वंडर वुमन कि यह फोटो चीन के स्टेट कंट्रोलड मीडिया द्वारा चीन के लोगों को स्ट्रीट वेंडिंग के लिए प्रोत्साहित करने हेतु पोस्ट की गई है
यदि आपको मामला समझ में नहीं आया तो बता दें की कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ चाइना हर चीनी नागरिक को स्ट्रीट वेंडर बनने के लिए प्रोत्साहित कर रही है और आधिकारिक मीडिया के माध्यम से कह रही है कि चीन में एक व्यक्ति प्रतिदिन 30,000 युआन कमा रहा है, इसलिए वंडर वुमन चीन भी अब चीन में एक स्ट्रीट वेंडर बनने के लिए दौड़ रही है!
लेकिन वास्तव में, चीन द्वारा यह तथाकथित "स्ट्रीट वेंडर इकोनॉमी" को ग्लोरीफाई करना यह दर्शाता है कि कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ चाइना को एक गंभीर आर्थिक संकट का सामना करना पड़ रहा है, जो दिखाई पड़ रही परिस्थितियों से भी कहीं अधिक गहरा है,
कोरोना वायरस की आपदा के कारण लोग अपने उपभोग कम कर रहे हैं, और विश्वभर में व्याप्त चीन विरोधी सेंटीमेंट के कारण चीन वैश्विक सप्लाई चेन से बाहर जाने कि ओर अग्रसर है, अब क्योंकि डिमांड नहीं है इसीलिए चीन के बड़े-बड़े कारखाने बंद पड़े हैं परिणामस्वरूप चीन में बेरोजगारी बहुत तेजी से बढ़ती जा रही है जो चीन को गम्भीर आर्थिक संकट की ओर बढ़ता दर्शा रहा है,
चीन की अर्थव्यवस्था में निरंतर योगदान देकर उसे आगे बढ़ा रही चीन में स्थित बड़ी बड़ी विदेशी कंपनियों की फैक्ट्रियां भी अब अपनी प्रोडक्शन यूनिट बंद के उन्हें अन्य देशों में शिफ्ट कर रही हैं, और भारत भी एक बहुत बड़ा केंद्र है जहां ये विदेशी कंपनियां माइग्रेट कर आ रही हैं और अपनी प्रोडक्शन यूनिट स्थापित कर रही हैं।
भारत से लगने वाली चीनी सीमा एलएसी पर, दक्षिण व् पूर्वी चीन सागर में चीन द्वारा निरंतर परिस्थिति को गंभीर बनाने का प्रयत्न करना चीन का एक डायवर्जनरी टैक्टिक है जिसके द्वारा वो विश्व को और अपनी खुद की बेरोजगार जनता को उलझाए रखने हेतु प्रयासरत है,
परंतु चीन को भी विचार करने की आवश्यकता है कि क्या वह भारतीय टेरिटरी कब्जा करने के प्रयासों के बावजूद भारतीय बाजार में बना रहकर भारत से लाभ कमा सकता है ?