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अजेष्ठ त्रिपाठी
---------------------- #मेरे_राम --------------------
हमारे ज्यादातर प्रचलित इतिहास को पश्चिमी सभ्यता के इतिहासकारों ने लिखा है , आज के इतिहासकार उसी लीक पर चल रहे हैं । पश्चिमी इतिहासकारों की अपनी धार्मिक मान्यताओं और विश्वासों तथा अपने देश और समाज के परिवेश के अनुसार हर बात को सोचना और तदनुसार लिखना उनकी अनिवार्यता थी।

ईसाई धर्म की मान्यता है ,कि ईश्वर ने सृष्टि का निर्माण ईसा से 4004 वर्ष पूर्व किया था, इसलिए उनका सारा इतिहास इसी कालखण्ड के इर्दगिर्द घूमता है ।उनके लिए यह विश्वास कर पाना कि भारतवर्ष का इतिहास लाखों वर्ष प्राचीन हो सकता है, कठिन था। उनके पूर्वज ईसा पूर्व के वर्षों में जंगलों में पेड़ों की छाल पहनकर रहते थे तो वे कैसे मान सकते थे, कि भारत में लाखों-लाखों वर्ष पूर्व मनुष्य अत्यन्त विकसित स्थिति में रहता था ?

महापुरुषों की टाइमलाइन पर जब भी मैं कुछ लिखता हूँ , मेरे कुछ स्वजन उसका विरोध करते हैं ,की देवपुरुषों के जन्म दिनांक व काल पर न लिखूं , तो मेरा प्रश्न उनसे ये है कि ; क्यों न लिखें ?

महाभारत और रामायण ;सिर्फ हमारे धर्मग्रंथ ही नही हैं ,वरन हमारे ऐतिहासिक साक्ष्य भी हैं । वो हमारे धर्मग्रंथों को कपोल कल्पना मानते हैं और हम उसपर लिखना भी नहीं चाहते हैं । भारतीय संस्कृति लाखों साल प्राचीन है, महाभारत ,रामायण बहुत पहले लिखे घटित ऐतिहासिक घटनाएं है ,जिन्हें लिपिबद्ध किया गया , मेरे प्रभू श्री राम के कालखंड पर आइए एक चर्चा करते हैं ।

#रामायण_का_कालखण्ड_कितना_प्राचीन ?

1- 26 दिसंबर 2019 को खंडग्रास सूर्य ग्रहण हुआ। ऐसा दुर्लभ सूर्यग्रहण 296 साल पहले 7 जनवरी 1723 को हुआ था। उसके बाद ग्रह-नक्षत्रों की वैसी ही स्थिति 26 दिसंबर 2019 को पुनः हुई । इस बात का रामायण के कालखण्ड से क्या लेना देना है !!!!!!यही सोच रहे हैं ना आप ???

जब भी हम बात करते हैं कि रामायण का कालखण्ड लाखों वर्ष पुराना है ,तब हमें बताया जाता है कि “#प्लैनेटेरियम” नामक सॉफ्टवेयर में ग्रहों की स्थिति दर्ज करके भगवान राम के जीवन में हुई महत्वपूर्ण घटनाओं का सटीक विवरण प्राप्त किया जा सकता है।

इस “प्लैनेटेरियम” सॉफ्टवेयर का उपयोग सौर / चंद्र ग्रहण और पृथ्वी से अन्य ग्रहों की दूरी एवं स्थान की भविष्यवाणी करने के लिए किया जाता है। 2004 में 'आई-सर्व' के एक शोध दल ने इसी 'प्लेनेटेरियम गोल्ड' सॉफ्टवेयर का प्रयोग करके प्रभु श्री राम जी के जन्म को 10 जनवरी 5114 ईसापूर्व में सिद्ध किया। उनका मानना था कि इस तिथि को ग्रहों की वही स्थिति थी ,जिसका वर्णन वाल्मीकीय रामायण में है। परंतु यह समय काफी संदेहास्पद हो गया है।

'आई-सर्व' के शोध दल ने जिस 'प्लेनेटेरियम गोल्ड' सॉफ्टवेयर का प्रयोग किया ,वह वास्तव में ईसा पूर्व 3000 से पहले का सही ग्रह-गणित करने में सक्षम ही नहीं है। और यही ग्रह स्थिती पुनर्घटित होती रहती है ।

