आखिर सत्ता का ऐसा रक्त-रंजित इतिहास कंही ओर देखने को नही मिलेगा...!!!
भाग : १
इस्लाम दुनिया में पैग़म्बर मुहम्मद से शुरू हुआ और इस्लाम का ख़ूनी इतिहास भी तभी शुरू हो गया था। बहुत से इस्लामी विद्वानों का मानना है कि खुद पैग़म्बर मुहम्मद की मौत के पीछे उनकी बीवी आयशा और हफ़सा का हाथ था। पैगम्बर मुहम्मद के बाद लोगों के घोर विरोध के बावजूद अबू बक्र इस्लाम के पहले खलीफा बने। बहुत से लोगों का मानना था कि यह पद पैग़म्बर के दामाद और सबसे भरोसेमंद व्यक्ति अली को मिलना चाहिए था। इसी बात को लेकर मुसलमान दो टुकड़ों शिया एवं सुन्नी में टूट गया।
अबू बक्र के बारे में बहुत से इस्लामी विद्वानों का मानना है कि उनके ही एक आदमी ने उन्हें ज़हर देकर मार दिया। उनके बाद दूसरे ख़लीफ़ा बने उमर इब्न अल खत्ताब को एक मुसलमान ग़ुलाम के हाथों जन्नत नसीब हुई। उनके बाद तीसरे खलीफा बने उस्मान इब्न अफ्फान। इनके समय तक क़ुरान के बहुत सारे रूप बन चुके थे। कौन सी असली है और कौन सी झूठी, इसका फ़ैसला इन्होंने एक को चुन कर बाक़ी सबको जलवा कर किया। विद्वानों के मुताबिक़ इस क़दम ने इनके बहुत से दुश्मन पैदा किए। एक दिन जब ये अपनी क़ुरान का पाठ कर रहे थे तो उसी वक्त एक शख़्स ने इनका कत्ल कर दिया।
बहुत से आलिम कहते हैं कि कातिल और कोई नही अबू बक्र का बेटा ही था। उनके बाद इस्लाम के चौथे खलीफा बने अली को भी बाकी खलीफाओं की तरह अपने ही लोगों ने उस वक्त मौत के घाट उतार दिया जब वो नमाज पढ़ रहे थे। मुस्लिम खलीफाओं का दर्दनाक अंत केवल यहीं नहीं थमा। अली के कत्ल के पहले ही पैग़म्बर मुहम्मद की सबसे प्यारी बीवी आयशा ने अली पर चढ़ाई कर दी। आयशा इस्लाम के पहले खलीफा अबू बक्र की बेटी थी। इस तरह इस्लाम के पहले खलीफा की बेटी ने इस्लाम के चौथे खलीफा के सामने अपनी फौज उतार दी।
अली ने इस लड़ाई में इक्कीस साबित हुए और आयशा को कैद करके मदीना में रखा गया। इतना खून खराबा देख कर अली के बेटे हसन ने खलीफा बनने से ही इंकार कर दिया, पर इतने से भी बात नहीं बनी। उनकी खुद की बीवी ने इनका कत्ल करवा दिया। कहा जाता है कि उनकी बीवी मिस्र के उस गवर्नर मुआविया की साज़िश का हिस्सा थी, जो हसन के खलीफा नहीं बनने पर अब खलीफा बन चुका था। मुआविया के बाद उसका बेटा यजीद खलीफा बना। इसने हैवानियत के ऐसे नंगे नाच किए जिससे इंसानियत ही नहीं, इस्लामियत भी काँप उठी। इसने पैग़म्बर मुहम्मद के एक और नाती हुसैन को "मैदान-ए-करबला" में घेर कर प्यासा मार डाला। इन्हीं की याद में शिया हर साल मुहर्रम मनाया करते हैं। इस तरह इस्लामी इतिहास का पहला ही पन्ना इस्लाम के संस्थापक के बीज/सच्चे साथियों के बेरहम कत्ले-आम से शुरू हुआ।
खैर, कुछ साल बीते। खलीफा वलीद के मरते ही उसके भाई सुलेमान ने खलीफा की गद्दी क़ब्ज़ा ली। साथ ही वो सभी लोग जो वलीद के बेटे को खलीफा बनाना चाहते थे, कत्ल कर दिए गए। खलीफा वलीद के हुक्म पर गाज़ी मुहम्मद बिन क़ासिम ने हिंदुस्तान (सिंध, राजा दाहिर) पर हमला किया। शुरुआत की काफी लड़ाइयां जीतने के बाद, अपने लोगो की गद्दारी ने राजा दाहिर को पराजय से रूबरू करवाया। हालांकि इनके पुत्र ने कुछ समय पश्चात ही अपने अधिकांश क्षेत्र पर वापिस कब्जा कर लिया था। तभी नए खलीफा सुलेमान के हुक्म वापस बुलाकर पर इस गाज़ी को कुत्ते की मौत मारा गया। इस हमले के जवाब में हिन्दू राजाओं (बप्पा रावल,नागभट्ट एवं ललितादित्य मुक्तापीढ़) ने अरबों पर जवाबी हमला किया। इतना भयानक हमला कि अगले २५० साल तक फिर कोई मुस्लिम सुल्तान (अरबी) हिंदुस्तान पर आँख उठाने की हिम्मत नहीं कर सका।
क्रमशः