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अभी दिव्य भास्कर में Varsha Pathak द्वारा लिखा एक आर्टिकल पढा जिसमे उन्होंने सोनिया गांधी को एंटोनिया माइनों कहने वाले मानसिक विकृति कहा

पूरा लेख पढ़ने के बाद पता चला कि लेखिका दरअसल कांग्रेस के पैरोल पर है क्योंकि लेखिका को कभी यह नहीं दिखता यह कांग्रेस का प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला अपनी हर प्रेस कॉन्फ्रेंस में योगी आदित्यनाथ जी को अजय सिंह बिष्ट कह कर बुलाता है

अगर लेखिका को भारतीय सनातन सन्त परंपरा का ज्ञान होता तब वह इस बारे में भी लिखती सन्यास परंपरा के बाद किसी भी व्यक्ति को उसके गुरु द्वारा प्रदत्त नाम के द्वारा ही बुलाया जाता है ना कि उसके सांसारिक नाम के द्वारा

आज जितने भी जैन मुनि हैं हम उन्हें उनके नए नाम से ही जानते हैं हम किसी भी जैन मुनि को या किसी भी हिंदू साधु को उनके पुराने सांसारिक नाम से नहीं जानते

लेकिन कांग्रेस के प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला सहित कई बार राहुल गांधी ने भी उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी को अजय सिंह बिष्ट कह कर संबोधित किया

कांग्रेस के पैरोल पर काम करने वाली लेखिका ने इस बारे में यह कुछ नहीं लिखा कि एक राष्ट्रीय पार्टी का उपाध्यक्ष और एक राष्ट्रीय पार्टी का प्रवक्ता अगर प्रेस कॉन्फ्रेंस में इस तरह से भारत की संत परंपरा को सनातन परंपरा को लज्जित करता है तो यह गलत है

अगर लेखिका के दलील को माने लेखिका ने यह कहा है कि विवाह के बाद महिला को उसके पति के नाम से ही जाना जाना चाहिए उसके मायके के नाम से नहीं फिर प्रियंका रॉबर्ट वाड्रा को सारे कांग्रेसी प्रियंका गांधी क्यों कहते हैं ? और तो और ना भूतो ना भविष्यति प्रियंका रॉबर्ट वाड्रा ने अपने बेटे रेहान रॉबर्ट वाड्रा के नाम को बदल दिया बकायदा कोर्ट में एफिडेविट देकर रेहान रॉबर्ट वाड्रा का नाम अब रेहान राजीव गांधी हो गया

क्या लेखिका यह बताएंगे क्या खुद अब प्रियंका रॉबर्ट वाड्रा मानसिक विकृत हैं जो इस तरह से नाम के साथ छेड़छाड़ कर रही हैं ??

लेखिका गुजरात की है उन्हें यह पता होगा फिरोज जहांगीर गैंडी गुजरात के भरूच के ही मूल निवासी थे जहां उनके रिश्तेदार आज भी रहते हैं फिर फिरोज जहांगीर गैंडी से विवाह करने के बाद इंदिरा प्रियदर्शनी इंदिरा गांधी कैसे हो गई ?

दरअसल लेखिका को इस खानदान की सारी सच्चाई पता है कि यह खानदान आजादी के समय से लेकर आज तक सिर्फ भारतीयों के इमोशन के साथ खिलवाड़ करता है इस खानदान को पता है कि भारतीय बहुत भोले होते हैं भारतीय लोग भावनाओं में बह जाते हैं

अपने लेख में लेखिका ने एक जगह लिखा है सोनिया उर्फ एंटोनियो माइनो ने 1968 में राजीव गांधी के साथ विवाह किया और 1983 में भारत की नागरिकता स्वीकार की लेकिन लेखिका ने यह नहीं बताया कि आखिर सोनिया गांधी को भारत की नागरिकता स्वीकार करने में दो दशक क्यों लगा ?

एक प्रधानमंत्री की बहू अगर चाहती तो सारे सरकारी अधिकारी उसके घर आकर उसे उसी दिन भारत की नागरिकता दे देते क्योंकि भारतीय नागरिक से विवाह करने के बाद किसी भी लड़की को तुरंत ही भारत की नागरिकता मिल जाती है लेकिन उसके लिए उस लड़की को भारत सरकार के पास एक एप्लीकेशन देना पड़ता है कि वह अपने मूल देश की नागरिकता छोड़कर भारत की नागरिकता स्वीकार करना चाह रही है इसलिए उसे भारत की नागरिकता दी जाए लेकिन सोनिया गांधी को भारत की नागरिकता लेने में दो दशक क्यों लग गया ?

सच्चाई यह है कांग्रेस अब ऐसे तमाम मीडिया को खरीद कर तमाम पेड लेखकों के द्वारा इस तरह के आर्टिकल लिखवाकर भारतीयों की भावनाओं के साथ फिर से खेलना चाहते हैं लेकिन कांग्रेस का यह दुर्भाग्य है कि अब सोशल मीडिया आ गई है लोग तुरंत ही सच्चाई जग जाहिर कर देते हैं

काश लेखिका अपने आर्टिकल में यह भी लिखती कि आज जॉर्ज वाशिंगटन के नाती पोते कहां है यह किसी को नहीं पता

आज चर्चिल के नाती पोते किधर हैं किसी को नहीं पता आज माओ त्से तुंग के नाती पोते किधर हैं किसी को नहीं पता आज जान एफ केनेडी के नाती पोते किधर है किसी को नहीं पता

लेकिन भारत में 10 दशकों से एक ही खानदान इस देश को अपनी जागीर क्यों समझता है ?

अंत मे

एंटोनियो मायनो के पीहर और उस के नाम का जिक्र करने से वह हल्की कैसे पड़ गई ? सती को दाक्षायणी ,पार्वती को गिरिजा , लक्ष्मी को सिन्धुजा , सीता को जानकी कह कर सम्बोधित किया जाता है । ये एंटोनियो मायनो अपने पीहर की परछाई से दूर क्यूँ भाग रही है ? कोई झोल है क्या ?

जितेंद्र प्रताप सिंह