Ghanshyam Prasad's Album: Wall Photos

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सन 1973 में एक अमेरिकी बुद्धिजीवी डॉ0मिलर भारत भृमण को आये। हरिद्वार, ऋषिकेश और काशी में अनेकों स्थानों पर उन्हें गुफाओं में, बरगद और पीपल वृक्ष के नीचे ध्यानमग्न अवस्था में साधु संत दिखाई दिए। कुछ ऐसे साधु भी मिले जो उनसे पैसे मांग रहे थे। दिल्ली के एक होटल में उन्होंने अपने कैमरे से फोटो निकालते हुए कुछ अमेरिकी और भारतीय मेहमानों के समक्ष ध्यानमग्न साधुओं को पाखंडी कहा और कहा ज्ञान अर्जन सिर्फ सामाजिक मेलजोल से ही सम्भव है। एकान्त में पड़ा साधु क्या ख़ाक ज्ञान अर्जित करेगा, ज्ञानदाता जब है ही नही तो ज्ञान पाने का प्रश्न ही नहीं होता। वस्तुतः ऐसा पाखंडी साधू विदेशियों से पैसे ही मांगेगा।

इलाहाबाद यूनिवर्सिटी के एक वयोवृद्ध प्रोफ़ेसर सक्सेना भी वहां मौजूद थे उन्हें भारतीय मनीषियों की बेइज्जती बरदाश्त नहीं हुई और उन्होंने प्रतिवाद स्वरूप कहा डॉ0 मिलर भारतीयों के विषय में आपके स्थूल ज्ञान से मुझे अफ़सोस हुआ है। सार्वजनिक रूप से सीखे गये ज्ञान में कोई गहनता नहीं होती, एकान्त चिंतन इस ज्ञान में तीक्ष्णता लाता है। उन्होंने अनेकों ऐसे ऋषि मुनियों का उदाहरण दिया जिनसे प्रेरित होकर अमेरीकियों ने आविष्कार किया था और नाम कमाया था। पर डॉ0 मिलर थे कि भारतीयों की बेइज्जती करने पर ही उतारू थे।

प्रोफ़ेसर सक्सेना ने डॉ0 मिलर से और उनके साथियों से ऋषिकेश चलने का अनुरोध किया ताकि वो अपनी बात को प्रमाणित कर सकें। डॉ0 मिलर ने उनके अनुरोध को मान लिया। ऋषिकेश से 12 किमी दूर जाकर डॉ0 सक्सेना ने हवा में किसी का नाम लेकर आवाह्न किया। एक तेजस्वी साधु पगडंडी से आते दिखाई दिए और उन्होंने सक्सेना जी को दूर से आशीर्वाद दिया और डॉ0 मिलर से अंग्रेजी में कहा परसों अमेरिका की सेनाएँ वियतनाम से बगैर कुछ हासिल किये वापस लौटेंगी। डॉ मिलर के हाथों में एक बंदर की आकृति का चाभी का गुच्छा था। पूछने पर उन्होंने बताया कि ये आल्प्स ज्वालामुखी के निकले हुए खनिज से स्वतः निर्मित है। किसी भी तापमान पर इसे गला पाना लगभग असम्भव है। साधु ने उनके हाथ से बन्दर की आकृति के चाभी के गुच्छे को 100 मीटर दूर एक चबूतरे पर रखने को कहा। इसके बार वो उसे एकटक देखने लगे और देखते ही देखते वो धातु निर्मित बन्दर मोम की तरह गल गया। डॉ0 मिलर और उनके साथी आश्चर्च चकित थे, उनके मुहँ से बोल नहीं फूट रहे थे। जाते जाते उस साधु ने कहा मिस्टर मिलर मुझे अफ़सोस से आपको बताना पड़ रहा है अगले महीने आपकी पत्नी आपसे तलाक मांगेगी और 6 माह बाद आपका बड़ा बेटा रोड एक्सीडेंट में पैर गवां देगा।

डॉ मिलर जब अमेरिका लौटे तो उन्होंने अमेरिकी सेना के वियतनाम से वापसी की जानकारी हुई और वे सारी घटनायें हूबहू घटित हुई जैसा उस साधु ने बताया था। बाद में डॉ0 मिलर ने प्रोफ़ेसर सक्सेना को एक पत्र लिखा और अपनी असभ्य टिप्पणी के लिए उनसे क्षमा याचना की।

साभार Rajesh Kumar Srivastava