Ghanshyam Prasad's Album: Wall Photos

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#गर्व से कहो हम #मू्र्तीपूजक हैं ...!

मूर्तियों के अंदर विज्ञान का महान चमत्कार छिपा होता है ! हिंदुओं पर हजारों सालों से मूर्ती पूजक होने का ठप्पा लगा है लेकिन मूर्ती पूजा का विरोध अक्सर अध्यात्म और ज्ञान में कमतर लोग ही करते हैं ...!

#Stanford के Dr. #William Tiller ने चालिस साल के अनुसंधान और अध्ययन के बाद मूर्ती पूजा और मंदिर निर्माण को विज्ञान सम्मत और कई प्रकार से लाभप्रद बताया है।उन्होंने भारतिय मंदिरों से मनुष्य के मस्तिष्क पर होने वाले असर पर शोध किया और मंदिर , मूर्ति और संरचना का अध्ययन करके ही इन बातों का खुलासा किया ...!
मंदिर रचना के विज्ञान के लिए #अगमशास्त्र नाम का पूरा एक ग्रंथ रचा गया था जिसमें मंदिर के कोंण से लेकर दीवारों के माप और परिमाप तथा ऊँचाई का विवरण दिया गया है ...!
मंदिर के ऊपर एक कलश होता है जो धातु का होता है ! इस कलश की विशेष रचना के कारण यह ब्रह्माण्ड ऊर्जा को आकर्षित करता है ! ब्रह्मण्ड ऊर्जा प्राण शक्ति भी होती है जिससे संसार में जीवन का उत्साह और आत्म उत्थान हो पाता है ! जब हम ध्यान लगाते हैं तो हम रोज धीरे धीरे इसी ऊर्जा को शरीर में धारण करते हैं ...!
कलश से ऊर्जा मंदिर के त्रिकोण में प्रवेश करती है और पूरे मंदिर में फैल जाती है।पिरामिड की तरह ही अगर कोई मंदिर में ध्यान लगाता है तो जल्दी ध्यान अवस्था को प्राप्त हो जाता है और ज्यादा लाभ हो सकता है ! मंदिर की मूर्ती एक विशेष मुद्रा में होती है और इसके नीचे एक धातु का सिक्का रखा जाता है ! पहले मंत्रों से मूर्ती को शूक्षम कम्पन प्रदान किया जाता है जिसे #vibration कहते हैं , उसके बाद उसके नीचे प्राण प्रतिष्ठा के तौर पर चाँदी, सोने , या किसी भी धातु को रखा जाता है ! धातु के अनुरूप मूर्ती के गुण भी अलग अलग होते हैं और हर देवता के लिए अलग अलग धातु निर्धारित होता है ...!
नित्य मंदिर जाने से हम नित्य थोड़ी थोड़ी सकारात्मक ऊर्जा को ग्रहण करते हैं ...!
ध्यान करने से जो लाभ होता है वही लाभ सहज ही मंदिर जाने से हो जाता है ...!
मूर्ती से निकलने वाली तरंगें हमारे मस्तिष्क की तरंगों को प्रभावित करती हैं और हम अनेकानेक बीमारियों से छुटकारा पा सकते हैं ...!
#मंदिर में बजने वाली #घंटी और #आरती भी #कम्पन विधि पर आधारित होती है ...!

प्रदीप तम्हांकर