Ghanshyam Prasad's Album: Wall Photos

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आखिर सत्ता का ऐसा रक्त-रंजित इतिहास कंही ओर देखने को नही मिलेगा...!!!
भाग : ५

फिल्मी भाँडो में प्यार के लिए पूरी दुनिया से लड़ जाने का जज़्बा रखने वाला शहज़ादा सलीम उर्फ़ जहांगीर असल में दुनिया की सल्तनत पाने के लिए अपने प्यारे बाप से लड़ जाने के लिए मशहूर था। सलीम ने दो बार अकबर को ज़हर देकर मारने की कोशिश की। बाप बेटे की यह रंजिश इस्लामी इतिहास की उस शर्मनाक रिवायत की बानगी है जिसको लेकर आज भी इंसानियत का सर शर्म से झुक जाता है। अपने बाप पर एक बड़ी सेना लेकर चढ़ाई की और उसके एक नवरत्न अबुल फ़ज़ल को क़त्ल किया। अकबर के मरते ही जहांगीर सुल्तान बना। पर मुग़लिया रिवायत के चलते उसके बड़े बेटे खुसरो ने उसके ख़िलाफ़ बग़ावत कर दी, खुसरो को पकड़ लिया गया। बाप जहांगीर ने बग़ावती बेटे की आँखें नुचवा डालीं। तड़पते हुए अंधे बेटे को उसके घर में नज़रबंद करके फेंक दिया गया। इस जिहादी सुल्तान ने हिंदुओं और सिखों के गुरु श्री अर्जन देव जी और उनके सैंकड़ों शिष्यों को बेरहमी से क़त्ल किया।

जहांगीर ने मिर्ज़ा बेग को क़त्ल किया और उसकी बीवी को अपने हरम में खींच लिया। यही नूरजहां के नाम से मशहूर हुई। इसी नूरजहां की भतीजी का निकाह जहांगीर ने अपने बेटे ख़ुर्रम (शाहजहाँ) से किया। नूरजहां के पहले शौहर से हुई बेटी का निकाह जहांगीर ने शाहजहाँ के भाई शहरयार से करवाया। नूरजहां ने भी जहांगीर के नशे की लत को अच्छे से भुनाया। अकबर महान का यह शहज़ादा सलीम असल में अपने अब्बूजान के जैसा ही अव्वल दर्जे का अफ़ीमची था। हर वक़्त नशे में रहने की वजह से इसका दिमाग़ घोंघे की चाल से चलता था। नूरजहां ने सल्तनत की लड़ाई में पहले शाहजहाँ का साथ दिया, फिर पाला बदल कर शहरयार के पाले में चली गयी। शाहजहाँ ने विद्रोह किया, परिवार के कई लोगों को ३ साल के अंदर अंदर क़त्ल किया। उधर लाचार जहांगीर अफ़ीम के नशे में एक दिन अल्लाह को प्यारा हुआ।

शाहजहाँ दिल्ली से बाहर था कि नूरजहां ने उसके भाई असफ़ खान को उसकी मदद करने के जुर्म में अगवा करवाने की कोशिश की। इसी बीच शाहजहाँ ने अपने अंधे बड़े भाई को (खुसरो) को ज़हर देकर दुनिया से रुखसत किया। इधर असफ़ खान अपने बेटे को सुल्तान घोषित कर चुका था। दूसरी तरफ़ नूरजहां ने शहरयार को सुल्तान घोषित कर दिया। एक गली में दो कुत्ते तो फिर भी साथ रह सकते थे, मगर एक मुग़लिया सल्तनत में दो सुल्तान कैसे रहते..?? लड़ाई छिड़ गयी। शहरयार को पकड़ कर अंधा कर दिया गया। इसी बीच शाहजहाँ दिल्ली लौट आया। इसने सारे शहज़ादों और सभी घोषित, अघोषित सुल्तानों को पूरे परिवारों समेत मौत के घाट उतार दिया। और इस तरह अपने ही परिवार के कत्लेआम के बाद बॉलीवुड का यह प्यारा मुग़ल शहज़ादा १६२८ में सुल्तान बना। ज़िंदगी भर अपनी माँ, भाइयों, भतीजों और बेटों के ख़िलाफ़ साज़िश करने वाला, उन्हें सोते हुए ख़ंजर घोंपने वाला, ज़हर देने वाला, उनका बीज नाश करने वाला यही शाहजहाँ बॉलीवुड में एक बेमिसाल आशिक़, प्रेमी, और प्यार के लिए सब कुछ लुटाने वाला समझा गया। जिस बीवी के नाम पर ताजमहल की कहानियाँ घड़ी गयीं, उसकी मौत की मिसाल भी नहीं मिलती।

