Ghanshyam Prasad's Album: Wall Photos

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आखिर 1962 में जिस चीन की वायु सेना भारत के सामने कुछ भी नहीं थी ऐसी चीन की सेना से भारत क्यों हार गया था ? और हजारों वर्ग किलोमीटर जमीन पर चीन कब्जा कर लिया ?

बीबीसी ने हालांकि जो घोर भारत विरोधी और कांग्रेसी समर्थक हिंदू विरोधी पोर्टल है उस बीबीसी लंदन ने इस पर 8 लेखों की एक सीरीज प्रकाशित की थी जो कई आर्काइव दस्तावेजों और उस जमाने के कई जनरल और कई दस्तावेजों के आधार पर तैयार किया गया था

और खुद बीबीसी ने 1962 में चीन के हाथों भारत की करारी हार के लिए उन 3 चेहरों को जिम्मेदार ठहराया जिन्हें पहले से ही आज हर भारतीय सबसे बड़ा खलनायक मानता है

पहला प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू

दूसरा नेहरू का सबसे प्यारा उस समय का रक्षा मंत्री वीके कृष्ण मैनन

और तीसरा भारतीय सेना के चौथी कोर के कमांडर मेजर जनरल बी जी कौल जो नेहरू के रिश्तेदार भी थे

इन तीन खलनायकों ने मिलकर भारत की हजारों किलोमीटर की जमीन चीन को दे दिया और भारत चीन के हाथों बुरी तरह से हारा था और कई हजार भारतीय सैनिक शहीद हुए थे

नेहरू से रिश्तेदारी और रक्षा मंत्री वीके कृष्ण मैनन से बेहद नज़दीकियों की वजह से मेजर जनरल बीजी कौल एक बेहद अनुशासनहीन व्यक्ति बन चुका था वह अपने नीचे के अधिकारियों को खूब अपमानित करता था उनके साथ गुलामों जैसा व्यवहार करता था

मेजर जनरल बिजी कौल के चिड़चिड़ापन की कहानियां आज भी सेना के अधिकारी बताते हैं वह बेहद चिड़चिड़ा, अनुशासनहीन व्यक्ति था और बेहद घमंडी था

अब आप सोचिए अपने छोटे अधिकारी यानी मेजर जनरल रैंक के अधिकारी से त्रस्त होकर उस समय के सेना प्रमुख जनरल थिमैया ने इस्तीफा दे दिया था

उस समय भारतीय सेना में मेजर जनरल बिजी कौल की तूती बोलती थी क्योंकि सबको पता था कि यह प्रधानमंत्री नेहरू का रिश्तेदार है और रक्षा मंत्री वीके कृष्ण मैनन का सबसे चहेता व्यक्ति है

सेना प्रमुख जनरल थिमैया के इस्तीफा देने के बाद जनरल पीएन थापर को सेना प्रमुख बनाया गया (यह पीएन थापर आज के चर्चित पत्रकार करण थापर के पिता है)

मेजर जनरल बिजी कौल को किसी भी युद्ध का अनुभव नहीं था फिर भी उसे सेना की चौथी कोर का कमांडर बना कर चीन के साथ लड़ाई में मोर्चे पर अरुणाचल प्रदेश भेजा गया

उस वक्त कई लड़ाइयों में अनुभवी जनरल थिमैया बीजी कौल और रक्षा मंत्री वीके कृष्ण मैनन के मतभेदों की वजह से इस्तीफा दे चुके थे और एक बेहद अनुभवहीन जनरल पीएन थापर को सेना प्रमुख बनाया गया था। आज भी भारतीय सेना कहती है यदि 1962 की लड़ाई ने जनरल थिमैया का इस्तीफा नहीं होता तब चीन कभी नहीं जीत सकता था

उसी दरम्यान मेजर जनरल वीजी कौल की चौथी कोर ने भारत सरकार को एक रिपोर्ट भेजा कि इस युद्ध में भारतीय वायुसेना का इस्तेमाल करना ठीक नहीं होगा और आश्चर्य इस बात का सेना प्रमुख पीएन थापर, प्रधानमंत्री नेहरू और रक्षा मंत्री वीके कृष्ण मैनन ने भारतीय वायुसेना का इस्तेमाल नहीं करने का निर्णय लिया जबकि उस वक्त चीन की वायुसेना बेहद कमजोर थी भारतीय सीमा से दूर-दूर तक चीन का कोई एयरबेस नहीं था चीन का सबसे नजदीकी एयरबेस बीजिंग और शंघाई से कोई भी लड़ाकू विमान भारतीय मोर्चे तक नहीं आ सकता था

भारतीय वायुसेना का इस्तेमाल नहीं करने का आदेश देकर ही नेहरू और वीके कृष्ण मैनन ने भारत की हार की पहली इबारत लिख दी थी

चीन के साथ युद्ध के चौथी कोर के कमांडर मेजर जनरल बिजी कौल जैसे ही युद्ध मोर्चे पर गए उन्हें हिमालय की ठंडी वातावरण सूट नहीं किया या वह बहाना बना लिए या वह सच में बीमार पड़ गए यह एक रहस्य है और वह दिल्ली आकर अस्पताल में भर्ती हो गए

