Ghanshyam Prasad's Album: Wall Photos

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लद्दाख के विषय में बड़े-बड़े डिफेंस एक्सपर्ट और एनालिस्टों की बड़ी-बड़ी बातें सुन ली, चीन के ग्लोबल टाइम्स का बचकाना प्रोपेगेंडा देख लिया, पाकिस्तान से आने वाली गीदड़ भभकीयां भी देख ली

अब कुछ यथार्थ और मिलिट्री इंफ्रास्ट्रक्चर की बात कर लेते हैं
वास्तव में लद्दाख को टारगेट करने के लिए चीन के पास केवल तीन हवाई अड्डे हैं नागरी, होटन (325), (345) किलोमीटर और काशगर (625) किलोमीटर, यानी कि चीन यदि चाहे भी तो लद्दाख में जिस पॉइंट पर वह बैठा है युद्ध की स्थिति में वह लंबे समय तक उसे रीटेन नहीं कर सकता क्योंकि पहला तो लद्दाख अधिक ऊंचाई पर है इसलिए चीनी लड़ाकू विमानों द्वारा फुल वेपन्स पेलोड और फूल फ्यूल टैंक के साथ टेकऑफ कर लद्दाख तक पहुंचना असंभव हो जाता है, यानी कि चीन के लड़ाकू विमानों को अपनी आधी क्षमता से ही लड़ना होगा, दूसरा भारत के पास लद्दाख को टारगेट करने के लिए हिमालय में दर्जनों एयरफील्ड है, भारत के सुखोई 30 एमकेआई की रेंज 3300 किलोमीटर है जिसका अर्थ हुआ कि आवश्यकता पड़ने पर भारतीय वायुसेना मध्य भारत में स्थित एयरफील्ड से भी चीन के एसेट्स को हिट कर सकती है,

जबकि होटन, नागरी और काशगर को पूर्णतः नष्ट करने हेतु भारत के अलग-अलग एयरपोर्ट से सैकड़ों भारतीय फाइटर जेट भेजे जा सकते हैं,

चीनी सैनिकों की सप्लाई लाइन के लिए G219 एकमात्र स्रोत है, जिसके द्वारा चीनी सैनिकों को ऑक्सीजन सिलेंडर, हथियार, एम्युनिशन, खाना, दवाइयां, राशन और डीजल पहुंचता है, यदि यह एकमात्र सप्लाई लाइन बाधित हो जाए और निकटतम तीनों चीनी एयरपोर्ट अगर भारतीय वायुसेना हिट कर दे तो लद्दाख में बैठी चीनी सेना भारतीय वायु सेना के फाइटर जेट और अटैक हेलीकॉप्टर लिए एक बैठी हुई बत्तख के समान हो जाएगें

क्योंकि बिना एयर सपोर्ट के चीन कभी भी सप्लाई लाइन दोबारा चालू नहीं कर सकता और उसके तीन एयरपोर्ट टारगेट हो जाने के बाद अगला निकटतम एयरपोर्ट 1180 किलोमीटर की दूरी पर स्थित शिगत्से हैं और दूसरा ल्हासा एयरपोर्ट तो 1405 किलोमीटर दूर है

लद्दाख में की गई चीनी धृष्टता लद्दाख को चीनियों का कब्रिस्तान बना देगी,

वास्तव में चीन को भारत द्वारा बनाए जा रहे मिलिट्री इंफ्रास्ट्रक्चर और रोड से अपने सप्लाई रूट G219 की सुरक्षा का खतरा है इसीलिए उसे दौलत बेग ओल्डी की एयरस्ट्रिप चाहिए, क्योंकि चीन का सप्लाई रूट G219 भारत के मिलिट्री इंफ्रास्ट्रक्चर के बहुत पास है और 200 किलोमीटर की विंडो में भारतीय एयरफोर्स जब चाहे उसे मल्टीपल पोजीशन पर टारगेट कर सकती है,

चीन का चाइना पाक इकोनामिक कॉरिडोर यानी की CPEC गिलगित बालटिस्तान से होते हुए ग्वादर तक जाता है, और पाकिस्तान के कब्जे वाले जम्मू कश्मीर से निकलने वाला यह CPEC कई स्थानों पर भारतीय आर्टिलरी की रेंज में है, और यदि एक बार भी इंडियन आर्मी ने पाकिस्तान के कब्जे वाले जम्मू कश्मीर में कदम रख दिया तो चीन का यह CPEC सदैव के लिए एक सपना बनकर रह जाएगा, और वैसे भी भारतीय वायु सेना जब चाहे इसे मल्टीपल लोकेशन पर हिट करने में सक्षम है,

और सबसे महत्वपूर्ण बात यह कि चीन के सप्लाई रूट G219 और CPEC को हिट करने के लिए भारतीय वायु सेना को किसी दौलत बेग ओल्डी की भी आवश्यकता नहीं है।

और जो स्वघोषित डिफेंस एक्सपर्ट यह दावे कर रहे हैं कि पाकिस्तान के एयरपोर्ट से f16 और चीन के J10 भारत पर आक्रमण करेंगे तो उन्हें यह समझ लेना चाहिए कि ऐसा होने की स्थिति में डिएगो गार्सिया से अमेरिका के बी 52 पाकिस्तान पर टोमाहॉक क्रूज मिसाइल बरसाते हुए दिखेंगे और भारत भी पाकिस्तान के सैन्य और वायुसेना के ठिकानों पर ब्रह्मोस का साल्वो फायर करेगा।

कई लोगों के मन में यह प्रश्न उठा कि चीन के पास भी तो S-400 मिसाइल डिफेंस सिस्टम है उसका प्रयोग कर वह भारतीय जेट्स को काउंटर कर लेगा, तो आपको बता दूं की S-400 को उसकी पूरी 400 किमी की क्षमता तक इस्तेमाल करने के लिए जिस 40N6E मिसाइल का प्रयोग होता है वह मिसाइल चीन के पास नहीं है क्योंकि चीन MTCR मिसाइल टेक्नोलॉजी कंट्रोल रिजीम सदस्य ही नहीं है अतः चीन के पास केवल सीमित रेंज वाली S-300 वाली 48N6 मिसाइल ही हैं, ऐसी परिस्थिति में भारत या तो ब्रह्मोस का प्रयोग करेगा जिसे डिटेक्ट करना अत्यंत कठिन है और कोई कर भी ले तो रिस्पॉन्स टाइम नहीं मिलेगा, प्रयास भी किया तो फाइनल S मनुवर में वह विफल हो जाएगा, केवल एक बराक-8 ही है जो यदि समय रहते इस्तेमाल की जाए तो ब्रह्मोस को रोक सकती है, और वह केवल भारत और इजरायल ही प्रयोग करते हैं,

और अधिक संभावना यह है कि भारत SCALP EG यानी स्टॉर्म शैडो क्रूज़ मिसाइल का प्रयोग करेगा SCALP की 560 किमी की रेंज है, टेरेन मैपिंग कर सतह के साथ चलती है इसीलिए राडार पर नहीं आती 1300 किलो का वारहेड है,फायर एंड फॉरगेट मिसाइल है, और ब्रह्मोस से कहीं सस्ती है,और मिराज 2000 अथवा राफाल से फायर की जा सकती है, तथा फ्रेंच इंटीग्रेशन की अनुमति दे दें तो तेजस से भी फायर हो जाएगी।