Ghanshyam Prasad's Album: Wall Photos

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आखिर सत्ता का ऐसा रक्त-रंजित इतिहास कंही ओर देखने को नही मिलेगा...!!!
भाग : ३

"गुलाम-वंश" के खात्मे के बाद "खिलजी-वंश" की शुरुआत भी इस्लामिक परंपरागत तरीके से ही जलालुद्दीन खिलजी ने बलबन के पौते कैकाबाद को जन्नत भेज कर शुरू की। १२९६ में अलाउद्दीन खिलजी अपने चाचा और ससुर जलालुद्दीन को कत्ल कर दिल्ली की गद्दी पर बैठा ही था कि इसी बीच जलालुद्दीन की बीवी मलिकजहां ने अपने बेटे को अगला सुल्तान घोषित किया। जिस पर अलाउद्दीन ने मलिकजहां को कैद कर लिया और जो बीच में आया उसको कत्ल कर दिया गया। उनकी दौलत छीन ली गयी और इनकी औरतों को शाही हरम में लौंडी बना कर शामिल कर लिया गया। गाजी अलाउद्दीन एक अव्वल दर्जे का लौंडेबाज था। इसके हरम के मर्द गुलामों में से एक मलिक काफूर था जो इसको सबसे अजीज था। यह एक हिंदू बच्चा था जिसे इस्लाम कुबूल करवा कर मुस्लिम सुल्तान ने लौंडेबाज़ी की अजीम रिवायत के लिए तैयार किया था।

यही मलिक काफूर आगे चलकर अलाउद्दीन खिलजी की फौज का सेनापति बनाया गया। फिर एक दिन मालिक काफूर ने अलाउद्दीन को शाही बिस्तर में दगा देकर मौत के घाट उतार दिया। उसके बच्चों की आँखें निकाल लीं और फिर उन्हें कत्ल कर दिया। फिर मशहूर मुस्लिम सुल्तानी रिवायत के अनुसार काफूर ने अलाउद्दीन खिलजी की बीबी को अपनी बीबी बनाया। इसी बीच अलाउद्दीन खिलजी का एक बेटा मुबारक शाह, काफूर की कैद से भाग निकला और अंत में यही काफूर की मौत भी साबित हुआ। मुबारक ने काफूर को कत्ल किया और उसके छह साल के भाई शियाबुद्दीन खिलजी को अंधा करके मार डाला। इसी के साथ मुबारक शाह ने कुतुबुद्दीन की पदवी अपने नाम में जोड़ ली और फिर शुरू किया वो नंगा नाच जिसने अब तक के सारे बेशर्म मुस्लिम सुल्तानों को भी शर्म से लजा दिया। इसके महल में चारों तरफ औरतें खड़ी की जाती थीं, जिन्हें कुछ भी पहनने की इजाजत नहीं थी। यह जहाँ जाता था, ये बेबस औरतें इसके साथ साथ इसी हालत में चलती थीं। उनके बेबस चेहरों और आँसुओं को देखकर इसकी मर्दानगी सातवें आसमान को पार कर जाती थी।

अक्सर यह नामर्द मुस्लिम सुल्तान औरतों के लिबास पहन कर महलों के चक्कर काटता था और अति उत्साह और जोश में पगलाए हुए सुअर की तरह ज़मीन में लोटता था। औरतों के लिबास में इसके घिनौने काम शैतान को भी मात देते थे। सैंकड़ों औरतों की जिंदगी अपनी हवस की आग में जला देने वाले इस मुस्लिम सुल्तान ने अपने ही भाई खिज्र खां को कत्ल करके उसकी बीबी देवल से निकाह किया। किसी भी बगावत को रोकने के लिए इसने अपने सभी रिश्तेदारों की या तो हत्या कर दी या आँखें निकाल लीं। फिर एक दिन अपने ही एक मर्द महबूब खुसरो के हाथों से मुबारक अल्लाह को प्यारा हो गया। अब देवल खुसरो की बीवी बन चुकी थी। हमेशा की तरह सब कुछ प्यार मुहब्बत से चल ही रहा था कि खुसरो को एक गुलाम लौंडे गियासुद्दीन तुगलक के हाथों जन्नत रवाना होना पड़ा।

