द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद रूस और अमेरिका का शीत युद्ध चरम पर था, हर क्षेत्र में होड़ लगी थी, .. अंतरिक्ष में भी, ..
रूस ने विश्व के सबसे पहले अंतरिक्ष यात्री को (यूरी गागरिन) , सफलता पूर्वक अंतरिक्ष में भेजने में सफलता प्राप्त कर ली, ..
तो उधर नहले पे दहला मारते हुए अमेरिका नील आर्मस्ट्रांग को लेकर चाँद पर जा पंहुचा, ...
उस समय दुनिया में nuclear race चल रही थी, .. कौन सबसे ज्यादा परमाणु बम बना सकता है, .. और कौन कितने नुक्लिअर टेस्ट करेगा, ..
अमेरिका की चंद्र विजय ने रूसियों के माथे पे शिकन ला दी, .. रूसियों को लगा की अमेरिका कहीं चाँद पर जा के चुपचाप नुक्लिअर टेस्ट न करने जाए, ..
इसलिए रूसियों ने एक satellite भेजा जिसमे गामा किरणों को detect करने की क्षमता थी, .. क्यू की कहीं भी परमाणु विस्फोट होता है तो उसमे से सबसे ज्यादा गामा किरणे निकलती है, ..
तो ऐसा हुआ की रूस ने जो satellite भेजी उसने प्रचुर मात्रा में गामा किरणें detect की, ..
यानी रूसियों का शक सही निकला, .. क्या अमेरिका चाँद पर परमाणु विस्फोट कर रहा था ????
जब रूसी satellites ने गामा किरणों को detect किया तो, ..वैज्ञानिक भौंचक्के रह गए, .. क्या ये गामा किरणे चन्द्रमा की सतह से आ रही थी ??
.....नहीं !!...... ऐसा नहीं था, ..
जो गामा rays डिटेक्ट हुई उनकी intensity बहुत कम थी, .. ऐसा लगा की वो बहुत-बहुत दूर, . यानी ब्रह्माण्ड के किसी दुसरे छोर से आ रहीं हो, ..
और फिर वैज्ञानिक उनकी जांच पड़ताल में जुट गए, ... कैलकुलेशन करने पर पता चला की वो किरणे 10^13 प्रकाशवर्ष (10,000 Billion Light years) दूर से आ रही थी, ...
अब ये खोजना बाकी था की इतनी दूर ऐसा कौन सा परमाणु विस्फोट हुआ है जिसकी किरणे यहाँ तक आ रही है, ..
तो वैज्ञानिकों को पता चला की ये एक सुपरनोवा विस्फोट था, .. यानि जब एक तारा अपनी आखिरी वक़्त में आता है तो वो एक सुपरनोवा बन जाता है,
.. उस समय वो भयानक विस्फोट के साथ इतनी ऊर्जा निकालता है, जितना हमारा सूर्य पूरी जिंदगी में नहीं निकालेगा, ..
और यदि ऐसा कोई विस्फोट हमारी आकाशगंगा में भी हो गया ,.. तो धरती पर महाप्रलय होगी और सबकुछ समाप्त हो जाएगा