आरिफ मोहम्मद खान ने कहा था कि 1947 के पहले जो लोग कट्टर मुस्लिम लीग के सपोर्टर थे विभाजन के बाद चुकी आबादी उतनी रही नहीं कि मुस्लिम लीग सरवाइव कर सके इसलिए उसके सपोर्टर कांग्रेस और कम्युनिस्ट पार्टी के अंग बन गए लेकिन यही लोग 1947 के पहले कट्टर मुस्लिम लीग समर्थक थे हुसैन देहलवी जैसे व्यक्ति उसी जिन्ना वाली सोच को धारण करते है
यह बात आरिफ मोहम्मद खान ने बिना आधार के नहीं कहीं मतलब यह केवल एक ओपिनियन नहीं बल्कि एक फैक्ट है 1946 का जो संविधान सभा का चुनाव था जिस चुनाव के कारण भारत विभाजन निश्चित हो गया उसमें मौजूदा भारत में मुस्लिम मेजॉरिटी वाले सीटों पर जो उस समय पृथक निर्वाचन भी होता था 90% से अधिक मुस्लिम सीट मुस्लिम लीग को गई थी मेरठ से लियाकत अली चुनाव जीते थे मुंबई से जिन्ना हालांकि राष्ट्रीय एकता और वैमनस्यता न फैले इसलिए इन तथ्यों को छुपाया जाता है लेकिन लोगों की सोच बदलती नहीं जैसे अंग्रेज चले गए अंग्रेजी छोड़ गए वैसे जिन्ना तो चला गया लेकिन उसका जो जहरीला सोच है धार्मिक संकीर्णता का वह अभी भी जिंदा है
यह 1946 के अखंड भारत के अंतिम चुनाव का परिणाम है रिजर्व सीट पर मुस्लिम लीग कितनी जीती है इसे देखिए ऐसे ही थोड़ी ना अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में जिन्ना के फोटो के लिए हाय तौबा मची रहती है
जितेंद्र प्रताप सिंह