Ghanshyam Prasad's Album: Wall Photos

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नीचे चित्र में Colt Model 1903 Pocket Hammerless semi-auto. 32 bore. पिस्टल हैं !
आठ राउंड की एक मैगज़ीन ! मारक क्षमता 20 से 25 मीटर !

जिस प्रसिद्ध व्यक्ति के साथ ये पिस्टल रहती थी..वो इसे "बमतुल बुखार " कह कर बुलाता था !

मुझे नहीं लगता कि ..इस पिस्टल को रखने का कोई लाईसेंस था ..उस व्यक्ति के पास ? परंतु उसका विस्वास इस पिस्टल पर इतना था कि वो अक्सर कहा करता था कि " जब तक बमतुल बुखारा हैं मेरे पास इन गोरो की हिम्मत नहीं है मुझे जिंदा पकड़ ले "

इसी विश्वास ने ..."आजाद " को 'आजाद' रखा !

जी हा...ये पिस्टल हैं बलिदान क्रांतिकारी पंडित चंद्रशेखर आजाद जी की !
आजाद ने ..कहा भी था कि .."आठ राऊंड पिस्टल में है..आठ राउंड से भरी हुई मैग्जीन ! 15 गोलिया दुश्मन के लिये... और सोलहवीं स्वयं के लिये "

अंग्रेजी पुलिस को असली #इन्काउंटर क्या होता हैं.."आजाद " और उनकी पिस्टल "बमतुल बुखारा " ने बता दिया था !
अल्फ्रेड पार्क में मुठभेड़ के समय ..चारो ओर से पुलिस ने घेर लिया था ..पुलिस की ओर से पहला फायर भी झोक दिया गया और गोली "आजाद " के पैर में लग चुकी थी !
कदाचित् पैर में गोली लगने के कारण " आजाद " को अहसास हो गया था कि भाग नहीं पायेंगे ..? अन्यथा भगत सिंह , राजगुरु व सुखदेव को जेल से किसी प्रकार से छुड़ाने का बड़ा लक्ष्य था .." आजाद " के सामने ? और उसी सिलसिले में ही तो विचार विमर्श कर रहे थे ?
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खैर पैर में गोली लग चुकी थी..तो अपने साथी सुखदेव को बचा कर वहाँ से हटाना भी था...! सुखदेव को जाने के लिये बोल कर ...अंग्रेजी पुलिस से मोर्चा संभाल लिया !
अपने झांसी प्रवास के दौरान ..वहाँ के बीहड़ जंगलो में आखिर बंदूक चलाने... नीशाने बाजी की अच्छी खासी प्रेक्टिस किया था ..आजाद ने !
कहा...चंद्रशेखर तिवारी नाम का बालक झाबुआ से " काशी " आया था ..संस्कृत व शास्त्र सीखने ? परंतु नियत ने " शस्त्र " चलाने में निपुण बना दिया !
मुठभेड़ चल ही रही थी..बिषेश्वर नाम के दरोगा जी ने गाली दिया था ललकारते हुये ..! और उधर से आजाद की पिस्तौल से निकली गोली ने विषेश्वर दरोगा की ..जुबान उड़ा दिया था !( गोली जबड़े में लगी थी ) ये था निशाना " आजाद " का !
मुठभेड़ मे अंग्रेजी पुलिस के तीन सिपाही मारे गये थे ! कयी घायल हुए !
और अंत में...बमतुल बुखारा के जीवन में वो समय भी आया जब अपने स्वामी की इच्छानुसार स्वामी के ही चेहरे का ही चुम्बन करना था !
ये दुर्भाग्यशाली कार्य भी करना पड़ा क्युकि " आजाद " आजाद ही रखने का वचन जो दिया था ???
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ये भारत की एकमात्र ऐसा ...अवैध हथियार होगा जो सम्मान व श्रद्धा से देखा जाता हैं ?
अंतिम बार भी जब चली थी ..तो तीन दुश्मन की जान लिया था ..कयी को घायल किया और अपनी स्वामी के बलिदान का साधन बनी ?
परंतु फिर भी गर्व , श्रद्धा , व सम्मान की का विषय बनी हुई हैं !!
अमर बलिदानी पंडित #चंद्रशेखर आजाद जी के जयंती के अवसर पर !
संजय द्विवेदी