ग्रह उल्लेख - चैत्रे नावमिके तिथौ।।
नक्षत्रेऽदितिदैवत्ये स्वोच्चसंस्थेषु पञ्चसु।
ग्रहेषु कर्कटे लग्ने वाक्पताविन्दुना सह।।

2- पुरातात्विक विश्लेषण करें तो वाल्मीकीय रामायण में एक स्थल पर विन्ध्याचल तथा हिमालय की ऊंचाई को समान बताया गया है। विन्ध्याचल की ऊंचाई 5,000 फीट है तथा यह प्रायः स्थिर है, जबकि हिमालय की ऊंचाई वर्तमान में 29,029 फीट है तथा यह निरंतर वर्धनशील है। दोनों की ऊंचाई का अंतर 24,029 फीट है।

विशेषज्ञों की मान्यता के अनुसार हिमालय 100 वर्षों में 3 फीट बढ़ता है। अतः 24,029 फीट बढ़ने में हिमालय को करीब 8,01,000 वर्ष लगे होंगे। अतः अभी से करीब 8,01,000 वर्ष पहले हिमालय की ऊंचाई विन्ध्याचल के समान रही होगी, जिसका उल्लेख वाल्मीकीय रामायण में वर्तमानकालिक रूप में हुआ है।

उल्लेख बाल्मीकि रामायण 01/39/04 , 01/30/05

3- हाल ही में एक खोज की गयी एक जीवाश्म पाया गया जो हाथियों की एक प्रजाति का था ,जिसे #Gomphothere नाम दिया गया ।हाथियों के ये पूर्वज अबसे लगभग 1 से 2 करोड़ साल पहले North America और South America में रहते थे।

इन हाथियों के मिले जीवाश्म से अध्ययन ने ये बताया है ,कि उस समय इन हाथियों के पूर्वजों में दो की जगह चार लम्बे दांत (4 Tusks) होते थे। यह हाथी घास और ऐसी ही दूसरी वनस्पतियां खाते थे ,जिससे इनके दांत अनुकूलता की वजह से इस आकृति में बदल गए थे,लेकिन ये प्रजाति अबसे लाखों सालों पहले ही विलुप्त हो चुकी है। अब जरा बाल्मीकि रामायण पर आते है इस श्लोक को देखिए -

त्रिविष्टपनिभं दिव्यं दिव्यनादनिनादितम्।
वाजिहेषितसङ्घुष्टं नादितं भूषणैस्तथा।
रथैर्यानैर्विमानैश्च तथा हयगजैः शुभैः।
वारणैश्च चतुर्थन्तैः श्वेताभ्रनिचयोपमैः।।
भूषितं रुचिरद्वारं मत्तैश्च मृगपक्षिभिः।
रक्षितं सुमहावीर्यैर्यातुधानैः सहस्रशः।
राक्षसाधिपतेर्गुप्तमाविवेश महाकपिः।।
उत्तमं राक्षसावासं हनुमानवलोकयन्।
आससादाथ लक्ष्मीवान् राक्षसेन्द्रनिवेशनम्।।5.9.4।।
चतुर्विषाणैर्द्विरदैस्त्रिविषाणैस्तथैव च।
परिक्षिप्तमसम्बाधं रक्ष्यमाणमुदायुधैः।।5.9.5।।

उपरोक्त श्लोकों में 4 दन्त वाले हाथियों का स्पष्ट उल्लेख है इस बात की पुष्टि करता है कि रामायण का कालखण्ड लाखों साल पुराना है।

4- भारत के दक्षिण में धनुषकोटि तथा श्रीलंका के उत्तर पश्चिम में पम्बन के मध्य समुद्र में 48 किमी चौड़ी पट्टी के रूप में उभरे एक भू-भाग के उपग्रह से खींचे गए चित्रों को अमेरिकी अंतरिक्ष अनुसंधान संस्थान (#नासा) ने जब 1993 में दुनिया भर में जारी किया तो भारत में इसे लेकर राजनीतिक वाद-विवाद का जन्म हो गया था। रामसेतु का चित्र नासा ने 14 दिसम्बर 1966 को #जेमिनी-11 से अंतरिक्ष से प्राप्त किया था।

