खा पी चो कल्चर वाले दो पैर के जानवरों के मरने पर काहे का मातम ...
बहुत से लोग मुझसे नाराज रहते है की मेरे शब्द कड़वे क्यों होते है .क्यों हम आम भीड़ को दो पैर वाला जाहिल जानवर कहते है .......क्यों इस भीड़ के मरने पर भावुक नही होते ..........................अब जरा देखिये एक माहौल
चीनी वायरस कोरोना से उपजी महामारी मार्च के महीने से पूरी दुनिया में तांडव करने लगी थी .उसके बाद भारत सरकार ने राज्य सरकारों के साथ मिल के लॉक डाउन किया ......लम्बे समय तक देश लगभग बंद के हालातो में था और देश का प्रधानमन्त्री हाँथ जोड़ जोड़ के सबसे प्रार्थना कर रहा था की लापरवाही मत करे ये वैश्विक महामारी है .अभी इसकी कोई दवा या वैक्सीन नही बनी है ...............................राज्यों में राज्य की सरकारे और प्रशासन , पुलिस डाक्टर , निजी संस्थाए दिन रात आम जनता को चेतावनी देकर ना सिर्फ जागरूक कर रहे थे बल्कि टेलीविजन और प्रिंट मीडिया भी कोरोना महामारी के समाचार लगातार देते हुए इससे बचने के उपाय बता रहा था ...................................प्रधानमन्त्री ने बहुत बार राष्ट्रीय प्रसारण के जरिये हाँथ जोड़ जोड़ कर समझाया की प्रिय देशवासियों सावधानी रक्खो ..............जान है तो जहान है ...............................इसी दौर में पूरा विश्व ठहरा हुआ था .................इस दौर में ऐसे ऐसे उपाय और प्रतिवंध भी लगाये गये जैसे किसी विश्व युद्ध के दौरान या दो देशो के बीच युद्ध के दौरान भी उपयोग में नही लाये गए थे .अर्थात ट्रेन और वायु सेवाओं को राष्ट्रव्यापी रूप में बंद कर देना ................................कोरोना के कारण जो खतरनाक भय वाला माहौल बना बैसा पूरी दुनिया ने इससे पहले कभी नही देखा था .................................लेकिन
( अपवाद छोड़ कर )
लेकिन मजाल है की ये मादरचोद खाने पीने चोदने चुदने , मौज मस्ती मनोरजन तक सीमित वाली झांटू भीड़ ने उपरोक्त माहौल से जरा भी कुछ सीखा हो ..........आप रोड पर निकल के देखिये .....................गरीव हो या खुद को इलीट दिखाने की बकचोदी कर वाला मिडिल क्लास या ...... धनी तबके चर्बीदार गांड वाले ................जिसे देखो साला जाहिल जानवर जैसी हरकते करते देखा जा सकता है .और मजेदार बात यह की इस हरामजदगी में अगर नयी उम्र के युवा शामिल है तो प्रौढ़ और बुद्धे भी हरामीपने में कही कोई कसर नहीं रक्खे .......................कोई यह नहीं कह सकता की सिर्फ पुरुष वर्ग ही इसमें शामिल .......................इस कमीनेपण में हर आय वर्ग और उम्र की सामान्य से लेकर सुन्दर सेक्सी जिस्म वाली फीमेल भी पूरी तरह से शामिल .................
कोरोना नाम की इस खतरनाक वैश्विक महामारी के दौरान बहुत मुश्किल से 8 से 10 प्रतिशत नागरिक ही महामारी के दौरान अपनाए जाने वाले उपाय और सावधानियो के साथ देखे जा सकते है ..शेष समाज जाहिल जानवरों जैसी हरकते करते ही दिखता है ......................अब जिस समाज को देश की सरकार राज्य सरकारे , देश और राज्य का प्रशासन , स्वस्थ विभाग , मीडिया अर्थात लोकतंत्र के हर हिस्से के जागरूक लोगो ने महीनो जागरूक किया फिर भी समाज का जो हिस्सा सुधरने को तैयार नही .....................उसे जानवर ना समझा जाए तो क्या माना जाए , ऐसे जानवर अगर कोरोना से तड़प कर मरते है तो उनकी मौत पर क्यों दुखी होना चाहिए .इन लोगो की लाशो को अगर मरे हुए कुत्ते की भांति घसीट के फेकते हुए दफनाया जाता है तो उसमे गलत क्या है ...............135 करोड़ से जादा आवादी वाले देश में अगर 2 पैर वाले जाहिल जानवरों की आवादों मनुष्यों से कई गुना जादा हो तो ईश्वर भी कोई मदद नही कर सकता !!!