उसके बाद नेहरू और वीके कृष्ण मैनन ने दूसरी सबसे बड़ी भूल या गलती यह कि उनकी जगह किसी दूसरे व्यक्ति को कमांडर नहीं बनाया बल्कि नेहरू ने आदेश दिया मेजर जनरल बिजी कौल दिल्ली के अपने मोतीलाल नेहरू मार्ग पर बने बंगले से ही टीम के साथ युद्ध की युद्ध को कमांडर यानी संचालन करते रहेंगे

हालांकि नेहरू के इस आदेश से उस जमाने के सेना प्रमुख जनरल पीएन थापर खिलाफ थे लेकिन उन्होंने भी इस पर कुछ नहीं बोला और मोतीलाल नेहरू मार्ग पर बने बंगले से ही बैठकर मेजर जनरल बिजी कौल अरुणाचल प्रदेश और लद्दाख में लड़ी जा रही लड़ाई का संचालन करते रहे

सोचिए सेना का कमांडर युद्ध के मोर्चे से हजारों किलोमीटर दूर दिल्ली में बैठकर युद्ध का संचालन कर रहा था मतलब ना भूतो ना भविष्यति ऐसी घटना विश्व इतिहास के किसी भी युद्ध में ना पहले कभी हुई है और ना आगे कभी होगी

युद्ध की लड़ाई में सैनिक कैप्टन कर्नल ब्रिगेडियर इत्यादि अपने बीच में लड़ाई के कमांडर को पाकर बेहद खुश होते हैं और उनका हौसला बेहद बढ़ता है और सेना पर एक मनोवैज्ञानिक प्रभाव भी पड़ता है

नतीजा यह हुआ कि भारत चीन से बुरी तरह हार गया और चीन ने भारत की कई हजार वर्ग किलोमीटर जमीन पर कब्जा कर लिया

भारत की बेहद करारी हार के बाद भारत में जवाहरलाल नेहरू वीके कृष्ण मैनन और बिजी कौल पूरी तरह से खलनायक बन चुके थे

सांसद महावीर त्यागी ने संसद में नेहरू को खूब जलील किया नेहरू चुपचाप जलील होते रहे

उसी समय एक और खुलासा हुआ युद्ध के लिए भारतीय सेना को द्वितीय विश्व युद्ध में बेहद चर्चित विलीस जीप चाहिए थी उस जीप को खरीदने के लिए खुद रक्षा मंत्री वीके कृष्ण मैनन ब्रिटेन गए थे और वहां उन्होंने दूसरी कंपनी की बेहद घटिया जीप खरीदी जो एकदम बेकार साबित हुई और सेना ने उसे इस्तेमाल करने से मना कर दिया और इस तरह आजाद भारत का पहला घोटाला हुआ जो जीप घोटाला था जिसे नेहरू और वीके कृष्ण मैनन ने अंजाम दिया

बाद में जांच में पता चला उस जमाने में जीप खरीदने में नेहरू ने 27 करोड़ का घोटाला किया है इस घोटाले में नेहरू की सरकार ने तो यह मान लिया था कि हां घोटाला हुआ है लेकिन किसी भी घोटालेबाज को सजा नहीं दी गई सिर्फ वीके कृष्ण मैनन का रक्षा मंत्री से इस्तीफा ले लिया गया और उन्हें ब्रिटेन में भारत का हाई कमिश्नर बनाकर लंदन भेज दिया गया

उसी समय अफवाह फैली भारत चीन युद्ध के खलनायक मेजर जनरल बिजी कौल को गिरफ्तार कर लिया गया है और उन्हें जेल में डाल दिया गया है

उसी समय अमेरिकी सीनेटरो का एक दल भारत यात्रा पर आया हुआ था । अमेरिकी सीनेटरो ने राष्ट्रपति राधाकृष्णन से पूछा क्या यह सच है कि भारत सरकार ने मेजर जनरल बिजी कौल को गिरफ्तार कर लिया गया है ?

इस पर राष्ट्रपति राधाकृष्णन ने जवाब दिया काश यह सच हो सकता लेकिन दुर्भाग्य से यह सच नहीं है राष्ट्रपति का यह जवाब ही बताता है इस युद्ध में बिजी कौल कितना बड़ा खलनायक था

भारत चीन युद्ध में जवाहरलाल नेहरू को विश्वास था सोवियत संघ भारत के साथ युद्ध में मदद करेगा लेकिन उसी समय सोवियत संघ के राष्ट्रपति निकिता ख्रुश्चेव का रूस की कम्युनिस्ट पार्टी के अखबार प्रावदा में बयान छपा कि भारतीय हमारे दोस्त हैं और चीन हमारा भाई है भाई और दोस्त की लड़ाई में शांत रहना ही उचित है

यानी एक बात तो साबित हो गई थी यह कम्युनिस्ट किसी के सगे नहीं होते यह सबसे बड़े दगाबाज होते हैं

बाद में एक और पत्र सामने आया जिसमें नेहरू ने यह कहा था कि भारत को किसी भी देश से खतरा नहीं है इसलिए गुप्तचर विभाग और खुफिया तंत्र पर पैसा बर्बाद ना किया जाए और नेहरू के इस आदेश ने भारत की खुफिया तंत्र को एकदम लचर बना दिया इसीलिए भारत का खुफिया तंत्र चीन की तैयारियों का पता लगाने में विफल रहा और भारत बुरी तरह से हार गया

✍️ Jitendra pratap singh