Ghanshyam Prasad's Album: Wall Photos

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अब जानिये कि #वाराह (शूकर) को

#अवतार क्यों घोषित किया गया!!

इसकी उपयोगिता मानवों के लिए अतुलनीय है।
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"सचमुच अवतारी करिश्माई जंतु है, सूअर"
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80 के दशक में चौपाए पशु सूअर के पेनक्रियाज में बनने वाली इंसुलिन hormone ,मधुमेह से खोखले होते सर्वश्रेष्ठ माने जाने वाले दोपाए जंतु इंसान के शरीर में चढ़ाया गया... मधुमेह अर्थात शुगर के दुष्प्रभावों से होने वाली मौतों से करोड़ों लोगों का जीवन बच पाया....|

शुगर के लाखों करोड़ों रोगी आज भी सूअर से प्राप्त Pork insulin का ही इस्तेमाल करते हैं यह इंसानी इंसुलिन से सस्ती उसी के समान प्रभाव रखती है.. कोई एलर्जी दुष्प्रभाव नहीं....|

अभी 2 दिन पहले कोलंबिया यूनिवर्सिटी के कुछ शोध कर्मियों ने कमाल कर दिया है... असल में यह कमाल शोध कर्मियों ने नहीं सूअर ने किया |विज्ञान जगत की प्रसिद्ध पत्रिका नेचर में यह शोध छपा है... हमारे शरीर का जरूरी अंग है फेफड़ा बड़ा ही नाजुक है टीवी धूम्रपान कैंसर कोरोना जैसी बीमारी संक्रमण से पूरी तरह चंद घंटों में ही नष्ट हो जाता है|

लिवर किडनी दिल की भांति फेफड़ों का भी प्रत्यारोपण संभव है मृत व्यक्ति के स्वस्थ फेफड़ों को जीवित व्यक्ति के अस्वस्थ फेफड़ों के स्थान पर फंक्शनल हेतु लगाया जा सकता है, लेकिन अधिकांश फेफड़े शरीर से प्रत्यारोपण के लिए निकालने के दौरान ही नष्ट हो जाते हैं.... 100 फेफड़ों में केवल 30 फेफड़े ही सफल रूप से transplant हो पाते थे|

कोलंबिया यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर की टीम ने पूरी तरह से खराब इंसानी फेफड़े को जीवित बेहोश सूअर के गले की सबसे बड़ी नस जगलर वैन से जोड़ दिया सूअर के खून को इंसानी खराब फेफड़े में दौड़ाया गया पूरे 24 घंटे है फेफड़ा पूरी तरह से स्वस्थ हो गया प्रत्यारोपण के लिए एकदम तैयार|

सूअर के रक्त में विशेष कोशिकाएं हैं जो नष्ट डैमेज अंग को भी regenerate कर देती है|

अब आप ही बताएं सूअर जैसा अवतारी परोपकारी जानवर हराम घृणित जानवर कैसे हुआ...| सबसे बड़ा हरामि वह वर्ग है जो सूअर को घृणित हरामि मानता है|

संसार की पुस्तकालय की सबसे प्राचीन पुस्तक वेद ईश्वर की वाणी सूअर को हराम घृणित नहीं बताती|

वेद कहता है|

य: प्राणतो निमिषतो महित्वैक इन्द्राजा जगतोबभूव।

य ईशे अस्य द्विपदश्चतुष्पद: कस्मै देवाय हविषाविधेम ॥४॥

अर्थात सांस लेने वाले , पलक झपकाने वाले दो पैर वाले चार पैर वाले सभी जीवो का स्वामी ईश्वर है| हम उस ईश्वर की उपासना करें हवि दे कर |

सनातन धर्मी ईश्वर पुत्र आर्यों ने परमात्मा के बनाए किसी भी जीव को घृणित हराम नहीं माना| कर्म के वेद यजुर्वेद में तो प्रत्येक जीव से प्रेरणा ,उनसे यथा योग्य कार्य संपादित करने की विद्या पर प्रकाश डाला गया है|

जाहिल मूर्ख जंतुओं से उपकार क्या लेंगे वह तो उनके गले पर छुरी चलाते हैं|

कुछ भी हो आधुनिक मेडिकल साइंस के तमाम शोध सूअर को परोपकारी अवतारी ही सिद्ध कर रहे हैं | भगवान विष्णु के वराह अवतार पर कोई यकीन करें ना करें लेकिन विज्ञान सूअर के अवतारी करिश्माई जानवर होने की पुष्टि जरूर कर रहा है|
एक नया तथ्य भाई Peeyush Chaturvedi द्वारा बताया गया है इसे भी जोड़ लीजिए
आपकी सभी बातें सत्य है सुनील जी लेकिन वाराह और सुअर में अंतर होता हैं । वाराह को अंग्रेजी में Boar कहते हैं और सुअर को Pig । आपने जो तस्वीर लगाई है वो भी सुअर का ही है न कि वाराह का । वाराह के 2 बड़े-बड़े दाँत बाहर की तरफ निकले होते हैं । अतः सुअर और वाराह, दो अलग-अलग जानवर हैं । बाकी आपका सुअर पर लिखा हुआ लेख उचित हैं ।
Sunil Shroff जी, शांतिदूत तो बहुत दूर की बात है, मैं अधिकांश हिंदुओ को ही देखता हूँ कि वो सुअर और वाराह दोनों को एक ही समझते हैं । वाराह बिल्कुल जंगली जानवर हैं, अपने 2 दांतों से वो बाघ को भी फाड़ने का सामर्थ्य रखते है । आप भी वाराह अवतार में अपने दोनों दांतो पर पृथ्वी को उठाए हुए तस्वीर देखे होंगे । वही गली मोहल्लों या पिगरी फार्म हाउस के सुअरों के बाहर निकले हुए बड़े-बड़े दांत नही होते । लेकिन गली मोहल्लों में विष्टा खाते सुअर कुछ-कुछ वाराह की ही तरह दिखते हैं, लेकिन वाराह उनसे 2 गुने आकार में होते हैं । वराह (Boar ) पूर्णतया मांसाहारी जानवर है जो सिर्फ जंगलों में रहता हैं और सुअर (Pig) गली-गली विष्टा खाते हुए नालियों में लेटा रहता हैं । फिर भी कुछ हिन्दू Boar और Pig को एक ही मानकर अनजाने में भगवान विष्णु का अपमान ही करते हैं ।

ऐसे में शांतिदूतों को क्यो दोष दे, वैसे शांतिदूत गली-गली विष्टा खाने वाले और नालियों में पड़े रहने वाले सुअर को ही हराम मानते हैं, वाराह को नही । लेकिन उन्हें उन हिंदुओं को चिढ़ाना रहता है जो Boar और Pig को एक ही समझते हैं । जब कमी हिंदुओं में ही है तो सिर्फ उन्हें क्यो दोष देना ।