महेश हिन्दू जी की वॉल पर अशोक भारती जी की पोस्ट(०९/०३/२०२०):
#लव_जिहाद – #मरुभूमि_के_वीर
राजस्थान के जैसलमेर जिले के मुस्लिम गाँव सनावाडा में १९६६ में हुई एक घटना का वर्णन कर रहा हूँ –
मुस्लिम बहुल गाँव../
जहाँ का सरपंच मुस्लिम था / सरपंच का पुत्र जोधपुर में पढ़ाई कर रहा था /
गर्मी के अवकाश में लड़का अपने गाँव आया हुआ था /
पास के गाँव के एकमात्र श्रीमाली ब्राह्मण परिवार की कन्या सरपंच के पुत्र को भा गयी /
पहले तो पिता ने पुत्र को समझाया /
धर्म और मजहब में अंतर बताया /
किन्तु जब पुत्र जिद्द पर अड़ गया तो सरपंच 10 मुसलमानों को साथ लेकर ब्राह्मण के घर गया और कन्या का हाथ अपने पुत्र के लिए माँगा /
ब्राह्मण परिवार पर तो मानो ब्रजपात हो गया हो /
किन्तु सोचकर ब्राह्मण ने दो माह का समय माँगा /
दूसरे दिन हताश ब्राह्मण पास के राजपूत गाँव में वहाँ के ठाकुर के निवास पर गया और निवास के मुख्य द्वार के सामने फावड़े से मिट्टी खोदने लगा /
ठाकुर साहब उस समय घर पर नहीं थे /
17 वर्षीय कुँवर और उनकी माता जी घर में थे /
जब ब्राह्मण द्वारा मिट्टी खोदने की सूचना उन्हें मिली तो कुँवर ब्राम्हण के पास गए और मिट्टी खोदने का कारण पूछा /
ब्राह्मण ने उत्तर दिया – कुँवर जी, मैंने सुना है धरती माता कभी बीज नहीं गँवाती /
खोद कर देख रहा हूँ कि क्षत्रिय समाज का बीज आज भी है या नष्ट हो चूका है /
कुँवर बात को समझ गए /
उन्होंने ब्राह्मण को वचन दिया कि आप निश्चिन्त रहें आपकी बात के लिए प्राण दे दूँगा किन्तु पीछे नहीं हटूँगा /
आप अतिथि घर में पधारिये /स्नान आदि करके भोजन करिए /
तब तक पिताश्री भी आ जायेंगे /आपको निराश नहीं करेंगे /
जब ठाकुर साहब वापिस आये तो कुँवर ने पूरी बात बताई और वचन देने वाली बात भी बताई /
ठाकुर साहब ने ब्राह्मण से कहा कि मैं आपको धन देता हूँ /
आप कोई योग्य ब्राह्मण लड़का देख कर अपनी कन्या का रिश्ता तय कर लें /
साथ ही मुसलमान सरपंच को दो माह बाद बारात लेकर आपके घर आमंत्रण करें /
बाकी का कार्य हम पूरा करेंगे /
बताये समय पर मुसलमान सरपंच भारी दलबल के साथ ब्राह्मण के घर बारात लेकर पहुँच गया /
तिलक के समय ठाकुर के तरुण कुँवर ने अपने दो चाचा के साथ मिल कर पहले वर का सर काटा और उसके बाद कार्बाइन से गोली चला कर 17 बाराती सरपंच और मुल्ला को जहन्नुम पहुँचा दिया /
उस दिन का दिन और आज का दिन जैसलमेर में आज तक कोई लव जिहाद जैसी घटना नहीं हुई /
कुँवर आज भी जीवित हैं और मुसलमान उनको देख कर आज भी भय से कम्पते हैं /
मेरे सहपाठी भाई भीमसिंह ने मुझे कुँवर साहब से मिलवाया था //