पतंजलि भारत की कंपनी है, बाबा रामदेव को आप व्यापारी कहें, सलवारी कहें परंतु यह तो मानना ही पड़ेगा कि योग को घर घर पहुंचाने वाले बाबा रामदेव ही हैं, जन जन तक योग को पहुंचाने वाले रामदेव बाबा ही हैं । आर्युवेद को पुनर्जीवित करने वाले बाबा रामदेव ही हैं ।
और फिर पतंजलि किसी को वाध्य तो नहीं कर सकता अपने उत्पाद उपयोग करने को फिर इतनी हाय तौबा क्यों ?
यदि सच में दावा सही है तो हमारे लिए गर्व की बात है , हमें अपनी पुरातन चिकित्सा पद्दति पर गर्व होगा और यदि नहीं सही है तो हम जहां हैं वहीं रहेंगे । आर्युवेद का कोई साइड इफ़ेक्ट तो सुनने में नहीं आया है । हां 535 रुपये अवश्य खर्च होंगे, इतना रिस्क है ।
आखिर ऐसा क्यों है कि हम स्वयं में ही अविश्वास से ग्रसित हैं, क्या हम कुंठित और हीनभावना(सदियों की गुलामी से उपजी) के शिकार तो नहीं ? सोचें जरा ।
#the_ज़िंदगी_अंकुर
पुनिश्चयः - जब आप बाबा रामदेव को सलवारी कहते हैं तो जाने अनजाने उस समय की सरकार द्वारा प्रदत्त अभिव्यक्ति की आजादी पर भी प्रश्न चिन्ह खड़ा कर रहे होते हैं।