▪भारत और अमेरिका ने अगस्त 2016 में लॉजिस्टिक्स एक्सचेंज मेमोरेंडम ऑफ एग्रीमेंट (LEMOA) पर हस्ताक्षर किए है. रक्षा सप्लाई की मरम्मत और पुनःपूर्ति के लिए दोनों देश एक-दूसरे के ठिकानों का उपयोग करने में सक्षम होंगे.
▪भारत और फ्रांस ने मार्च 2018 में, युद्धपोतों के लिए नौसैनिक अड्डे खोलने सहित एक दूसरे की सैन्य सुविधाओं के उपयोग पर रणनीतिक समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं. पैक्ट तीनों सेवाओं के लिए लागू है और एक-दूसरे की भूमि, वायु और नौसैनिक अड्डों का उपयोग करने में सक्षम है.
▪भारत और सिंगापुर ने रक्षा सहयोग समझौते (DCA) पर हस्ताक्षर किए है. नौसैनिक सहयोग पर समझौता समुद्री सुरक्षा क्षेत्र, संयुक्त अभ्यास, एक दूसरे की नौसेना सुविधाओं से अस्थायी तैनाती और लॉजिस्टिक सपोर्ट में वृद्धि प्रदान करता है.
▪सितंबर 2019 में भारत और दक्षिण कोरिया ने रणनीतिक सैन्य लॉजिस्टिक समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं. दोनों देश एक-दूसरे के सैन्य नौसैनिक प्रतिष्ठानों का उपयोग करने में सक्षम होंगे.
▪ऑस्ट्रेलिया ने जून 2020 में, भारत के साथ म्यूचुअल मिलिट्री लॉजिस्टिक सपोर्ट समझौते (LSA) पर हस्ताक्षर किए हैं. दोनों देश लॉजिस्टिक और ईंधन भरने के उद्देश्य से एक-दूसरे के नौसैनिक अड्डों का इस्तेमाल कर सकेंगे.
▪भारत और रूस के बीच त्रिकोणीय सेवा समझौते, रेसिप्रोकल लॉजिस्टिक सपोर्ट एग्रीमेंट (ARLS) पर हस्ताक्षर होने की संभावना है. दोनों देश एक दूसरे के नौसैनिक अड्डों का इस्तेमाल ईंधन भरने के लिए कर सकेंगे और साथ ही समझौते पर हस्ताक्षर होने के बाद हवाईअड्डे का इस्तेमाल भी कर सकेंगे.
▪भारत और जापान एक दूसरे के साथ सैन्य लॉजिस्टिक समझौते पर बातचीत कर रहे हैं. दो राष्ट्रों के बीच अधिग्रहण और क्रॉस सर्विसिंग एग्रीमेंट (ACSA), जो उन्हें ईंधन भरने, रखरखाव और सर्विसिंग के लिए एक-दूसरे के ठिकानों तक पहुंच प्रदान करेगा.
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✍️ Abhijeet Srivastava (अविनाश भाई की पोस्ट का हिंदी वर्जन)