Ghanshyam Prasad's Album: Wall Photos

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चीन भारत के उद्योग धंधों को बर्बाद करने के लिए एक साथ कई मोर्चे पर काम करता है

जैसा मैंने पहले लिखा कि किस तरह से चीन सोनिया गांधी को ब्राइब देकर फिर मनमाफिक व्यापार समझौते करवाता है और चीन ने कांग्रेस सरकार पर दबाव डालकर बांस और बेंत को पेड़ की श्रेणी में करवा दिया जिससे भारत का बांस उद्योग बर्बाद हो गया

बाद में चीन ने भारत के फर्नीचर उद्योग को बर्बाद कर दिया और भारत का पूरा फर्नीचर मार्केट चीन में आ गया

इसके अलावा चीन एक दूसरे मोर्चे पर भी काम करता है

चीन के पैसे पर पलने वाले कई दलाल जो समाज सेवक का चोला पहन कर घूमते हैं वह दरअसल चीन के एजेंट है और उन में से सबसे प्रमुख है अग्निवेश और कैलाश सत्यार्थी

अग्निवेश का एक एनजीओ है बचपन बचाओ और कैलाश सत्यार्थी के भी दो-तीन एनजीओ हैं ..चीन ने इन दोनों दलालों को करोड़ों रुपए दिया

दरअसल चीन भारत में कालीन यानी कारपेट बेचना चाह रहा था लेकिन पूर्वी उत्तर प्रदेश के भदोही जो अपने कालीन उद्योग के लिए पूरे विश्व में प्रख्यात था और भदोही के कालीन बेहद अच्छे और सस्ते होते थे इसलिए चीन अपने कालीन यानी कारपेट को भारत में नहीं बेच पा रहा था ।

भदोही में एक दो नहीं बल्कि हजारों कालीन की यूनिट थी जो अपने कालीन को विदेशों में एक्सपोर्ट करती थी एक जमाने में भदोही ने ईरान के कालीन इंडस्ट्रीज को भी टक्कर दिया

फिर चीन के यह दलाल कैलाश सत्यार्थी और अग्निवेश ने एक फर्जी फिल्म बनाई जिसमें यह दिखाया जा रहा था कि छोटे-छोटे बच्चों को जबरदस्ती पकड़कर भदोही लाया जाता है और उन्हें बधुआ मजदूर बनाकर उनसे दिन-रात कालीन बनवाया जाता है उन्होंने अपने दावे में एक फर्जी तर्क यह लगा दिया कि छोटे बच्चों की उंगलियां पतली होती हैं इसलिए धागों के बीच में आसानी से चली जाती है और गांठ बांधने में आसानी रहती है और इन्होंने कई ऐसे बच्चों के वीडियो बनाएं जिसमें बच्चों की उंगलियों में खून दिखाने के लिए लाल रंग लगा दिया गया उसके बाद इस फिल्म को लेकर कैलाश सत्यार्थी और अग्निवेश अमेरिका यूरोप सहित दुनिया के कई देशों में गए और वहां बकायदा प्रोजेक्टर पर फिल्म दिखाये कि आप लोग भारत से कालीन मत खरीदिए क्योंकि भारत में बच्चों से कालीन बनाया जाता है और देखिए बच्चों की हालत कितनी खराब होती है

और वह फिल्म देख कर तमाम विदेशी कंपनियां जो भारत से कालीन खरीदी थी उन्होंने कालीन खरीदना बंद कर दिया फिर जब भदोही का कालीन उद्योग बर्बाद होने लगा तब सरकार ने एक और कोशिश की उन्होंने कालीन को एक ऐसा मार्का (रुगमार्क) देना शुरू किया इस बात का प्रमाण करता था कि इसे बच्चों ने नहीं बनाया है जैसे डायमंड के लिए एक सर्टिफिकेट होता है कि यह ब्लड डायमंड नहीं है उसी तरह उन्होंने रुगमार्क नामक एक सर्टिफिकेट बनाया जो इस बात का प्रमाण था कि इस कालीन को बच्चों ने नहीं बनाया है

उसके बावजूद भी अग्निवेश और कैलाश सत्यार्थी के लोग कालीन फैक्ट्रियों में जाते थे मालिकों को धमकाते थे उन्हें ब्लैकमेल करते थे धीरे-धीरे भदोही का कालीन उद्योग पूरी तरह से बर्बाद हो गया

और आज आप भारत के किसी भी मॉल में जाइए वहां आपको मेड इन चाइना कालीन मिलेगा अब यह दोनों दलाल यानी अग्निवेश और कैलाश सत्यार्थी चीन जाकर नहीं पूछते कि तुम्हारे यह कालीन जो भारत में आ रहे हैं तुमने इस बात का प्रमाण पत्र क्यों नहीं लगाया है कि यह कालीन बच्चों ने नहीं बनाया है