खैर वक्त का पहिया घूमा, आशिक शाहजंहा अब बूढ़ा हो चुका था। इसके बेटों में सल्तनत को लेकर खुरेंज जंग हुई। इन सब में बाजी औरंगजेब ने मारी। अपने भाइयों दारा, शुजा और मुराद को कत्ल करके इसने परंपरागत इस्लामी रिवायत को जिंदा रखा। अपने बाप को कैद कर आगरा के किले में फेंक दिया। उसके सबसे बड़े बेटे और अपने बड़े भाई दाराशिकोह का सर काट कर शाहजहां की खिदमत में पेश किया। औरंगजेब की तकदीर भी कुछ अलग न थी। इसके बेटे अकबर ने बगावत का बिगुल बजा स्वयं को सुल्तान घोषित कर लिया। बाप-बेटे में लड़ाई हुई, जीत का सेहरा बाप के सर बंधा और अकबर नंगे पांव ईरान भाग गया। समय चक्र घूमता रहा, औरंगजेब मराठा ताकत से टकराकर अल्लाह को प्यारा हुआ। इस ढलती हुई मुगल सल्तनत में फिर से जूतम-पैजार हुई। बाप, दादा और पड़दादा की तरह औरंगजेब के बेटों में भी सल्तनत को लेकर खुरेंज जंग हुई। इस बार बाजी बहादुर शाह के हाथ लगी, उसने भी अपने भाइयों का कत्ल कर गद्दी संभाली।

बहादुर शाह के मरते ही उसके चारों बेटों में जंग हुई। प्रत्येक भाई एक दूसरे के खून का प्यासा था। आखिरकार जहानदार शाह अगला सुल्तान बना। इसके सभी भाई मार डाले गये। इसके सुल्तान बनते ही इसके भतीजे फर्रुखसियर ने बगावत कर दी। फर्रुखसियर ने सईद भाइयों के साथ मिलकर जहानदार की हत्या कर सुल्तान की गद्दी कब्जाई। हालांकि यह नाम का ही सुल्तान था। कुछ समय पश्चात सईद भाइयों ने इस पर हमला कर कैद कर लिया, जँहा यह अल्लाह को प्यारा हुआ। सईद भाइयों की कृपा से जहानदार का बेटा मुहम्मद शाह रंगीला सुल्तान की गद्दी पर बैठा। यह चालाक निकला, इसने गद्दी संभालते ही सईद भाइयों को जन्नत रवाना कर दिया। इसी बीच नादिर शाह ने हिंदुस्तान पर हमला बोला। नादिर शाह ने ईरान के शाह के बेटे अब्बास को कत्ल करके गद्दी संभाली थी। इस्लामी रवायत का जुनून ऐसा था कि नादिर शाह के १३ बेटों और पोतो का कत्ल इसी के भतीजे अली कुली खान ने बड़ी बेरहमी से किया। नादिर शाह के बाद कमान अहमद शाह दुर्रानी ने संभाली। इसने भी कई बार हिंदुस्तान पर हमले किये। इन हमलों से मुगल सल्तनत और कमजोर हुई।

मुहम्मद शाह रंगीला के मरने के बाद बेटे अहमद शाह ने गद्दी संभाली। मराठो ने इसे गद्दी से उतार दिया। इसके बाद जहानदार के दूसरे बेटे आलमगीर-२ ने गद्दी संभाली। इस नए आलमगीर ने ७ दिन के अंदर अंदर अहमद शाह और उसकी माँ की आँखे नुचवा लीं। आलमगीर की गद्दी थोड़े दिन ही चली थी कि इसके दरबारियों ने इसे जन्नत की सैर पर भेज दिया। इस वक्त मुगल राज अपनी अंतिम सांसे ले रहा था। अगले १०० साल मुगल राज अंग्रेजो की पेंशन और मराठाओं की दया पर पलता रहा, लेकिन अपने इसी चिर-परिचित इस्लामी रवायत (कत्लों-गैरत) के साथ।

#सल्तनत_काल

Sachin Tyagi