इस तरह "खिलजी-वंश" के खात्मे के साथ "तुगलक-वंश" के सुनहरे दौर का अध्याय शुरू हुआ। सुल्तान गियासुद्दीन के होनहार बेटों में बाप का सिर काटकर इस्लामी सल्तनत की सुनहरी रिवायत को बरकरार रखने की होड़ लगी थी। आखिर में बाजी बेटे मुहम्मद बिन तुगलक के हाथ लगी। अपने बाप और भाइयों की बोटी बोटी काटने के बाद यह गाजी इस्लाम की खिदमत करने सुल्तान की गद्दी पर बैठा। बगावत कुचलने के लिए बहुत से रिश्तेदारों को घिनौने तरीकों से कत्ल किया गया। अपने भतीजे के बदन से खाल को नुचवाकर उसकी बीवियों के मुँह में ठूँस दिया गया। काफिर हिंदू के खिलाफ जिहाद की मर्दानगी रखने वाला यह गाजी मुहम्मद बिन तुगलक भी जिस्म से नामर्द था। इसके मरने के बाद मुस्लिम सल्तनत फिरोजशाह नामके शख़्स के पास आयी जो कि गियासुद्दीन के बाप की एक नाजायज औलाद का बेटा था।

इसने कत्लेआम की एक नयी लहर चला कर बगावत को ठंडा किया। अस्सी साल के एक बुज़ुर्ग ख्वाजा जहाँ को उस वक्त कत्ल किया गया जब वह नमाज पढ़ रहा था। इसके बाद इसने अपनी सारी जिंदगी शाही हरम में लड़कों, लड़कियों और जानवरों के बीच गुजारी। फिरोजशाह के बेटे मुहम्मद ने उसके वजीर का कत्ल कर दिया, पर फिर भी तख़्त पर नहीं बैठ सका। फिरोजशाह के मरने के बाद उसके पोते ने पाँच महीने तक गद्दी संभाली। और फिर हर बार की तरह उसे भी कत्ल कर दिया गया। कातिल और कोई नही, फिरोजशाह का ही एक बेटा था। मुहम्मद के बाद उसकी गद्दी उसके बेटे सिकंदर ने सम्भाली। कुछ ही दिनों में वह कत्ल कर दिया गया। फिरोजशाह का एक और बेटा नुसरत दिल्ली के एक दूसरे हिस्से का मुस्लिम सुल्तान बना हुआ था।

लगभग ४ साल तक इन जोकरों ने अपने खेल दिखाए। और फिर एक दिन हिंदुस्तान पर आदमखोर गाजी तैमूर का हमला हुआ। बाबर और अकबर जैसे बलात्कारी मुगल हैवान इसी गाजी के रक्तबीज थे। अकबर महान के इस पड़दादे के पड़दादे ने दुनिया की आबादी के क़रीब ५% हिस्से (१.७ करोड़ लोग) को कत्ल किया। निहत्थे बच्चों, औरतों, बूढ़ों और इंसानों के आगे इसकी तलवार रोके नही रूकती थी, मगर जब हिंदू जाटों से इसका सामना हुआ, इसकी तलवार ने धोखा दे दिया। जाटों ने इसकी फौजों को घेर कर कुत्तों की तरह मारा। इसके गाजियों के सीनों में से कलेजे निकाल के उनके हलक में ठूँस दिए गए। "इस्लाम" का यह गाजी आज हिंदुस्तान के बहुत से मुसलमानों का हीरो है। अपने हिंदू और मूर्ति पूजा के विरोध में अंधे हो चुके जिहादी यह नही जानते कि हिंदुस्तान के गजवा से पहले यह नीच अपने सगे रिश्तेदारों का गजवा कर चुका था। बहुत से इतिहासकारों के मुताबिक अपनी माँ को कत्ल करके और अपने ही सगे भाई का कत्ल करके उसकी बीबी को अपने हरम में शामिल कर अपने गाजी के रुतबे को कायम करने की इस्लामी रिवायत इसी हैवान ने शुरू की। क्या माँ और क्या भाई, इसने हर एक के सीने में खंजर उतारे।

क्रमशः

#सल्तनत_काल

Sachin Tyagi