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अहिंसा परमो धर्म: धर्म हिंसा तथैव च

आज तक हमे ईस श्लोक को अधुरा पढ़ाया गया है। और इसी कारण हमे ईसका अधुरा अर्थ ही मालूम है ।

आओ आज हम ईसका पूरा अर्थ जाने.... और साथ साथ ईसकी हमारे राष्ट्र, समाज और संस्कृति की रक्षा के लिए उपयोगिता भी जाने। अहिंसा ही परम् धर्म है परंतु धर्म की रक्षा के लिए हिंसा स्वीकार्य है, जायज़ है....भारतवर्ष योद्धाओ का देश रहा है। त्याग, बलिदान और वीरता हमारे धर्म और संस्कृति के केन्द्रबिंदु मे रही है....

" वीर भोग्या वसुंधरा, कायर सदा दु:ख "

..........अर्थात ईस सृष्टि का ये अटल नियम है की यहा सुख और शांति कैवल वीर और बहादुर लोग ही भुगतते है कायर व्यक्ति तो सदा दुख ही भोगता है जीवन पर्यंत दुःख.............तो फिर यह साबित होता है की व्यक्ति को सदैव वीर बहादुर और कीसी से ना डरने वाला होना चाहिए। और ये वीरता हमारे सक्षम बनने से आती है।

जो स्वयं सक्षम है वीर है वही राष्ट्र, और संस्कृति की रक्षा कर सकता है... कायर तो स्वयं की ही रक्षा नही कर पाता तो राष्ट्र और संस्कृति की रक्षा क्या करेगा..??? हम अहिंसा में विश्वास करने वाले समाज और राष्ट्र से है परंतु हमे हमारे राष्ट्र और समाज के दुश्मनों से लड़ने में भी सक्षम बनना होता है।

और हम सक्षम बने भी है... लाखो करोडों रुपयों का रक्षा बजट लड़ाकू विमान, ओटामेटीक हथियारों, युद्ध जहाज, विशाल टैंक से लेकर परमाणु हथियार ईसका प्रमाण है की हम अहिंसा के पूर्ण श्लोक का पालन करते है अधुरे श्लोक का नही।

अहिंसा से कीसी समाज, राष्ट्र या संस्कृति की रक्षा नही हो सकती अरे समाज और राष्ट्र की बात छोडो स्वयं व्यक्ति की भी रक्षा नही हो सकती.................ये कटु सत्य कहने की मे हिंम्मत रखता हूँ............. !!!!

अतः सामर्थ्य महान है, सक्षमता महान है, वीरता महान है, और अहिंसा भी महान है और होनी ही चाहिए परंतु हिंसा का जवाब देने की सक्षमता के साथ....

तुम निर्बलता को अहिंसा का चोला नही पहना सकते तुम्हारी कायरता को अहिंसा का सिद्धांत नही बता सकते.........क्यो कि शाश्त्रो में बताई गई अहिंसा के सिद्धांत में हिंसकता से लड़ने की सक्षमताको अनिवार्य बताया गया है ईस बात को समझने में आपको थोडी महेनत लगेगी लेकिन समझ जाओगे जरूर।

अत: अहिंसा के सिद्धांत के साथ चलने वाला भारत अपनी और अपने समाज, धर्म एवं नागरिको की रक्षा के लिए अहिंसा के ईस पूर्ण श्लोक का पालन करने में सक्षम है और आगे से और भी सक्षम होना पडेगा............... !!

न कैवल राष्ट्र, समाज, संस्कृति और धर्म की रक्षा के लिए अपितु स्वयं नागरिक की रक्षा और निर्भयता के लिए आज अहिंसा के ईस श्लोक का आधा अधूरा अर्थ ना बता कर पूर्ण अर्थ बताना होगा न कैवल बताना बल्कि ईसका पालन भी करना होगा। इसी मे राष्ट्र रक्षा होगी.... धर्म रक्षा होगी.... समाज और संस्कृति की रक्षा होगी।

फिर से एक बार "अहिंसा परमो धर्म धर्म हिंसा तथैव च " ईस पूर्ण श्लोक के साथ मेरा...........जय हिंद............... !!!!!!!!
हार्दिक पंचाल
#जय_हिंदू_राष्ट्र