जहाँ दुनिया भर में कोरोना से हाहाकार मचा हुआ है और हर देश अपने डॉक्टर्स और वैज्ञानिकों को वैक्सीन बनाने में लगाये हुए है, परंतु अभी तक सफलता नही मिल पाई है।
ऐसे में यदि भारत में किसी ने आयुर्वेद की कोई दवा बनाई है, जिसके लिए दावा किया जा रहा है कि ये कोरोना को 7 दिनों में सही कर देगी तो इसमे मजाक बनाने वाली कौन सी बात है?
दवा ही तो है, मरीज को देकर देखा जाएगा यदि फायदा हुआ तो अच्छा है, दुनिया भर में भारत का नाम होगा और यदि कोई कमी रह गयी तो फिर से उसमे सुधार किया जाएगा।
बाबा रामदेव ने अपने फायदे के लिए तो दवा बनाई नही है, जनता के हित को देखते हुए ही इसपर काम किया और दवा बनाई है। अब यदि किसी को समस्या है तो वो न खाए, पर केवल इसलिए उस दवा का मजाक बनाना कि वो आयुर्वेद है और किसी हिन्दू संत ने उसे बनाया है।
क्या विरोध करने वाले इस बात की कसम खाते हैं कि चाहे वो कोरोना से मर जाएं पर पतंजलि कोरोनिल दवा का सेवन नही करेंगे..??