोलकर चले गए । डॉक्टर को कुछ समझ मे आया नही और वो घर चला गया ।
कुछ देर मे उसके हॉस्पिटल के बाबू (सेवक) ने घर जाकर विस्मित होकर बताया कि साहब आज पता नही क्या हो गया , सारे मरीज एकदम स्वस्थ हो गए -बड़े बड़े गंभीर बीमारी में पड़े मरीज भी अचानक उठ खड़े हुए और जांच करने पर शरीर पूरा अच्छा रोगमुक्त मिला । कई दिनों से बेहोश पड़े लोग भी पता नही कैसे उठ खड़े हुए । कुछ दिन तक वहां जो आता, वह आते ही स्वस्थ हो जाता और उसकी जांच कराने पर कुछ नही मिलता । अंत मे वो डॉक्टर समझ गया की मै तो संतो को दरिद्री-भिक्षुक- बेकार सनाझता था पर मै तो मूर्ख और अपराधी हूं, उसने भगवान से क्षमा मांगी । कुछ दिन बाद बाबा अपने आश्रम वापस जाने को थे उस दिन हॉस्पिटल गए, डॉक्टर अपने कक्ष के बाहर परेशान हुए बैठा था।
बाबा सरकार को देखते ही चरण पकड़ लिया। बाबा बोले एक राम नाम मे कितनी शक्ति है यह तुम देख चुके, अब भजन खूब करो – संत कभी चमत्कार नही दिखाते पर कुछ लोगो को मार्ग पर लाने के लिए ठाकुर जी लीला करते है । नाम का महात्म्य जानकर वह सब छोड़कर कही भजन करने निकल गया और पुनः नही आया ।