एक बार वाल्मीकि बस्ती के मंदिर में गाँधी कुरान का पाठ कर रहे थे
तभी भीड़ में से एक औरत ने उठकर गाँधी से ऐसा करने को मना किया
गाँधी ने पूछा : क्यूँ ?
तब उस औरत ने कहा कि ये हमारे धर्म के विरुद्ध है
गाँधी ने कहा . मैं तो ऐसा नहीं मानता . ..
औरत ने जवाब दिया कि हम आपको धर्म में व्यवस्था देने योग्य नहीं मानते ..
गाँधी ने कहा कि इसमें यहाँ उपस्थित लोगों का मत ले लिया जाये
औरत ने जवाब दिया कि क्या धर्म के विषय में वोटों से निर्णय लिया जा सकता है ?
गाँधी बोले कि आप मेरे धर्म में बाधा डाल रही हैं ..
औरत ने जवाब दिया कि आप तो करोड़ों हिंदुओं के धर्म में नाजायज दखल दे रहे हैं ..
गाँधी बोले : मैं तो कुरान सुनूँगा ..
औरत बोली : और मै इसका विरोध करूँगी .
और तब औरत के पक्ष में सैकड़ो वाल्मीकि युवक खड़े हो गये और कहने लगे कि मंदिर में कुरान पढ़वाने से पहले किसी मस्जिद में गीता या रामायण का पाठ करके दिखाओ तो जानें ..
विरोध बढ़ते देखकर गाँधी ने पुलिस को बुला ली . पुलिस आयी और विरोध करने वालों को पकड़ ले गयी और उनके विरुद्ध दफा 107 का मुकदमा दर्ज करा दिया गया , और इसके पश्चात गाँधी ने पुलिस सुरक्षा में उसी मंदिर में कुरान पढ़ी ..
* ( देश के बँटवारे पर लिखी पुस्तक ' विश्वासघात ' से ) ** लेखक- गुरुदत्त
अब आप जिसे राष्ट्रपिता समझते हो उसकी सोच हिन्दुओ के प्रति क्या थी आप अंदाजा लगा सकते हो