जैसे ही इस्लाम के अनुसार पवित्र टाइम आया जिसे इस्लाम में “शाब-ए-क़ादर” कहते है , 23 हिन्दुओ को गोलियों से भून दिया गया, जिसमे 4 बच्चे, 9 हिन्दू महिलाएं और 10 हिन्दू पुरुष थे , बस 1 विनोद धर ही बच गया जो उस वक़्त 14 साल का था, उसने घर में छुपकर अपनी जान बचाई
25 जनवरी 1998, कश्मीर के गांदरबल जिले का वन्धमा गाँव, जहाँ विनोद धर और उसका परिवार रहता था
गाँव में मुस्लिम बहुसंख्यक थे, 25 जनवरी 1998 की शाम को आर्मी की वर्दी में कुछ लोग आये
उन्होंने खुद को आर्मी का बताया, विनोद के परिवार ने उनका स्वागत किया और सभी ने विनोद के घर में चाय पी
और जैसे ही रेडियो पर सिग्नल मिला, उन्होंने विनोद के परिवार को गोलियों से भून दिया, 23 हिन्दुओ को गोली मार दी, जिसमे 4 बच्चे, 9 महिलाएं और 10 पुरुष थे सबको मार डाला गया
विनोद बताते है की जैसे ही आतंकियों ने गोलियों को चलाना शुरू किया, गाँव की मस्जिद के लाउड स्पीकर की आवाज से शोर मचाना शुरू कर दिया गया ताकि गोलियों की आवाज दब सके
विनोद बताते है की सभी आतंकियों के पास AK-47 राइफल थी
विनोद धर बताते है की, आतंकियों ने तब उनके परिवार को गोलियां मारना शुरू किया जब “शाब-ए-क़ादर” का समय देखा गया
आतंकियों ने “शाब-ए-क़ादर” का समय देखा और फिर उनके परिवार का नरसंहार करना शुरू किया
“शाब-ए-क़ादर” इस्लाम में एक पवित्र समय होता है जो की रमजान के महीने में आता है
25 जनवरी 1998 आतंकियों ने “शाब-ए-क़ादर” के समय से मेल किया हुआ समय चुना और “शाब-ए-क़ादर” के समय से मेल कर हिन्दुओ को मारा
आतंकियों ने फिर गाँव का मंदिर भी जला दिया और विनोद धर का पूरा घर भी
जांच में पता चला की “अब्दुल हामिद” नाम के जिहादी ने इस नरसंहार को लीड किया था
आज विनोद धर बड़े हो चुके है और जम्मू के रेफूजी कैंप में रहते है, वो अपने परिवार के साथ हुए अपराध के एकलौते गवाह भी है
वो उस दिन को याद कर आज भी रो देते है
नोट : इस नरसंहार को 1998 वन्धमा नरसंहार कहते है जिसे आप विकिपीडिया में भी पढ़ सकते है....