इसके 22 साल बाद आई.एस.एस 1 ए ने तमिलनाडु तट पर स्थित रामेश्वरम और जाफना द्वीपों के बीच समुद्र के भीतर भूमि-भाग का पता लगाया और उसका चित्र लिया। इससे अमेरिकी उपग्रह के चित्र की पुष्टि हुई। भारत के दक्षिणपूर्व में #रामेश्वरम और श्रीलंका के पूर्वोत्तर में #मन्नार_द्वीप के बीच उथली चट्टानों की एक चेन है। समुद्र में इन चट्टानों की गहराई सिर्फ 3 फुट से लेकर 30 फुट के बीच है। इस पुल की लंबाई लगभग 48 किमी है।

यह ढांचा मन्नार की खाड़ी और पाक जलडमरू मध्य को एक दूसरे से अलग करता है। इस इलाके में समुद्र बेहद उथला है। रामसेतु पर कई शोध हुए हैं ।कहा जाता है कि 15वीं शताब्दी तक इस पुल पर चलकर रामेश्वरम से मन्नार द्वीप तक जाया जा सकता था, लेकिन तूफानों ने यहां समुद्र को कुछ गहरा कर दिया। 1480 ईस्वी सन् में यह चक्रवात के कारण टूट गया और समुद्र का जल स्तर बढ़ने के कारण यह डूब गया।

जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया के पूर्व निदेशक और नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ ओसियन टेक्नोलॉजी चेन्नई के सर्वे डिजीजन के कॉर्डिनेटर रहे ;डॉ. बद्रीनारायण ने अपनी की टीम के साथ जांच करने के बाद पाया कि #रामसेतु प्राकृतिक नहीं मानव द्वारा निर्मित है। और पुल में इस्तेमाल की गई चट्टानों की उम्र 17 लाख वर्ष के आसपास है ।अमेरिका के साइंस चैनल ने भू-गर्भ वैज्ञानिकों, पुरातत्वविदों की अध्ययन रिपोर्ट के आधार पर कहा है कि भारत और श्रीलंका के बीच रामसेतु के जो संकेत मिलते हैं ,वो मानव निर्मित हैं।

उपग्रह से प्राप्त चित्रों के अध्ययन के बाद कहा गया है कि भारत-श्रीलंका के बीच 30 मील के क्षेत्र में बालू की चट्टानें पूरी तरह से प्राकृतिक हैं, लेकिन उन पर रखे गए पत्थर कहीं और से लाए गए प्रतीत होते हैं। ब्रिटिश सरकार के 132 वर्ष पुराने दस्तावेज (मैनुअल आफ दी एडमिनिस्ट्रेशन आफ दी मद्रास प्रेसीडेंसी-संस्करण 2 के पृष्ठ क्रमांक 158) के विवरण बताते हैं कि कुछ साल पहले तक समुद्र का यह हिस्सा उथला था और लोग इसे पैदल चल कर ही पार कर लिया करते थे। इसकी आयु निर्धारण लाखों वर्ष प्राचीन है और प्रभु श्री राम के लेखों वर्ष प्राचीन होने की पुष्टि करती है ।

#विशेष - श्रीराम-कथा केवल वाल्मीकीय रामायण तक सीमित न रही ,बल्कि मुनि व्यास रचित महाभारत में भी '#रामोपाख्यान' के रूप में आरण्यकपर्व (वन पर्व) में यह कथा वर्णित हुई है। इसके अतिरिक्त '#द्रोण पर्व' तथा '#शांतिपर्व' में रामकथा के सन्दर्भ उपलब्ध हैं। बौद्ध परंपरा में श्रीराम से संबंधित #दशरथ_जातक, #अनामक_जातक तथा #दशरथ_कथानक नामक तीन जातक कथाएँ उपलब्ध हैं।

रामायण से थोड़ा भिन्न होते हुए भी ये ग्रन्थ इतिहास के स्वर्णिम पृष्ठ हैं। जैन साहित्य में राम कथा संबंधी कई ग्रंथ लिखे गये, जिनमें मुख्य हैं- विमलसूरि कृत 'पउमचरियं' (प्राकृत), आचार्य रविषेण कृत 'पद्मपुराण' (संस्कृत), स्वयंभू कृत 'पउमचरिउ' (अपभ्रंश), रामचंद्र चरित्र पुराण तथा गुणभद्र कृत उत्तर पुराण (संस्कृत)। #जैन परंपरा के अनुसार राम का मूल नाम '#पद्म' था। अन्य अनेक भारतीय भाषाओं में भी राम कथा लिखी गई।

