Ghanshyam Prasad's Album: Wall Photos

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उस रात गलवान घाटी में क्या घटा।

सबसे पहले एक बात स्पष्ट कर देते हैं कि LAC एक कंटेस्टेड बॉर्डर है और भारत-पाक सीमा की तरह यहां कोई काँटों की तार नहीं लगी हुई हैं जिससे क्लियर डिमार्केशन रहे कि कौन सा हिस्सा किसका है। यह भी एक बड़ी वजह है कि LAC से 2 किलोमीटर पहले ही हथियारों के इस्तेमाल न करने पर आपसी सहमति दोनों ही देशों में है।

वैसे तो पूरा अक्साई चीन का एरिया हमारा है, लेकिन चाचा नेहरू इस 43000 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र को चीन को "हिन्दी-चीनी, भाई-भाई" कहके गिफ्ट कर गए थे तो अब LAC पर ही सारा तनाव है।

6 जून को de-escalation के फैसले के बाद जब दोनों सेनाएं अपने अपने पुराने पोजीशन पर वापस जा रही थीं। तब बाकी गतिविधियां सुचारु रूप से चल रही हैं या नहीं इसकी जांच के लिए दोनों देशों से ही पट्रोलिंग की जा रही थी।

ऐसी ही एक पेट्रोलिंग में कमांडिंग ऑफिसर कर्नल संतोष बाबू जब अपने साथियों के साथ चीन के सैनिकों के वापस जाने का इंस्पेक्शन कर रहे थे तब उन्होंने LAC पर चीन के सैनिकों द्वारा एक टेम्परेरी पोस्ट का निर्माण देखा। जिसको देख कर उन्होंने तुरंत आपत्ति जाहिर की और 6 जून को दोनों देशों के बीच हुए फैसले का हवाला दिया। इसी गरमागरमी में अचानक से कर्नल संतोष बाबू और उनके साथियों पर हमला होता है। और उनका एक साथी अपनी बटालियन बिहार 16 को कमांडिंग ऑफिसर पर हुए हमले की जानकारी देता है। कमांडिंग ऑफिसर पर हमले की खबर सुनते ही बिहार 16 यूनिट के 60 लड़ाके फौरन वहाँ पहुँचते हैं और उसके बाद जो हुआ वो मॉडर्न युद्ध इतिहास के लिए अनूठी घटना थी!

जिस चीनी यूनिट ने हमारे CO पर धोखे से हमला किया था उसके अंदर बिहार 16 के 60 लड़ाकों ने तूफ़ान मचा के रख दिया। बताते हैं कि कम से कम 18 चीनी सैनिकों की गर्दन तोड़ दी गयी और दर्जनों को कुचल के रख दिया गया। चीनी सैनिकों ने फौरन अपना बड़ा बैकअप बुलाया और वहाँ अपने लड़ाके घिरने लगे और चीनी भारी पड़ने लगे तब तक बिहार 16 के बैकअप में हमारी घातक प्लाटून पहुँच गयी। घातक प्लाटून कितनी घातक है ये कश्मीर विषय के जानकार अच्छे से जानते हैं। फिर जो हुआ वो चीन के होश उड़ाने के लिए काफी था। सैटेलाइट इमेजेज में चीन की तरफ बहुत सारी एम्बुलेंस और evacuation हेलीकॉप्टर देखें हैं। चीन के मिलिट्री अस्पताल के बाहर भारी सिक्योरिटी में आ रहे घायल/मृत चीनी सैनिकों के स्टेचर भी देखे हैं। चीन आधिकारिक तौर पर यह तो मान रहा है कि संघर्ष में उसके सैनिक भी मारे गए हैं लेकिन कितने मरे यह बताने में हिचकिचाहट दिखा रहा है।

अब वो हमारी सीमा में घुस रहे थे या घुसने की कोशिश कर रहे थे या हम ही मारते-मारते उनकी सीमा में घुस गए वो सब भविष्य के लिए छोड़ते हैं। बाकी बात प्रधानमंत्री जी अपने सम्बोधन में बता चुके हैं कि हमारी सीमा में कोई नहीं है, न ही हमारी कोई चौकी किसी के कब्जे में है। हर बात प्रधानमंत्री जी नहीं कह सकते।

आज नहीं तो कल चीन खुद ही बताएगा। जैसे नाथुला में सन 1967 में चीन की पिटाई को स्वीकार करने में चीन ने 10 साल लिए और 1977 में जाके अपने सैनिकों की मौत कबूली थी, वही इस गलवान क्लैश में भी होना है!

जो वीरगाथा बिहार 16 और घातक प्लाटून ने LAC पर लिख दी है। उसने चीन के ड्रैगन में भारतीय टाइगर का डर बिठा दिया है..!

उनके 43 मरे, 84 मरे या 120 से ज्यादा मरे.. ये कुछ ही साल में वो खुद ही बताएँगे। लेकिन ये तय है कि अब बातचीत की टेबल पर चीन के घायल ड्रैगन के सामने मूंछों में ताव देता हुआ भारत बैठेगा....

Vidhu Rawal