Ghanshyam Prasad's Album: Wall Photos

Photo 72 of 5,346 in Wall Photos

चीन अग्रेसिव क्यों है, नेपाल और पाकिस्तान, चीनी लाइन पर क्यों चल रहे हैं? और भारत क्या कर रहा है या कुछ कर भी रहा है?

भारत-चीन के बीच सारा एक्शन लद्दाख/सिक्किम में ही चल रहा है। लेकिन तमाम ख़बरिया दलाल (न्यूज़ चैनल्स) इस मुद्दे पर कोई क्लैरिटी नहीं दे पा रहे हैं।

हमारे मीडिया की चर्चाओं में, ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री का समोसा बनाना ही खबर बनता है, जो मात्र एक औपचारिक खबर बन कर भारत-ऑस्ट्रेलिया के आपसी आपसी सहयोग पर टिक जाती है।

अभी हमारे आस-पास जो घटित हो रहा है, उसे समझने के लिए हमको समझना होगा - QUAD को। जो भारत, ऑस्ट्रेलिया, अमेरिका और जापान का चतुष्कोणीय गठबंधन है।

दरअसल, एक दशक पहले जब इन्हीं चार देशों के संगठन को बनाने की बात चली थी। उस वक़्त ऑस्ट्रेलिया ने चीन के दवाब में अपने कदम वापस ले लिए थे और दूसरी ओर हमारे प्रधानमंत्री मनमनोहन जी भी चीन के साथ साझा विजन के ही पक्षधर थे।

इसप्रकार बात आई, गई हो गयी, और चीन अपने "OROB" (वन रोड वन बेल्ट) प्रोजेक्ट के सहारे अपने अश्वमेघ यज्ञ पर निर्बाध तरीके से दुनिया जीतने पर निकला जा रहा था। लेकिन अमेरिका और जापान के विजनरी लीडर्स समझ रहे थे कि ये मामला भविष्य में बड़ा खतरा बनके उभरने वाला है।

जापानी प्रधानमंत्री ने 2017 में, एक बार फिर हिम्मत करके चारों देश को एक साथ लाने का फिर से प्रस्ताव रखा। इस बार भारत में नरेंद्र बाहुबली थे। अमेरिका में डेयरिंग ट्रम्प और ऑस्ट्रेलिया भी मन बना चुका था कि इंडो पैसफिक रीजन में चीन को फ्री पास नहीं दिया जा सकता। जिस 'QUAD' को एक दशक पहले खड़ा हो जाना चाहिए था, वह 2017 में अस्तित्व में आना प्रारंभ हुआ।

चतुष्कोणीय गठबंधन बनने का प्रमुख कारण चीन द्वारा 'वन बेल्ट वन रोड' (OBOR) है, जिसका उद्देश्य चीन डोमिनेटेड दुनिया के सबसे बड़े आर्थिक मंच का निर्माण करना है। जिससे चीन ने एक ग्लोबल सुपर पावर बनने का सपना देखा था।

चीन का तानाशाही रवैया अपने देश के अंदरूनी मुद्दों पर चलता है, वह उसे पूरी दुनिया में भी चलाना चाहता है। यही वजह है कि चीन अपनी महत्त्वाकांक्षा में अन्य देशों की संप्रभुता का ख्याल नहीं करता। वहीं, दूसरी तरफ चीन को रोकने में सक्षम किसी शक्ति का अभाव भी चीन को ओवर कॉन्फिडेंस से भरे जा रहा था।

इस 'QUAD' ग्रुप के बनने के बाद ऐसा नहीं है कि चीन कमजोर पड़ गया है, वह एक निःसंदेह आर्थिक ताकतवर महाशक्ति है। परन्तु तब हमारी सरकारें भ्रष्टाचार की खुमारी में थीं और चीन स्ट्रिंग ऑफ़ पर्ल्स के माध्यम से हमकों चारों ओर से घेर चुका था।

वर्तमान में, चीन का अश्वमेघ यज्ञ का घोड़ा बिना किसी चेलेंज के हमारे यहां से सफलतापूर्वक निकल चुका था और हम और आप उस समय आईपीएल और बॉलीवुड के कॉकटेल में और पाकिस्तानी मिमिक्री आर्टिस्टों की कॉमेडी, गायकों की ग़ज़लों को रियल्टी टीवी पर देखने में व्यस्त थे। पूरा तंत्र एक पर्दा डाले हुए थे कि सब कुछ यहां ठीक ठाक है।

जबकि दूसरी तरफ :

★ चीन, पाकिस्तान समर्थित आतंकवादियों के खिलाफ UN द्वारा प्रतिबंध लगाए जाने का लगातार विरोध करता रहा।

★ चीन तथा पाकिस्तान के सैन्य-संबंध लगातार मज़बूत होते जा रहे थे।

★ चीन-पाकिस्तान आर्थिक कॉरीडोर के संबंध में व्यक्त भारत की चिंताओं को नज़रअंदाज़ कर रहा था।

★ भारत NSG की सदस्यता हासिल नहीं कर पा रहा था।

★ हिंद महासागर में चीनी नौसेना की उपस्थिति बढ़ती जा रही थी।

★ मालदीव, श्रीलंका, पाकिस्तान, नेपाल आदि पड़ोसी देशों में चीन आक्रामक ढंग से निवेश कर रहा था।

इन तथ्यों की रौशनी में जब आप ट्रम्प-मोदी की दोस्ती देखेंगे, जापान-भारत के डायलॉग समझेंगे, ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री द्वारा समोसे के फोटो डालना देखेंगे तब आपको समझ आने लगेगा कि चीन डोकलाम में दवाब बनाने 2017 में ही क्यों कूदा।

वह इसलिए 2017 में ही 'QUAD' दोबारा खड़ा हुआ। नार्थ कोरिया ने किसके उकसावे पर जापान पर मिसाइल फायर कीं? नेपाल को भारत के खिलाफ कौन उकसा रहा है? पाकिस्तान क्यों चीन के पालतू पागल कुत्ते की तरह बिहेव कर रहा है? या ट्रम्प की विजिट के दिन ही अचानक बिना बात दिल्ली में दंगे क्यों शुरू हुए?

यह सब संयोग नहीं, बल्कि प्रयोग ही हैं।

नरेंद्र बाहुबली की सबसे बड़ी ताकत हम और आप हैं। जबतक हम मजबूती से आपस में यूनिटी बना कर रखेंगे तबतक इस लड़ाई में हमारा कोई चांस है। वरना जिस तरह ब्रेकिंग इंडिया फ़ोर्स हमारे यहां लगी हुईं हैं, हमारे आपसी विश्वास के टूटते ही अमेरिका जैसे आंतरिक हालात हमारे यहां भी होने तय हैं।

हमारे कहने का मतलब यह नहीं है कि चीन से हम कल ही लड़ने जा रहे हैं। कहने का मतलब है कि चीन अपनी फील्डिंग सेट कर रहा है। हमें अपनी करनी है और भविष्य में चीन को या किसी और देश को कोई ग़लतफ़हमी हो, तो उसकी ग़लतफ़हमी दूर करने के लिए हम सबल बने रहें यह लड़ाई हम सब की है।

अब तक लड़ाई में धकेलते हुए हम पीछे ही आते जा रहे थे। यहां से हमने अपना अंगद का पैर गढ़ा दिया है। अब बस आगे ठेलना है। और ठेलते ही जाना है। और इस लड़ाई में हमारी अपनी एक ही पहचान, वह है भारतीय।

#आर्यवर्त