हिन्दी में कम से कम 11, मराठी में 8, बाङ्ला में 25, तमिल में 12, तेलुगु में 12 तथा उड़िया में 6 रामायणें मिलती हैं। हिंदी में लिखित गोस्वामी तुलसीदास कृत रामचरित मानस ने उत्तर भारत में विशेष स्थान पाया। इसके अतिरिक्त भी संस्कृत,गुजराती, मलयालम, कन्नड, असमिया, उर्दू, अरबी, फारसी आदि भाषाओं में राम कथा लिखी गयी।विदेशों में भी तिब्बती रामायण, पूर्वी तुर्किस्तानकी खोतानीरामायण, इंडोनेशिया की ककबिनरामायण, जावा का सेरतराम, सैरीराम, रामकेलिंग, पातानीरामकथा, इण्डोचायनाकी रामकेर्ति (रामकीर्ति), खमैररामायण, बर्मा (म्यांम्मार) की यूतोकी रामयागन, थाईलैंड की रामकियेनआदि रामचरित्र का बखूबी बखान करती है। इसके अलावा विद्वानों का ऐसा भी मानना है कि #ग्रीस के कवि #होमर का प्राचीन काव्य #इलियड, #रोम के कवि #नोनस की कृति #डायोनीशिया तथा रामायण की कथा में अद्भुत समानता है।#कंबोडिया के #रामकर तिब्बती रामायण ,#पूर्वी_तुर्किस्तान का #खोतानीरामायण ,#इंडोनेशिया का #कबिनरामायण ,#जावा का #सेरतराम, सैरीराम, रामकेलिंग, पातानीरामकथा, #इण्डोचायना का #रामकेर्ति (रामकीर्ति), खमैररामायण ,#बर्मा (म्यांम्मार)
का #यूतोकी_रामयागन ,राम वथ्थु व महा राम, #थाईलैंड का #रामकियेन प्रसिद्ध हैं। अब आते हैं नेपाल पर.... नेपाल का #भानुभक्तकृत रामायण , #सुन्दरानन्द रामायण ,आदर्श राघव
सिद्धिदास महाजु रचित रामायण प्रसिद्ध है ।भानुभक्तीय रामायण नेपाल के भक्त कवि भानुभक्त आचार्य द्वारा नेपाली भाषा में रचित रामायण है। पूर्व से पश्चिम तक नेपाल का कोई ऐसा गाँव अथवा कस्बा नहीं है ,जहाँ भानुभक्त रामायण की रामायण की पहुँच न हो। भानुभक्त कृत रामायण वस्तुतः नेपाल का 'रामचरित मानस' है।।

।। मेरे राम सबके राम हैं।।

#सोर्स - Shoshani, Jeheskel; Pascal Tassy (2005). "Advances in proboscidean taxonomy & classification, anatomy & physiology, and ecology & behavior". Quaternary International. 126-128: 5–20. Bibcode:2005QuInt.126....5S. doi:10.1016/j.quaint.2004.04.011.
Palmer, D., ed. (1999). The Marshall Illustrated Encyclopedia of Dinosaurs and Prehistoric Animals. London, UK: Marshall Editions. pp. 239–242. ISBN 1-84028-152-9.
Shoshani, J.; Tassy, P. (2005). "Advances in proboscidean taxonomy & classification, anatomy & physiology, and ecology & behavior". Quaternary International. 126-128: 5–20. Bibcode:2005QuInt.126....5S. doi:10.1016/j.quaint.2004.04.011.
"Adam's bridge". Encyclopædia Britannica. 2007. Archived from the original on 13 January 2008. Retrieved 14 September 2007.
Garg, Ganga Ram (1992). "Adam's Bridge". Encyclopaedia of the Hindu World. A–Aj. New Delhi: South Asia Books. p. 142. ISBN 978-81-261-3489-2.
"Ramar Sethu, a world heritage centre?". Rediff.com. Retrieved 15 July 2014.
Room, Adrian (2006). Placenames of the World. McFarland & Company. p. 19. ISBN 978-0-7864-2248-7.
Census of India 2001: Data from the 2001 Census, including cities, villages and towns (Provisional)". Census Commission of India. Archived from the original on 16 June 2004. Retrieved 1 November 2008.
अजय अग्निवीर