भारत ने दो युद्ध लड़े थे नेहरू के प्रधानमंत्रित्व काल में ....
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जिनको लगता है कि 1947 की लड़ाई हम जीते थे ... वो भारत का मानचित्र एक बार उठा के ध्यान से देख ले .... लगभग ढाई महीने की लड़ाई में हमको हार मिला ... अग्रिम मोर्चे पर सैनिक नहीं हारा था वो लड़ने के लिए और समय मांग रहा था ... लेकिन नेहरू के मानसकि दिवालियापन ने भारत को हराया ....इसके कारण हम 86268 वर्ग किमी का इलाका हम हार गए .... इतना सबके बाद भी इस बदमाश ने खुद को महान भी दिखाना था ....
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इसके लिए इसने बेईमान और महा धूर्त कम्युनिस्ट चोरकटों के गिरोह को पकड़ के अपने लिए क्या क्या नहीं लिखवाया .... पूरे राज्य का दो तिहाई, पश्चिम में लगभग 950 KM के सीमा को सदा के लिए असुरक्षित और लड़ाई का मैदान बना दिया .... इतना गवा के, हज़ारों सैनिक और लाखों लोग मरवा के सत्ता PM की कुर्सी पर बैठे इंसान को महान बताने वाला कम्युनिस्ट और नेहरू के पालतू कुत्तों की पीढ़िया खानदानी बेगैरत हैं ....
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दूसरी लड़ाई चीन से ही हुई थी ... इस लड़ाई में चीन 37,244 square kilometre का इलाका छीन ले गया .... कम्युनिस्टों का प्रिय कृष्णा मेनन के कहने पर नेहरू ने भारत की सेना को हथियार छोड़िए पहनने को ढंग के जूते तक नहीं दिए थे ... उतने सैनिक गोली से नहीं मरे जितने minus temperature में ठण्ड से मर गए ....
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देश का सबसे बड़ा कलंक था नेहरू ... देश का दुर्भाग्य था नेहरू .... इसने अपने जीवन काल में भारत के 15200 किमी लम्बे सीमा में से 7379 किमी सीमा को अशांत बना दिया जिसमे से 3323 KM में हम प्रतिदिन युद्ध में रहकर लाखों लोग गवां चुके है .... और 4056 किमी की उत्तरी और उत्तर पूर्वी सीमा में युद्ध के स्थिति में लगातार बने हुए है ...
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इसने भारत के पूर्वोत्तर राज्यों को असन्तुष्ट बना के रखा ... जिसके कारण हमने 68 वर्ष वहां के लोगों को समझा ही नहीं और वहां अलगाववाद की लड़ाई होती रही ....
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फिर भी बीके हुए और बेगैरत कम्युनिस्टों के अगुवाई में बिना रीढ़ के हड्डी वाले चोर, बेईमान, उठाईगीरों, जेहादियों का कुनबा इस बदमाश, चोर और महा निकृष्ट इंसान को महान बताने पे तुला रहता है ....
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इस देश का कोढ़ था ये .... इस कोढ़ को आज 70 वर्षो बाद देश भोग रहा है और न जाने कितने बर्ष भोगेगा ....