पिछली पोस्ट में मैंने लिखा था कि किस तरह से भारत में आरक्षण की वजह से प्रतिभाएं भारत छोड़कर विदेशों में बहुत अच्छी जगहों पर उच्च पदों पर काम करने को मजबूर हैं
इस फोटो में आप 2 लोगों को पहचानते होंगे जिसमें से एक मैं हूं जो गुजरात में किसान हूं
दूसरा अविनाश है जो फिनलैंड में किसान है स्ट्रॉबेरी की खेती करता है मैं इधर गुजरात में केसर की खेती करता हूं
फोटो नहीं बाकी लोग जो है वह सभी आईआईटियन है
फोटो में एक डॉक्टर विशाल प्रताप सिंह को आप पहचानते ही होंगे स्वीडन और फिनलैंड की बॉर्डर पर उनके घर पर मैं 8 दिन रुका था और हर रोज शाम को शानदार लिट्टी चोखा मुर्गा फेसबुक लाइव करके बनाता था और उनकी बीएमडब्ल्यू ने फिनलैंड का विशाल लोपलैंड प्रदेश और स्वीडन घूमता था
विशाल प्रताप सिंह आईआईटी से एमटेक करने के बाद जर्मनी से एंजाइम साइंस में एमफील की है फिर कैंब्रिज से पीएचडी किए उसके बाद यह फिनलैंड में जाने-माने एंजाइम साइंटिस्ट है
एक लेडी हैं वह कानपुर की है उनका नाम प्रियंका त्रिपाठी है उन्होंने आईआईटी खड़कपुर से एमटेक किया फिर फिनलैंड से ही पीएचडी किया और फिनलैंड में एक यूनिवर्सिटी में लेक्चरार रहे हैं और साथ ही साथ फिनलैंड के माइक्रोबायोलॉजी में सरकार की सलाहकार हैं इनकी बड़ी बहन भी फिनलैंड में बहुत बड़ी साइंटिस्ट हैं
बाकी जो 2 लोग हैं वह लोग भी आईआईटियन हैं और जाने-माने वैज्ञानिक
सोचिए अगर यह सभी प्रतिभा है भारत में होती तो भारत की जीडीपी के लिए कितना अच्छा होता है