Ghanshyam Prasad's Album: Wall Photos

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10वीं और 12वीं में अच्छे नंबर लाने वाली प्रज्ञा देबनाथ ने कॉलेज में संस्कृत पढ़ने का निर्णय लिया। इसी दौरान उसका संपर्क एक मुल्ला से हुए, जो आतंकवादी था। दोनों के बीच प्रेम-सम्बन्ध प्रगाढ़ होते चले गए और एक दिन...ढाका पुलिस की काउंटर टेररिज्म एंड ट्रांसनेशनल क्राइम (सीटीटीसी) की इकाई ने शुक्रवार (जुलाई 17, 2020) को आएशा जन्नत नामक उर्फ प्रज्ञा देबनाथ को गिरफ्तार किया।

प्रज्ञा देबनाथ इस्लामी धर्मान्तरण के बाद कट्टरता की आग में ऐसी कूदी कि अब वो आतंकी संगठनों में भर्ती करती है।

इससे अंदाज़ा लगाया जा सकता है कि पश्चिम बंगाल में इस्लामी धर्मान्तरण और माइंडवॉश का कैसा खतरनाक खेल चल रहा है। कोलकाता ही नहीं बल्कि पश्चिम बंगाल के अन्य जिलों में, गाँवों में असली खेल चल रहा है। आएशा जन्नत (पहले प्रज्ञा देबनाथ) बंगाल की धनियाखाली कॉलेज में पढ़ाई करती थी। उसकी माँ गीता कपड़ों की सिलाई कर के परिवार का पालन-पोषण करती है।

प्रदीप बतौर सिक्योरिटी गार्ड काम करते थे। दसवीं और बारहवीं की परीक्षाओं में अच्छे नंबर लाने वाली प्रज्ञा देबनाथ (अब आएशा जन्नत) ने कॉलेज में संस्कृत पढ़ने का निर्णय लिया। इसी दौरान उसका संपर्क एक मुल्ला से हुआ, जो आतंकवादी था। दोनों के बीच प्रेम-सम्बन्ध प्रगाढ़ होते चले गए और एक दिन अचानक से प्रज्ञा देबनाथ ने अपनी माँ को फोन कर के बताया कि उसने इस्लाम अपना कर अपने बॉयफ्रेंड से निकाह कर लिया है और अब आएशा जन्नत बन गई।

उसी मुल्ले ने प्रज्ञा देबनाथ को ऑनलाइन बंगाल व बांग्लादेश के आतंकी संगठनों से परिचय कराया। प्रज्ञा देबनाथ सितम्बर 24, 2016 को किताब खरीदने के बहाने घर से बाहर जो निकली, उसके बाद वापस नहीं लौटी। बस उसके परिवार तक उसका कॉल ही आया, जिसने सबके होश उड़ा दिए। वो बांग्लादेश में जन्नतुल तस्नीम नाम से काम करती थी। आतंकी के तौर पर उसका नाम आएशा जन्नत रखा गया।

अधिकतर आतंकी संगठन अपने आतंकियों को ऐसे ही कई नामों से काम करने की सलाह देते हैं। आएशा ने ऑनलाइन माध्यमों का इस्तेमाल कर के युवाओं को भड़काना शुरू कर दिया। इसके बाद वो बांग्लादेश के ही एक अनरजिस्टर्ड मदरसा में पढ़ाने लगी। बांग्लादेश को वैसे भी ‘टेरर इन्ट्रोडक्शन प्रोग्राम’ का अड्डा माना जाता है। आएश जमात-उल-मुजाहिद्दीन के महिला प्रकोष्ठ की सबसे बड़ी सरगना तब बन गई, जब उसकी मुखिया आसमानी खातून को गिरफ्तार किया गया।

वो मार्च 2020 से ये काम देख रही थी। उसने ओमान में स्थित एक बांग्लादेशी टेरर फाइनेंसर से निकाह किया, जो काफ़ी अमीर है। हालाँकि, कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में ये भी कहा गया है कि आएशा स्कूल के दौरान ही किसी के संपर्क में आने के बाद कन्वर्ट हो गई थी। यह और बात है कि पूछताछ में उसने बताया था कि उसका जबरन धर्मांतरण हुआ था, जब वो कक्षा 9 में थी। उसकी उम्र महज 25 साल ही है, लेकिन उसने आतंक की दुनिया में कई सीढ़ियाँ बड़ी कम उम्र में लाँघ लीं।

आएशा ने साल 2016 से ही ढाका में घूमना शुरू कर दिया था। सबसे पहले उसने नकली जन्म प्रमाण पत्र बनवाया। इसकी मदद से बांग्लादेशी पहचान पत्र भी बनवाया। इतने के अलावा उसके पास एक भारतीय पासपोर्ट भी बरामद हुआ है। आएशा ने ओमान में रह रहे आमिर हुसैन सद्दाम नाम के बांग्लादेशी युवक से फोन पर ही शादी की थी। उसने ढाका में घर लिया और शहर के ही केरानीगंज और नारायणगंज इलाके में स्थित मदरसे में धार्मिक शिक्षक बन गई थी।

‘द न्यू इंडियन एक्सप्रेस’ की खबर के अनुसार, उसके गाँव के लोग अभी भी उसे एक होनहार विद्यार्थी के रूप में ही जानते हैं, जो साइकिल से पढ़ने जाती थी और लोगों से हँस-बोल कर मिलती थी। उसकी माँ को वो दिन अब भी याद है जब वो हमेशा के लिए घर छोड़ कर निकल गई थी। फोन ऑफ आने के बाद परिवार ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई थी। जब उसने इस्लाम अपनाने की फोन पर जानकारी दी थी, तब उसने फोन पर कहा था कि वो अंतिम बार उनसे बात कर रही है और उनकी दुआ चाहती है।

उसके पड़ोसी कहते हैं कि वो काफी शर्मीली थी और उन्हें इसका अंदाज़ा तक नहीं था कि वो आतंकी बन जाएगी। सब उसे एक सीधी-सादी कॉलेज की लड़की के रूप में ही याद करते हैं। उसकी माँ गीता को स्थानीय मीडिया से अपनी बेटी की गिरफ़्तारी की खबर मिली। उन्होंने सोचा था कि वो अपनी बेटी को अब शायद कभी नहीं देख पाएगी। वो चाहती हैं कि क़ानून के मुताबिक उनकी बेटी को सज़ा मिले।
संजय द्विवेदी